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CM नीतीश कुमार के विवादित व्यवहार बन रही NDA की मुसीबत

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के मुख्यमंत्री (CM) नीतीश कुमार लंबे समय से राज्य की राजनीति के केंद्र में हैं। लेकिन वे हाल के महीनों में अपने असामान्य और विवादास्पद व्यवहार के कारण चर्चा में हैं। उनकी कुछ हरकतों ने न केवल राजनीतिक हलकों में, बल्कि आम जनता और सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। आज उनका मंत्री अशोक चौधरी को लेकर संबोधन भी नीतीश की वाक्य शैली को हल्का बनाती है।

महिला के साथ मंच पर व्यवहार (मार्च 2025): एक सार्वजनिक कार्यक्रम में नीतीश कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे एक महिला को कथित तौर पर आपत्तिजनक तरीके से अपनी ओर खींचते और उनके कंधे पर लंबे समय तक हाथ रखे नजर आए। इस घटना की तीखी आलोचना हुई। खासकर विपक्षी दलों जैसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे उनकी रोजमर्रा की फितरत करार दिया। जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा।

सदन में असभ्य टिप्पणियां (नवंबर 2023): नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में जनसंख्या नियंत्रण और महिलाओं की शिक्षा के संदर्भ में ऐसी टिप्पणियां कीं, जिन्हें कई लोगों ने अशोभनीय और गरिमाहीन माना। उन्होंने प्रजनन दर और यौन शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर जिस भाषा और अंदाज का इस्तेमाल किया, उसकी वजह से विपक्ष ने उन पर निशाना साधा। हालांकि नीतीश ने बाद में माफी मांगी। लेकिन इस घटना ने उनकी सावधानीपूर्वक बनाई गई सुशासन बाबू की छवि पर सवाल उठाए।

सार्वजनिक मंचों पर असामान्य व्यवहारः नीतीश कुमार के हालिया सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनके हावभाव और भाषण शैली ने कई लोगों को हैरान किया है। कुछ मौकों पर वे असंबद्ध या असामान्य टिप्पणियां करते दिखे। राष्ट्रगाण के दौरान उनके व्यवहार की भी खूब किरकिरी हुई। जिससे उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को लेकर अटकलें तेज हुईं। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने तो सार्वजनिक रूप से यह कहा कि नीतीश होश में नहीं हैं और थक चुके हैं।

स्वास्थ्य संबंधी अटकलें: नीतीश कुमार की उम्र (74 वर्ष) और बार-बार सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी खबरें उनके व्यवहार को समझने का एक संभावित कारण हो सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लंबे समय तक सत्ता में रहने और तनावपूर्ण गठबंधन राजनीति का दबाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है। हालांकि नीतीश और उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने इन अटकलों को खारिज किया है।

राजनीतिक दबाव और गठबंधन की उलझनः नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा में बार-बार गठबंधन बदलने (एनडीए से महागठबंधन और फिर वापस एनडीए) ने उन्हें आलोचना का पात्र बनाया है। 2024 में नौवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनकी पार्टी जद(यू) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ तालमेल बिठाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा के कुछ नेताओं ने बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जताई है। जिससे नीतीश पर दबाव बढ़ा है। इस तनाव का असर उनके सार्वजनिक व्यवहार में दिखाई दे सकता है।

छवि को नुकसान और विपक्ष का हमलाः नीतीश कुमार को सुशासन बाबू के रूप में जाना जाता रहा है।  लेकिन हाल के विवादों ने उनकी इस छवि को धूमिल किया है। विपक्ष, खासकर राजद और इसके नेता तेजस्वी यादव इन घटनाओं को नीतीश की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले यह राजनीतिक रणनीति नीतीश के लिए खतरा बन सकती है।

महिला मतदाताओं पर असरः नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में महिलाओं के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। लेकिन हाल के विवाद खासकर महिलाओं के प्रति उनके व्यवहार से जुड़े, उनके महिला समर्थक आधार को कमजोर कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं।

पार्टी के भीतर असंतोषः जद(यू) के भीतर नीतीश के उत्तराधिकारी को लेकर अनिश्चितता है। उनके हालिया व्यवहार ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में निराशा पैदा की है। कुछ नेताओं का मानना है कि नीतीश की छवि को नुकसान पार्टी के लिए 2025 के चुनाव में नुकसानदायक हो सकता है।

विपक्ष को मजबूतीः नीतीश के विवादित व्यवहार ने विपक्ष को एकजुट होने और हमला करने का मौका दिया है। राजद और अन्य दल इसे नीतीश की सरकार को लाचार और असफल साबित करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

सच पुछिए तो बिहार जैसे जटिल राज्य में नेतृत्व की छवि और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण रही हैं। नीतीश को अपनी साख बचाने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर वे ऐसे विवादों को संभालने में विफल रहते हैं तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को बल्कि जद(यू) और भाजपा नीत एनडीए गठबंधन के लिए घातक साबित हो सकता है।

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