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      बीजेपी मीडिया, पुलिस और सिविल कोर्ट ग्रुप में पोस्ट आपत्तिजनक तस्वीरें से मचा हड़कंप

      सोशल मीडिया की घटना न केवल साइबर सुरक्षा बल्कि डिजिटल शिष्टाचार की गंभीरता को भी उजागर करती है। ऐसे मामलों में ग्रुप एडमिन और सदस्यों को तुरंत सतर्क रहना चाहिए और साइबर अपराध शाखा को इसकी सूचना देनी चाहिए। क्या आप इस विषय पर कोई विश्लेषण या प्रतिक्रिया चाहते हैं या आपको इससे संबंधित कोई और जानकारी चाहिए…?

      नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। सोशल मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुप्स आज के समय में संवाद और सूचना के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण माध्यम बन चुके हैं। लेकिन जब ऐसे प्रतिष्ठित ग्रुप्स में अनुचित सामग्री साझा की जाती है तो यह न केवल चिंता का विषय बन जाता है, बल्कि इससे जुड़े लोगों की गरिमा और प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ता है।

      सोमवार की शाम करीब 5 बजे नालंदा जिले में कई महत्वपूर्ण व्हाट्सएप ग्रुप्स-पुलिस,  बीजेपी मीडिया और सिविल कोर्ट ग्रुप में अचानक एक आपत्तिजनक नग्न तस्वीरें साझा किए जाने से हड़कंप मच गया। इन ग्रुप्स में कई सम्मानित सदस्य, वकील, पत्रकार और प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े लोग शामिल हैं। जिससे यह मामला और भी संवेदनशील बन गया।

      बीजेपी मीडिया ग्रुप जिसे पार्टी के मीडिया संपर्क के लिए बनाया गया था, वहां इस तरह की तस्वीर साझा होने के बाद ग्रुप के कई सदस्यों ने कड़ी नाराजगी जताई और इसकी कड़ी निंदा की। कुछ ही देर बाद यही तस्वीर सिविल कोर्ट ग्रुप में भी साझा कर दी गई। जिससे वहां के सदस्य भी हैरान और आक्रोशित हो गए।

      तस्वीर के वायरल होते ही ग्रुप के सम्मानित सदस्यों में गहरी नाराजगी और असहजता फैल गई। कई लोगों ने इसे साइबर अपराध करार देते हुए तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की। कुछ सदस्यों ने ग्रुप एडमिन से तुरंत हस्तक्षेप करने को कहा। जबकि कुछ ने विरोधस्वरूप ग्रुप छोड़ दिया।

      साइबर अपराध विशेषज्ञों का मानना है कि यह किसी शरारती तत्व द्वारा किया गया साइबर अटैक हो सकता है। इस तरह की घटनाओं में साइबर सेल को तुरंत सूचना देकर जांच करानी चाहिए। ताकि पता लगाया जा सके कि यह किसी व्यक्ति की जानबूझकर की गई हरकत है या किसी ग्रुप हैकिंग का मामला है।

      बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने इस घटना पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि इस तरह के कृत्य को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पार्टी ने इस मामले को लेकर विस्तृत जांच की बात कही है। वहीं सिविल कोर्ट ग्रुप से जुड़े कई वकीलों और न्यायिक अधिकारियों ने इस घटना को गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण बताया और जल्द से जल्द दोषी व्यक्ति को ढूंढकर सजा देने की मांग की।

      विशेषज्ञों के अनुसार अगर किसी व्हाट्सएप ग्रुप में अश्लील सामग्री साझा होती है तो ग्रुप एडमिन को तुरंत संदिग्ध व्यक्ति को ग्रुप से हटाना चाहिए। साइबर सेल को सूचना देनी चाहिए। ग्रुप की सेटिंग बदलकर केवल एडमिन को संदेश भेजने की अनुमति देनी चाहिए।

      बहरहाल, नालंदा में हुई इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर शिष्टाचार और सुरक्षा के नियमों का पालन कितना जरूरी है। वर्तमान समय में साइबर अपराधों में तेजी देखी जा रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम डिजिटल सतर्कता बरतें और इस तरह की घटनाओं पर तुरंत और सख्त कार्रवाई करें।

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