पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। आज बिहार विधानसभा के सत्र में भाजपा कोटे से बने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सदन में एक विवादित बयान दे दिया, जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गया है। सम्राट चौधरी ने कहा कि 1990 से 2005 के बीच किसी भी व्यक्ति को आरक्षण नहीं दिया गया था। उनका यह दावा जल्द ही सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगा। क्योंकि ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत यह बयान सच्चाई से मेल नहीं खाता।
सम्राट चौधरी के बयान के बाद कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके इस दावे पर आपत्ति जताई है। सच्चाई यह है कि 1978 में बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर ने अति पिछड़ों के लिए 12% और पिछड़ी जातियों के लिए 8% आरक्षण का प्रावधान किया था।
इसके बाद 1990 में जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस आरक्षण को और बढ़ाते हुए अति पिछड़ों को 14% आरक्षण दिया। फिर 2000 में जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने अति पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाकर 18% कर दिया।
इस प्रकार 1990 से 2005 के बीच आरक्षण की व्यवस्था में न केवल सुधार हुआ, बल्कि इसके प्रतिशत में भी वृद्धि की गई। सम्राट चौधरी के बयान को इस इतिहास के प्रकाश में गलत बताया जा रहा है और सोशल मीडिया पर उन्हें जोरदार आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सम्राट चौधरी, जो वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं। वर्ष 2000 में राबड़ी देवी की सरकार में बतौर राजद निर्वाचित विधायक और मंत्री थे। इस तथ्य ने भी उनके बयान को और अधिक विवादित बना दिया है।
वहीं मौजूदा एनडीए सरकार के समय में SC/ST/OBC आरक्षण की सीमा बढ़ाने का कोई बड़ा प्रयास नहीं हुआ है। जबकि 2021 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जिसे कई सामाजिक समूह आधारहीन बताते हैं।
सम्राट चौधरी के इस बयान पर अब जनता और विपक्ष दोनों से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इस विवाद पर आगे क्या स्पष्टीकरण देते हैं।
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