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    Tuesday, April 30, 2024
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      ‘भाजपाई कुत्ते की तरह भौंक रहे, कांग्रेसी  मेमनों सा मिमिया रहे’

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। बाबूलाल मरांडी को प्रतिपक्ष के नेता की मान्यता को लेकर झारखंड विधानसभा में गतिरोध खत्म नहीं हो रहा है। सदन के अंदर और बाहर विपक्ष और सत्ता पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने लगे हैं।

      विपक्ष का वेल में आना और सत्ता पक्षको सीट पर खड़े होकर जोर-जोर से बोलना आम बात हो गई है। बुधवार को भी सदन में ऐसा ही हुओ। सदन कीकोर्यवाही शुरू होते ही भाजपा के विधायक वेल में आ गए।

      आसन के सामने पोस्टर लेकर नारेबाजी करने लगे। सभी एक सुर में हो-हो की आवाज निकालने लगे। इस पर स्पीकर ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने विपक्ष को कड़े शब्दों में चेताया।

      सदन के बाहर कांग्रेस के विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि सदन में विपक्षको आचरण ठीक नहीं था। विपक्ष के लोग आसन के सामने जाकर कुत्ते की तरह भौंक रहे थे।

      यह ओछी हरकत है। विपक्ष जान बूझ कर सदन को बाधित कर रहा है। आदिवासी सीएम को परेशान किया जा रहा है। श्वेत पत्र फाड़ा गया है।

      इस बयान के बाद भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने पलटवार किया। कहा-इरफान अंसारी ने विधायकों की तुलना कुत्तों से करके संसदीय परंपराओं को रसातल में ले जाने का काम किया है। भाजपा के विधायक सरकार और स्पीकर के गलत कार्यों को विरोध शेर की तरह करेंगे।

      लेकिन इरफान अंसारी ने कांग्रेस में सिर्फ मेमनों के मिमियाने की आवाज सुनी है। इसलिए उन्हें शेरों की दहाड़ समझ में नहीं आती। ऐसे बयान के लिए स्पीकर को तत्काल इरफान की सदस्यता रद्द कर देनी चाहिए।

      ऐसा बयान विधायकों का अपमान है। इरफान पर मानसिक दिवालियापन का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यह उनका राजनीति परवरिश दिखाता है।

      वहीं प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल ने कहा कि जिनका अपनी जुबान पर लगाम न हो, ऐसे लोग विधायक रहने की पात्रता खो देते हैं। उनकी विधायकी तुरंत खत्म होनी चाहिए। कांग्रेस भी सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।

      उधर, विधायक सीपी सिंह ने कहा कि जो थूक कर चाटता है, उसकी बातों को जवाब देना उचित नहीं समझते।

      सदन में विपक्ष के रवैये से नाराज स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने कहा कि कोई मर्यादा में रहकर विरोध करें तो आपत्ति नहीं है। लेकिन असंसदीय माहौल नहीं होना चाहिए। कड़े फैसले लेने के लिए आसन पर दबाव न दें। आसन झुकने वाला नहीं है और न्याय से ही चलेगा। विरोध में भी गंभीरता नजर आनी चाहिए।

      अगर इसी बात को दूसरे लहजे में कहा जाए तो सभी को खराब लगेगा। यह मामला प्रक्रियाधीन है। न्याय होगा। आसन न्याय से कहीं नहीं भाग रहा है। सत्य की जय तो होती ही है। आसन आपके और न्याय के साथ है। किसी भी शंका का शिकार नहीं होना चाहिए।

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