नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। वर्ष 1994 में नूरसराय प्रखंड का मनारा गांव नरसंहार के बाद चर्चा में आया था। वर्तमान समय में इस गांव की प्रसिद्धि पियाकङो़ं के गांव के रूप होने लगी है।
नालंदा जिले के नूरसराय थाना क्षेत्र का मनारा गांव में प्रतिदिन हजारों रुपया का दारू ग्रामीण पी रहे हैं। जिसका बुरा असर युवाओं पर पड़ रहा है। शांत रहने वाला यह गांव शराबियों के कारण आए दिन नीत प्रति दिन गाली गलौज का माहौल देखने को मिल रहा है।
बताया जाता है कि नालंदा जिले के सीमाओं पर पुलिस प्रशासन सख्ती बरत रही है, ताकि पड़ोसी राज्यों से जिले में शराब ना आ सके। परंतु ,नूरसराय प्रखंड के मनारा गांव में शराबीयों के पास चुलाउं दारू एक कॉल करते ही पहुंच जाता है।
मोटरसाइकिल पर सवार होम डिलीवरी करने वाले युवक पॉलिथीन में पैक घरों तक दारू का होम डिलीवरी करते हैं।
बताया जाता है कि मनारा गांव के समीप ही है धर्मपुर गांव। यहां के दर्जनों लोग नदी किनारे दारु चुलाने का कार्य करते हैं और दारू तैयार कर पॉलिथीन में भर भर कर पीने वालों के यहां मोबाइल कॉल पर पहुंचा देते हैं। धर्मपुर गांव में तैयार दारू का अधिक उपयोग मनारा गांव के पीने वाले द्वारा किया जाता है ।
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि वैसे तो लखीचक़ गांव में भी दारू चुलाने का कार्य होता है, परंतु मनारा गांव के लोग यहां भी दारु पीने चले जाते हैं।
शराब बेचने वाले लोग पॉलिथीन में बांधकर,पॉकेट में लेकर गांव के लोगों तक पहुंचा रहे हैं। प्रति पॉलिथीन ₹100 कीमत वसूला जाता है।
शराब पीकर युवा अपना भविष्य चौपट तो कर ही रहे है। साथ ही शराब बेचने वाले लोगों में अधिकांश युवा ही हैं, जो गलत धंधे में पङ़ कर अपना भविष्य बर्बाद करने में लगे हैं।
सबसे ज्यादा परेशान हैं खुद गांव की महिलाएं। शराब के नशे में लोग घरवालों को गाली गलौज करने से भी बाज नहीं आते हैं। महिलाएं गाली सुनकर सुशासन बाबू को भला बुरा कह कर अपना गुस्सा उतार रहे है।
हालांकि समूचे नूरसराय थाना क्षेत्र में बेरोकटोक दारू चुलाने व बेचने का काम तेजी से फल-फूल रहा है। परंतु, थाने की पुलिस हाथ पर हाथ रख बैठे हुए हैं। जो दर्शाता है कि शराब कारोबारियों और पुलिस में सांठ गांठ है। तभी तो पुलिस छापामारी नहीं करती हैं।