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    Saturday, April 27, 2024
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      सुशासन बाबू, कुर्सी से उतर जाइए, यह कुर्सी है कोई जनाजा नहीं !

       “आत्मा और अंतरात्मा में फर्क होता है। आत्मा जनता के पास होती है, नेता के पास अंतरात्मा होती है। राजनीतिक जीवन में काफी उतार-चढ़ाव आते है। अंतरात्मा उस वक्त बड़े काम की चीज होती है। जो कुछ करना अंतरात्मा से करना यह घड़ी अंतरात्मा की है। इस लॉकडाउन में सीएम नीतीश कुमार अंतरात्मा की आवाज दबाये बैठें हुए है

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)।  कहते हैं उनकी अंतरात्मा की आवाज सिर्फ भ्रष्टाचार पर जगती है। लेकिन वो फेल दिखा, जब एक ओहदेदार एक मामूली से कानून के सिपाही को अपने पैरों पर झुका देता हैं। बदले में आप कानून को ठेंगे पर रखने वाले को  कार्रवाई की जगह जिले से राजधानी में एक निदेशक के तमगे से नवाज कर उसे इनाम देते हैं।

      nitish kota 1सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर कोटा में फंसे बिहारी छात्रों के प्रति नकारात्मक रूख दिखाया। राजस्थान के कोटा शहर में कोचिंग करने वाले छात्रों को कुछ राज्यों द्वारा निकालने के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने कहा कि पांच लोग सड़क पर आकर मांग करने लगेंगे तो सरकार क्या झुक जाएगी।

      सरकार ऐसे काम थोड़े करती है। उन्होंने कहा कि वे सब संपन्न परिवार के हैं। उनको वहां क्या दिक्कत है। दस हजार बच्चों को बिहार ले आयें।  सीएम नीतीश कुमार के इस बयान के बाद छात्रों और उनके अभिभावकों में मायूसी और गुस्सा जरूर नजर आया होगा।

      कोटा में फंसे अपने बच्चों के लिए हर राज्य चिंतित है। यूपी वाले ले आये, असम वाले अपने बच्चों को डबल इंजन चार्टेट विमान से बच्चों को ले आएं, आंध्रा वाले ले आएं, जम्मू वाले बच्चे भी चलें गये।

      लेकिन बिहार सरकार जिद पर अडी है। पटना हाईकोर्ट को जवाब दिया। मी लॉड, लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन कर रहे हैं।

      सरकार के इस दावे पर कोई भी आपत्ति कर सकता है। सवाल कर सकता है। जब दूसरे राज्य लॉकडाउन तोड़ कर अपने बच्चों को ला रहें हैं तो उन्हें इस अपराध के लिए क्या सजा मिलेगी। चार्टेड प्लेन से छात्रों को लाने की आज्ञा किसने दी।crupt criminal officer manoj kumar police

      पिछले एक माह से बिहार के मजदूर -कामगार लॉकडाउन में फंसे हैं। हजारों किलोमीटर का सफर पैदल तय कर अपने गांव की ओर भाग  रहें हैं। भूख -प्यास से बेहाल रास्ते में दम तोड़ दे रहें है।

      दूसरी तरफ बिहार के दस हजार छात्र कोटा में फंसे हुए हैं। लेकिन आपको न मजदूरों के दर्द की परवाह हैं न कोटा में फंसे छात्रों की। आपको सिर्फ कोरोना की चिंता है। इनसे कोरोना फैल जाएगा। मजदूरों -छात्रों के आने पर आपने रोक लगा दी है। क्योंकि इससे लॉकडाउन टूट जाएगा।

      लेकिन कैसा लॉकडाउन आपके सरकार में सहयोगी बीजेपी का एक विधायक अपने बच्चों को कोटा से ले आता हो दूसरे विधायक लॉकडाउन तोड़ रहें हैं। लेकिन आप अपने सिद्धांत पर अड़े  हुए हैं।

      छात्रों के लिए ऐसी नफरत भरी असंवेदनशीलता, दुःखद है। कोटा में फंसे छात्र डिप्रेशन के शिकार हो रहें हैं। वहाँ फंसे छात्रों के माता -पिता के फोन मीडिया को आ रहा है। गुहार लगा रहें हैं। कुछ मदद कीजिए।

      कोटा में पढ़ाई बंद, परीक्षाएं नहीं हो रही है। ऐसे में अगर बच्चे अपने घर आना चाहते हैं तो दिक्कत क्या है। यूपी के सीएम,असम के सीएम हीरो बन गये। वही राजस्थान के सीएम की सराहना हो रही है।

      लेकिन सीएम नीतीश कुमार जानते हैं जब राजनीति  में जनता का अस्तित्व समाप्त हो जाता है तो वह धर्म को राजनीति समझने लगती है तो राजनीतिक दल उसे अपना गुलाम समझने लगते हैं।

      जानते हैं ये अभिजात्य वर्ग वाले जाएंगे कहां ये हमारे मानसिक गुलाम हैं। बिहार की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर जिस दल के साथ सत्ता सुख भोग रहे हैं, उन्हें पता है इसी दल के वोटर हमें कुर्सी तक फिर पहुचायेगें।

      लेकिन बिहार के मरते मजदूर बिलखते बच्चे सवाल तो पूछेगे ही जो संकट की घड़ी में अपनी ही प्रजा को भूल जाएँ, ऐसा गठबंधन और सरकार किस लिए। कुर्सी के लालच में असहाय और असंवेदनशील क्यों।

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