
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के सहरसा जिले में स्थित मंडन मिश्र धाम महिषी भारतीय दर्शन और शास्त्रार्थ की समृद्ध परंपरा का जीता-जागता प्रतीक है। यह वही पवित्र स्थल है जहां कभी प्रख्यात विद्वान मंडन मिश्र और सनातन ज्ञान परंपरा के प्रवर्तक आदि शंकराचार्य के बीच ऐतिहासिक शास्त्रार्थ हुआ था- जिसे भारतीय बौद्धिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय माना जाता है।
अब यह ऐतिहासिक स्थल एक आधुनिक पर्यटन हब के रूप में विकसित होने जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा 15 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई है, जिसमें से 14.23 करोड़ रुपये की विस्तृत कार्ययोजना तैयार हो चुकी है।
इस परियोजना के तहत एक विशेष शास्त्रार्थ केंद्र की स्थापना की जाएगी, जहां मंडन मिश्र और आदि शंकराचार्य के बीच हुए तर्क और ज्ञान के ऐतिहासिक संवादों को इंटरएक्टिव तकनीकों और डिजिटल माध्यमों से प्रस्तुत किया जाएगा। यह केंद्र आने वाली पीढ़ियों को न केवल भारतीय दर्शन की गहराई से परिचित कराएगा, बल्कि उन्हें तर्क, संवाद और सहिष्णुता की परंपरा का महत्व भी समझाएगा।
वहीं मंडन मिश्र की पत्नी और शास्त्रार्थ की निर्णायिका भारती देवी के भवन का जीर्णोद्धार भी परियोजना का अहम हिस्सा है। यह भवन भारतीय नारी विद्वत्ता और न्यायप्रियता का प्रतीक है, जिसे संरक्षित कर उसकी प्राचीन गरिमा को फिर से स्थापित किया जाएगा।
इसके साथ धाम परिसर स्थित तालाब को नैनो बबल टेक्नोलॉजी की मदद से स्वच्छ और सुंदर बनाया जाएगा। यह तकनीक पानी को प्राकृतिक रूप से साफ करती है और पर्यावरण के अनुकूल है। इससे पर्यटकों को एक शांत, स्वच्छ और आकर्षक वातावरण मिलेगा।
इस परियोजना के पूर्ण होने पर मंडन मिश्र धाम महिषी न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा स्थल रहेगा, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित होगा। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और देश-विदेश से आने वाले पर्यटक भारतीय ज्ञान परंपरा का जीवंत अनुभव कर सकेंगे।
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