“एक पुरानी कहावत है कि बकरा की मां कब तक खैर मनाएगी, जिसे एक दिन कटना ही है। यह कहावत हर तंत्र में लागू होता है। लोग यह गुमान पाल लेते हैं कि एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति। हालांकि यह सब उनके लिए एक वहम मात्र होता है। क्योंकि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सत्ता अंततः जनता की आवाज सुनने को बाध्य होती है। अच्छे-अच्छे रसुखदार की पैंट गीली हो जाती है…………”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। नालंदा जिले के हिलसा अनुमंडल क्षेत्र में अपने कार्यकाल के दौरान कई मामलों में सुर्खियों में रहे डीएसपी मुतफिक अहमद को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही उनपर विभागीय कार्यवाही चलाने का भी आदेश दिया गया है।
बिहार सरकार के गृह शाखा (आरक्षी विभाग) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार हिलसा के तात्कालीन अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सम्प्रति पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) पूर्णिया को कर्तव्य पालन के दौरान बरती गई कर्तव्यहीनता एंव संदिग्ध आचरण के आरोप में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के फलस्वरुप बिहार सरकारी सेवक नियमावली-2005 के नियाम-9(1) (क) (ग) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
जारी अधिसूचना के अनुसार निलंबन की अवधि में श्री अहमद का मुख्यालय पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय पटना क्षेत्र रहेगा। उन्हें निलंबन की अवधि में बिहार सेवा संहिता के नियम-96 के तहत जीवन निर्वहन भत्ता देय होगा। इस अवधि के दौरान वे सक्षम पदाधिकारी के आदेश के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे। उनके विरुद्ध अलग से विभागीय कार्यवाही संचालित की जाएगी।
वेशक पूर्व डीएसपी के खिलाफ इस कार्रवाई से हिलसा क्षेत्र के लोगों को शुकून मिली है। क्योंकि यहां हर थाना क्षेत्र से जुड़े कई ऐसे मामले हैं, जिसमें डीएसपी द्वारा खुलकर कर्तव्यहीनता और संदिग्ध आचरण का प्रदर्शन किया गया। यहां पुलिस महकमें में एक आम धारणा पनप गई कि न एफआईआर न बही, डीएसपी कहे, वह सही।
सबसे बड़ी बात कि नगरनौसा थाना की हाजत में एक दलित नेता की हत्या के मामले में जितनी संदिग्ध भूमिका वहां के तात्तकालीन थानेदार की मानी जाती है, उससे कम डीएसपी के आचरण पर उंगली नहीं उठी।
हालांकि इस मामले में वर्तमान एसपी नीलेश कुमार का रवैया भी काफी विवादास्पद देखने को मिला। शुक्र है कि मामले की जानकारी मिलते ही सूबे के वरीय पुलिस पदाधिकारी फौरन पहुंचे और न्यायोचित कार्रवाई करते हुए स्थिति को संभाल लिया और क्षेत्र को धधकने से बचा लिया।
फिलहाल इस तरह की कार्रवाई आम जन में शासन के प्रति अच्छा संदेश देती है, वहीं, जिले के अन्य पुलिस अफसरों को चेतावनी भी देती है, जो यह समझ बैठे हैं कि एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति। बिहार शरीफ अनुमंडल क्षेत्र में भी यही स्थिति नजर आ रही है।
राजगीर अनुमंडल क्षेत्र का तो और भी बेड़ा गर्क है। जहां कुछेक सत्ताधारी नेता के बल पूरी पुलिस सिस्टम को ध्वस्त करने पर तुले हैं और सरकार की नियत के खिलाफ माहौल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। हिलसा में डीएसपी इम्तयाज अहमद ने कार्यभार संभाला है। फिलहाल उनके समक्ष एक बड़ी चुनौती पूर्व डीएसपी द्वारा नष्ट किए गए पुलिस-पब्लिक फ्रेंडली धारा को नियंत्रित करने की है।