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पटना में गिरफ्तार NEET-UG 2024 पेपर लीक सरगना संजीव मुखिया को लेकर बड़ा खुलासा

कथित संजीव मुखिया का परिवार भी उसकी आपराधिक गतिविधियों में गहरे तक शामिल है। उसका बेटा शिव कुमार पटना मेडिकल कॉलेज से स्नातक है, वह BPSC पेपर लीक मामले में जेल में है। उसका भांजा रॉकी उर्फ राकेश रंजन भी NEET-UG मामले में गिरफ्तार हो चुका है। मुखिया की पत्नी ममता देवी...

पटना, 25 अप्रैल 2025 (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक सनसनीखेज कार्रवाई में NEET-UG 2024 पेपर लीक मामले के मुख्य आरोपी संजीव कुमार उर्फ संजीव मुखिया उर्फ लूटन मुखिया को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी बीती देर रात पटना के सगुना मोड़ इलाके में एक फ्लैट से की गई, जहां वह 11 महीनों से फरार होने के बाद छिपा हुआ था। बिहार पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।

नालंदा जिले के नगरनौसा थाना क्षेत्र के शाहपुर बलवा गांव का निवासी संजीव मुखिया मई 2024 में NEET-UG पेपर लीक के बाद से फरार था। जांच एजेंसियों, जिसमें EOU, STF और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) शामिल हैं, सबने उसे पकड़ने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और नेपाल तक छापेमारी की। मुखिया की नेपाल में छिपने की खबरों ने उसकी गिरफ्तारी को और चुनौतीपूर्ण बना दिया था।

पटना पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि मुखिया सगुना मोड़ के एक फ्लैट में छिपा है। इस आधार पर EOU और STF की संयुक्त टीम ने देर रात छापेमारी कर उसे धर दबोचा। EOU के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) नैयर हसनैन खान के अनुसार संजीव मुखिया एक संगठित गिरोह का सरगना था, जो बिहार और अन्य राज्यों में पेपर लीक की घटनाओं को अंजाम देता था। उसकी गिरफ्तारी परीक्षा में धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत है।

बता दें कि 5 मई 2024 को देशभर के 4,750 केंद्रों पर आयोजित NEET-UG 2024 परीक्षा में पेपर लीक की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। पटना पुलिस ने सबसे पहले इस घोटाले का खुलासा किया, जब पता चला कि पटना के एक निजी स्कूल में 20-25 छात्रों को परीक्षा से एक दिन पहले प्रश्नपत्र और उत्तर उपलब्ध कराए गए थे। प्रत्येक छात्र से इसके लिए 30-40 लाख रुपये वसूले गए थे।

जांच पहले स्थानीय पुलिस ने शुरू की, फिर इसे EOU को सौंपा गया और अंत में इसकी गंभीरता को देखते हुए CBI को हस्तांतरित कर दिया गया। इस घोटाले ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए और देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता पर बहस छेड़ दी।

संजीव मुखिया की आपराधिक गतिविधियां केवल NEET-UG 2024 तक सीमित नहीं हैं। पिछले दो दशकों से वह विभिन्न प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक में शामिल रहा है। उसका आपराधिक रिकॉर्ड 2010 से शुरू होता है, जब उसका नाम पहली बार पेपर लीक के एक मामले में सामने आया था। 2016 में उसे उत्तराखंड में मेडिकल प्रवेश परीक्षा का पेपर लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में उसे दो महीने में जमानत मिल गई थी।

मुखिया पर कई हाई-प्रोफाइल परीक्षाओं के पेपर लीक का आरोप है, जिनमें बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE 3.0), बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा (2023) लीक के कारण रद्द करना पड़ा, हरियाणा पशु चिकित्सक और अंग्रेजी शिक्षक भर्ती परीक्षाएं शामिल हैं।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। क्योंकि उसकी संपत्ति उसकी आय से 144% अधिक पाई गई थी। मुखिया का अंतरराज्यीय गिरोह बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में सक्रिय था। प्रश्नपत्रों को छपाई, पैकेजिंग या परिवहन के दौरान हासिल करता था और फिर इसे सॉल्वर गैंग के जरिए उम्मीदवारों तक पहुंचाता था।

मुखिया का परिवार भी उसकी आपराधिक गतिविधियों में गहरे तक शामिल है। उसका बेटा शिव कुमार पटना मेडिकल कॉलेज से स्नातक है, वह BPSC पेपर लीक मामले में जेल में है। उसका भांजा रॉकी उर्फ राकेश रंजन भी NEET-UG मामले में गिरफ्तार हो चुका है। मुखिया की पत्नी ममता देवी भुतहाखार पंचायत की पूर्व मुखिया रह चुकी हैं और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हरनौत सीट से केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं।

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने मुखिया के कथित राजनीतिक कनेक्शन को लेकर सत्ताधारी गठबंधन पर निशाना साधा है। RJD ने आरोप लगाया कि मुखिया को संरक्षण देने में सत्ताधारी दल के नेता शामिल हैं। इन आरोपों ने मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है, और विपक्ष ने मुखिया के कनेक्शनों की गहन जांच की मांग की है।

बिहार पुलिस ने हाल के महीनों में मुखिया की गिरफ्तारी के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए थे। अप्रैल 2024 में, उसकी गिरफ्तारी के लिए 3 लाख रुपये और उसके दो सहयोगियों शुभम कुमार और राजकिशोर कुमार के लिए 1-1 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई थी। मार्च 2025 में EOU ने मुखिया के घर पर एक नोटिस चस्पा किया था, जिसमें उसकी संपत्ति जब्त करने की चेतावनी दी गई थी। इन उपायों के साथ-साथ लगातार छापेमारी और खुफिया जानकारी ने आखिरकार उसकी गिरफ्तारी को संभव बनाया।

बहरहाल मुखिया की गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लेकिन जांचकर्ताओं का मानना है कि यह केवल हिमशैल का सिरा है। EOU और CBI को उम्मीद है कि उससे पूछताछ में उसके नेटवर्क और अन्य सहयोगियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। एक वरिष्ठ EOU अधिकारी ने कहा कि मुखिया की जानकारी पेपर लीक के पूरे तंत्र को उजागर कर सकती है, जिसमें प्रिंटिंग प्रेस से लेकर बिचौलियों और लाभार्थियों तक शामिल हैं।

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