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NEET paper leak case: संजीव मुखिया के खुलासे से कई राज्यों के मेडिकल माफिया हुए नंगा

सर, डॉक्टर सॉल्वर के तौर पर काम करते थे। मेरे और मेरे बेटे डॉ. शिव के संपर्क में बिहार, झारखंड और राजस्थान के लगभग 200 डॉक्टर हैं...

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नीट पेपर लीक मामले (NEET paper leak case) में बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीमें संजीव मुखिया से गहन पूछताछ कर रही हैं। सीबीआई की पटना इकाई के बाद अब दिल्ली की टीम भी पटना पहुंच चुकी है और जल्द ही संजीव को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू करेगी। इस मामले में संजीव के खुलासों ने एक बड़े मेडिकल माफिया नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसमें बिहार, झारखंड और राजस्थान के करीब 200 डॉक्टरों के शामिल होने की बात सामने आई है।

ईओयू ने संजीव से नीट पेपर लीक में उनकी भूमिका को लेकर सवाल किए। संजीव ने दावा किया कि उन्हें इस मामले की ज्यादा जानकारी नहीं है और मुख्य रूप से उनका बेटा डॉ. शिव और भतीजा अश्विनी रंजन ही सबकुछ मैनेज कर रहे थे। संजीव ने यह भी खुलासा किया कि डॉ. शिव का दोस्त डॉ. शुभम भी इस रैकेट में शामिल है।

ईओयू: नीट पेपर लीक में तुम्हारी क्या भूमिका है?

संजीव: सर, इसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं मालूम है। इस बारे में मेरा बेटा डॉ. शिव और भतीजा अश्विनी रंजन ही सबकुछ जानते हैं। वहीं, दोनों बिहार में सबकुछ मैनेज कर रहे थे। शिव का दोस्त डॉ. शुभम को भी इसकी जानकारी होगी।

जानकारी के अनुसार, डॉ. शिव को पिछले साल सिपाही बहाली प्रश्नपत्र लीक मामले में उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल जमानत पर है, लेकिन नए तथ्यों के आधार पर ईओयू अब फिर से उनकी तलाश में जुट गई है।

संजीव ने पूछताछ में बताया कि नीट के प्रश्नपत्र सॉल्व करने के लिए बिहार, झारखंड और राजस्थान के लगभग 200 डॉक्टरों का नेटवर्क काम करता था। ये डॉक्टर सॉल्वर के तौर पर काम करते थे और प्रत्येक पेपर सॉल्व करने के लिए 8 से 10 लाख रुपये लेते थे।

ईओयू: नीट का प्रश्नपत्र किससे सॉल्व कराते हो?

संजीव: सर, डॉक्टर सॉल्वर के तौर पर काम करते थे। मेरे और मेरे बेटे डॉ. शिव के संपर्क में बिहार, झारखंड और राजस्थान के लगभग 200 डॉक्टर हैं। इन्हीं डॉक्टरों को पेपर सॉल्व करने का काम दिया जाता था। उन्हें इसके लिए 8-10 लाख रुपये देते थे।

ईओयू को संजीव की मेल आईडी, मोबाइल और डायरी से पटना मेडिकल कॉलेज (पीएमसीएच), नालंदा मेडिकल कॉलेज (एनएमसीएच), एम्स पटना और कटिहार मेडिकल कॉलेज (केएमसीएच) सहित कई मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों के नाम मिले हैं। इन नामों का सत्यापन चल रहा है।

संजीव से उनकी संपत्ति के स्रोत को लेकर भी सवाल किए गए। उन्होंने दावा किया कि उनके पास कोई खास संपत्ति नहीं है और जो कुछ है, वह उनकी पत्नी, बच्चों और पिता के नाम पर है। संजीव ने यह भी कहा कि उनकी पत्नी ने 2020 में लोजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उनका सारा पैसा खर्च हो गया।

ईओयू: तुम्हारे पास इतनी संपत्ति कहां से आई?

संजीव: सर, मेरे पास कहां संपत्ति है। जो है भी वो पत्नी, बच्चे और पिता के नाम है। पत्नी ने 2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था। लोजपा से टिकट मिला था। मेरा सारा पैसा चुनाव लड़वाने में खर्च हो गया। मेरे पास कुछ नहीं है।

हालांकि, जांच में पता चला है कि संजीव पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज है। उनकी संपत्ति उनकी घोषित आय से 144% अधिक है, जिसकी अनुमानित कीमत 1 करोड़ 75 लाख रुपये है। संजीव कथित तौर पर अपनी संपत्तियों को रिश्तेदारों के नाम ट्रांसफर कर रहा है ताकि वे जब्त न हो सकें।

सीबीआई की दिल्ली टीम अब संजीव को रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की तैयारी में है। जांच एजेंसियां इस मामले में शामिल अन्य लोगों खासकर डॉ. शिव, अश्विनी रंजन और डॉ. शुभम की तलाश तेज कर रही हैं। साथ ही मेडिकल कॉलेजों से जुड़े डॉक्टरों की भूमिका की भी गहन जांच की जा रही है।

बहरहाल, यह मामला न केवल नीट पेपर लीक तक सीमित है, बल्कि इससे शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़े माफिया नेटवर्क का खुलासा हुआ है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।

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