पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। औरंगाबाद जिले में बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा नियुक्त टीआरई वन और टीआरई टू के तहत नियुक्त 9 और विद्यालय अध्यापकों की नौकरी समाप्त कर दी गई है। उन्होंने टीईटी में 60 प्रतिशत से कम नंबर का प्रमाण पत्र संलग्न का स्पष्टीकरण स्वीकार किया है।
औरंगाबाद जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय (स्थापना शाखा) ने लिखा है कि बिहार लोक सेवा आयोग के विज्ञापन संख्या-27/2023 के आलोक में अनुशंसित विद्यालय अध्यापकों के द्वारा पदस्थापन के उपरान्त संबंधित विद्यालयों में योगदान किया गया है।
सूची में अंकित विद्यालय अध्यापकों द्वारा उपस्थापित शैक्षणिक-प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्रों के अवलोकन से स्पष्ट है कि इनकी योग्यता विद्यालय अध्यापक हेतु समुचित नहीं है।
सभी 9 विद्यालय अध्यापकों के शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्राप्तांक 60 प्रतिशत से कम रहने पर नियुक्ति हेतु पात्र नहीं होने के कारण स्पष्टीकरण की मांग की गयी थी।
विदित हो कि किसी भी प्रकार के आरक्षण का लाभ सिर्फ बिहार राज्य के निवासियों को ही देय है। बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देश एवं विज्ञप्ति के आलोक में पटना उच्च न्यायालय द्वारा निर्गत निर्णय के उपरान्त बिहार माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने पत्रांक 1341 दिनांक 15.05.2024 के द्वारा स्पष्ट किया है कि बिहार राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों को शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्णांक हेतु 5 प्रतिशत का छूट देय नहीं होगा।
अपने स्पष्टीकरण में विद्यालय अध्यापकों ने स्वीकार किया है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में उन्होंने 60 प्रतिशत अंक प्राप्त नहीं किया है। अर्थात् विद्यालय अध्यापक की नियुक्ति हेतु प्रकाशित विज्ञापन के आलोक में वे सामान्य श्रेणी हेतु निर्धारित शिक्षक पात्रता परीक्षा की अर्हता पूरी नहीं करते हैं, जबकि आवेदन में उन्होंने अंकित किया है कि वे नियुक्ति हेतु सभी आवश्यक अहर्ता पूरी करते हैं जो सही नहीं है।
वर्णित परिस्थिति में सम्यक् समीक्षोपरान्त उक्त विद्यालय अध्यापक द्वारा बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन में निहित शर्तों के प्रतिकूल रहते हुए भी आवेदन कर विभाग को दिग्भ्रमित कर औपबंधिक नियुक्ति पत्र प्राप्त किया गया है, जो विभागीय निदेश की अवहेलना है। इसीलिए अर्हता पूरी नहीं करने के कारण उपरोक्त विद्यालय अध्यापकों की औपबंधिक नियुक्ति रद्द की जाती है। संचिका पर जिला शिक्षा पदाधिकारी का अनुमोदन प्राप्त है।
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