Sunday, October 6, 2024
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    आखिर इस दिव्यांग शिक्षक को प्रताड़ित करने का मतलब क्या है?

    पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। चुनाव कोई भी हो, उसकी आहट से ही यह 70 फीसदी दिव्यांग शिक्षक सिहर उठता है। सबकुछ जानते भी विभागीय अधिकारी इस शिक्षक को चुनाव ड्यूटी की सूची में डालकर परेशान करने में जुट जाते हैं। पिछला चुनाव में भी यही परेशानी सामने आई थी।

    इस दिव्यांग युवक का कहना है कि स्थानीय विभागीय अधिकारी उन्हें जानबूझकर परेशान करते हैं। इसकी एवज में अवैध राशि की मांग करते हैं। अगर हजार-दो हजार का चढ़ावा चढ़ा दिए तो ठीक, अन्यथा सब प्रक्रिया में उसे चार-पांच हजार की राशि खर्च हो जाती है।

    जी हाँ। हम बात कर रहे हैं पटना जिले के धनरुआ प्रखंड अवस्थित मध्य विद्यालय धनरुआ में कार्यरत दिव्यांग शिक्षक चंद्रमणि कुमार की।

    वे बिना सहारे अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकते हैं और विद्यालय के बगल में हीं एक  किराए के मकान में रहते हैं तथा व्हीलचेयर या ट्राई साइकिल के द्वारा विद्यालय आते- जाते हैं। इस दौरान भी उन्हें किसी न किसी व्यक्ति की मदद लेनी पड़ती है।

    इसके बावजूद उन्हें धनरुआ प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने आसन्न लोकसभा चुनाव-2024 कार्य में लगाए जाने हेतु प्रशिक्षण से संबंधित सूचना दा है। जिस कार्य को  करने वे तरह से असक्षम है। यह दिव्यांग अधिकार अधिनियम- 2016 के प्रतिकूल भी है।

    दिव्यांग शिक्षक चंद्रमणि कुमार बताते हैं कि प्रत्येक चुनाव में उन्हें चुनाव ड्यूटी का पत्र निर्गत कर परेशान किया जाता है। उन्हें चुनाव ड्यूटी से मुक्त होने के लिए रिजर्व वाहन एवं दो आदमी के सहयोग से पटना कार्यालय जाना पड़ता है। जिससे उन्हें असहनीय परेशानी के साथ 4000 से ₹5000 तक की आर्थिक क्षति होती है। वे हमेशा मानसिक रूप से भयभीत भी रहते हैं कि कहीं चुनाव कार्य न कर पाने के कारण उन्हें नौकरी से निलंबित न होना पड़े।

    श्री कुमार का कहना है कि भ्रष्ट पदाधिकारी की मिलीभगत से उनके जैसे दिव्यांग को हमेशा परेशान और प्रताड़ित किया जाता है। जिसका स्पष्ट साक्ष्य उनके मोबाइल पर किए गए मैसेज है। जबिक उनकी दिव्यांगता का प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग के हर कार्यालय में उपलब्ध है। क्योंकि उनकी नौकरी ही दिव्यांगता कोटि के तहत हुई है। उसके बाद भी उन्हें चुनाव कार्य से संबंधित पत्र अनावश्यक व बेवजह परेशान किया जाता है।

    बकौल दिव्यांग शिक्षक चंद्रमणि कुमार, शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारी यह सिर्फ वसूली के लिए करते हैं। उनसे हजार दो हजार की मांग की जाती है। यदि दे दिया तो ठीक, अन्यथा उन्हें चुनाव कार्य मुक्त होने के लिए मेडिकल आदि बनाने के लिए पटना जाना पड़ता है औऱ इस दौरान उन्हें भारी परेशानी और खर्च का वहन करना पड़ता है।

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