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अरवल DEO ऑफिस का हेड कलर्क और ऑपरेटर 50 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

पटना निगरानी विभाग ने आम जनता से अपील की है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी रिश्वत की मांग करता है, तो तुरंत निगरानी हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करें। शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाएगी...

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के अरवल जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) कार्यालय में भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी विभाग ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई की। कार्यालय के प्रधान लिपिक (बड़ा बाबू) मनोज कुमार और कंप्यूटर ऑपरेटर संतोष कुमार शर्मा को पटना निगरानी की टीम ने 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई से डीईओ कार्यालय में हड़कंप मच गया है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर पटना ले जाया गया, जहां मंगलवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यह कार्रवाई अरवल जिले के हदिया गांव निवासी अवकाश प्राप्त शिक्षक कृष्णनंदन सिंह की शिकायत पर की गई। शिक्षक ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी सेवांत लाभ (रिटायरमेंट बेनिफिट्स) की राशि के भुगतान के लिए प्रधान लिपिक मनोज कुमार और ऑपरेटर संतोष कुमार शर्मा ने उनसे 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। कई बार समझाने और अनुरोध करने के बावजूद दोनों नहीं माने। जिसके बाद पीड़ित शिक्षक ने निगरानी विभाग से संपर्क किया।

निगरानी विभाग ने शिकायत की जांच के बाद एक विशेष टीम गठित की। सोमवार को सुनियोजित तरीके से जाल बिछाकर दोनों आरोपियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया गया। इस दौरान निगरानी की टीम ने रिश्वत की पूरी राशि भी बरामद कर ली।

इस कार्रवाई के बाद अरवल डीईओ कार्यालय में कर्मचारियों के बीच खलबली मच गई। सूत्रों के अनुसार कार्यालय में रिश्वतखोरी का यह कोई पहला मामला नहीं है। लेकिन निगरानी की इस त्वरित कार्रवाई ने अन्य कर्मचारियों को भी सतर्क कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रिटायर्ड कर्मचारियों और शिक्षकों से उनके हक की राशि के लिए अक्सर अनुचित मांग की जाती है। जिसके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई से भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती है।

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम लगातार जारी रहेगी। ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि रिश्वतखोरी की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई के लिए विशेष टीमें सक्रिय हैं। इस मामले में दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तारी के बाद दोनों से पूछताछ की जा रही है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इस रिश्वतखोरी में अन्य लोग भी शामिल हैं।

गिरफ्तार किए गए मनोज कुमार और संतोष कुमार शर्मा को मंगलवार को पटना की विशेष निगरानी अदालत में पेश किया जाएगा। निगरानी विभाग ने उनके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए हैं, जिसमें रिश्वत की राशि और शिकायतकर्ता के बयान शामिल हैं। कोर्ट में पेशी के बाद दोनों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई तय होगी।

इस कार्रवाई की खबर फैलते ही अरवल और आसपास के इलाकों में लोगों ने निगरानी विभाग की तारीफ की। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार आम लोगों, खासकर रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए बड़ी समस्या है। निगरानी की इस कार्रवाई से न केवल भ्रष्ट अधिकारियों में डर पैदा होगा, बल्कि आम लोगों का भरोसा भी प्रशासन पर बढ़ेगा।

हालांकि बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी विभाग की यह कोई पहली कार्रवाई नहीं है। हाल के महीनों में विभाग ने कई सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी कार्रवाइयों से सरकारी तंत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।

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