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बिहार में मखाना क्रांति: सरकार की नई योजना से किसानों को मिलेगा बढ़ावा 

बिहार सरकार की यह पहल मखाना किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आई है। अनुदान, भंडारण सुविधा और उन्नत बीजों के जरिए न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में भी इजाफा होगा। यह योजना बिहार को मखाना उत्पादन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है…

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार सरकार ने मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने और इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है। देश और दुनिया में मखाना की बढ़ती मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने इसकी खेती को मजबूत करने के लिए जिलावार रणनीति बनाई है। इस योजना के तहत मखाना की खेती के क्षेत्र का विस्तार, भंडारण के लिए गोदामों का निर्माण, उन्नत बीजों का विकास और किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की तैयारी की गई है। 

बिहार सरकार ने कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और सहरसा जैसे जिलों में मखाना की खेती के लिए नए क्षेत्र विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए किसानों को खेती में होने वाली लागत का 75 प्रतिशत अनुदान के रूप में दिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक खेत प्रणाली के तहत मखाना उत्पादन की प्रति हेक्टेयर लागत 97,000 रुपये होगी। जिसमें से 72,750 रुपये सरकार अनुदान के रूप में वहन करेगी। इससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होगा और वे अधिक उत्साह के साथ मखाना की खेती को अपनाएंगे।

भंडारण की समस्या का समाधानः मखाना किसानों के सामने हमेशा से भंडारण की समस्या एक बड़ी चुनौती रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और सहरसा जिलों में भंडार गृह बनाने का फैसला किया है। प्रत्येक भंडार गृह के निर्माण पर 10 लाख रुपये की लागत आएगी। जिसमें से 75 प्रतिशत यानी 7.5 लाख रुपये सरकार अनुदान के रूप में देगी। इन भंडार गृहों के बनने से मखाना का सुरक्षित भंडारण संभव होगा और किसानों को अपनी उपज को बाजार में सही समय पर बेचने में मदद मिलेगी।

उन्नत बीज वितरण और उत्पादनः मखाना की खेती को और बेहतर बनाने के लिए सरकार ने बीज वितरण और उन्नत प्रजातियों के विकास पर भी ध्यान दिया है। कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया जिलों में मखाना के बीज अनुदान पर वितरित किए जाएंगे। बीज की प्रति हेक्टेयर लागत 54,000 रुपये होगी। जिसमें से 75 प्रतिशत (40,500 रुपये) सरकार द्वारा अनुदान के रूप में दिया जाएगा। इसके अलावा पूर्णिया, दरभंगा, मधेपुरा और किशनगंज जिलों में स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 जैसी उन्नत प्रजातियों के बीजों का उत्पादन किया जाएगा। इन उन्नत बीजों के उत्पादन पर 97,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत आएगी। जिसमें से 75 प्रतिशत अनुदान सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

मखाना किसानों के लिए नई उम्मीदः यह योजना न केवल मखाना उत्पादन को बढ़ाएगी, बल्कि बिहार के किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगी। मखाना, जिसे फॉक्स नट या लोटस सीड के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। बिहार पहले से ही देश का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है और इस नई योजना से राज्य इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकेगा।

 

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