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बिहार की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की बनी विशेष योजना

मंडन मिश्र धाम महिषी, सप्तऋषि कुंड और ऋषिकुंड जैसे स्थलों का विकास नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का एक शानदार प्रयास है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर बिहार न केवल भारत, बल्कि वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान हासिल करेगा...

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों के लिए विश्वविख्यात है और अब राज्य सरकार ने इस समृद्ध विरासत को न केवल संरक्षित करने, बल्कि इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए एक विशेष रणनीति तैयार की है। इसके तहत सरकार ने बिहार के प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है।

इस योजना के पहले चरण में सहरसा जिले के मंडन मिश्र धाम महिषी, राजगीर के सप्तऋषि कुंड और मुंगेर के ऋषिकुंड को विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इन तीनों स्थलों के विकास के लिए प्रशासनिक स्वीकृति के साथ-साथ 86 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया गया है।

मंडन मिश्र धाम महिषी: एक ऐतिहासिक केंद्र का पुनर्जननः सहरसा जिले में स्थित मंडन मिश्र धाम महिषी, भारतीय दर्शन और शास्त्रार्थ की परंपरा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह वह स्थल है जहां प्रख्यात दार्शनिक मंडन मिश्र और आदि शंकराचार्य के बीच ऐतिहासिक शास्त्रार्थ हुआ था। इस स्थल को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने के लिए 14.23 करोड़ रुपये की लागत से व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है।

  • विशेष केंद्र की स्थापना– मंडन मिश्र और आदि शंकराचार्य के शास्त्रार्थ की ऐतिहासिक कहानी को जीवंत करने के लिए एक विशेष केंद्र स्थापित किया जाएगा। यह केंद्र आने वाली पीढ़ियों को इस महान दार्शनिक परंपरा से परिचित कराएगा।
  • भवन का जीर्णोद्धार– मंडन मिश्र की पत्नी भारती के भवन का जीर्णोद्धार किया जाएगा। ताकि इसकी प्राचीनता और महत्व को संरक्षित किया जा सके।
  • तालाब का सौंदर्यीकरण– नैनो बबल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके स्थल के तालाब को और अधिक आकर्षक बनाया जाएगा, जिससे पर्यटकों को एक सुंदर और स्वच्छ वातावरण मिले।

इस परियोजना पर कुल 15 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे यह स्थल न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन का भी एक प्रमुख केंद्र बन सकेगा।

सप्तऋषि कुंड राजगीर, पवित्र झरनों का विकास और एक्सपीरिएंस सेंटरः राजगीर में स्थित सप्तऋषि कुंड, सात गर्म झरनों का समूह है, जो ब्रह्मकुंड के रूप में पवित्र माना जाता है। इन झरनों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग ने 50 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है।

  • एक्सपीरिएंस सेंटर का निर्माण: इस परियोजना के तहत एक आधुनिक एक्सपीरिएंस सेंटर बनाया जाएगा, जहां पर्यटकों को सप्तऋषि कुंड के इतिहास, धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक विशेषताओं की जानकारी दी जाएगी।
  • आसपास के क्षेत्र का विकास: कुंड के चारों ओर के क्षेत्र को सुंदर और सुविधाजनक बनाया जाएगा। ताकि पर्यटकों को एक सुखद अनुभव प्राप्त हो।

यह परियोजना न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी।

ऋषिकुंड मुंगेर, एक और धरोहर का उत्थानः मुंगेर में स्थित ऋषिकुंड भी बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस स्थल के विकास के लिए 21 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इस परियोजना के तहत कुंड और इसके आसपास के क्षेत्र को पर्यटकों के लिए आकर्षक और सुविधाजनक बनाया जाएगा।

  • पर्यटक सुविधाओं का विस्तार– पर्यटकों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा।
  • स्थल का सौंदर्यीकरण– प्राकृतिक और ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखते हुए स्थल को और आकर्षक बनाया जाएगा।

वेशक बिहार सरकार की यह पहल न केवल राज्य की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को भी गति देगी। मंडन मिश्र धाम महिषी, सप्तऋषि कुंड और ऋषिकुंड जैसे स्थलों का विकास नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का एक शानदार प्रयास है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर बिहार न केवल भारत, बल्कि वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान हासिल करेगा।

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