एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क / लिमटी खरे। कहा जाता है कि सोशल मीडिया की यूनिवर्सिटी को किसी कुलपति या कुलाधिपति की आवश्यकता नहीं होती है, पर सोशल मीडिया पर जो बातें या जिन्हें नेताओं के द्वारा बीच बीच में अफवाहों की संज्ञा दी जाती है वे सिरे से नकारी नहीं जा सकता है।
फिलहाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद कम करने की बातें सोशल मीडिया पर जमकर चल रही हैं।लगभग तीन साल पहले नरेंद्र मोदी के कद के नेताओं की गिनती अगर सोशल मीडिया पर चला करती थी, तो उसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम शीर्ष पर होता था।
उसके अलावा छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह का नाम भी आता था। वर्तमान की अगर बात की जाए तो अब शीर्ष पर उत्तर प्रदेश के निजाम योगी आदित्य नाथ शीर्ष पर हैं।
कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सियासी फेरबदल की चर्चाएं जमकर चल रही हैं। इसी बीच दिल्ली के आला नेताओं के अलावा शिवराज सिंह चौहान के विरोधी समझे जाने वाले नेताओं की चाय पर चर्चा की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इन बातों (अफवाहों) को बल मिलना आरंभ भी हुआ।
इधर उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ फिलहाल दिल्ली दौरे पर हैं, और उनकी मुलाकात गृहमंत्री अमित शाह से हो चुकी है। वे आला नेताओं यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी भेंट की है।
वहीं, भाजपा के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो योगी के कद से भाजपा के कुछ चुनिंदा आला नेता न केवल चिंतित हैं, वरन उनके पर कतरने की तैयारियां भी आरंभ कर दी गई हैं।
भाजपा के एक आला नेता ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि योगी आदित्यनाथ को अगर पदच्युत किया जाता है तो इसका संदेश अच्छा नहीं जाएगा साथ संघ भी इस कदम से नाराज हो सकता है।
इसलिए अब वे आला नेता जो योगी के बढ़ते कद से भयाक्रांत हैं, उनके द्वारा सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे की तर्ज पर इसका हल निकालने के प्रयास आरंभ कर दिए हैं।
उक्त नेता का कहना था कि कांग्रेस छोड़कर हाल ही में भाजपा में शामिल हुए जतिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश सरकार में किसी महत्वपूर्ण विभाग की जवाबदेही सौंपी जाकर उन्हें उत्तर प्रदेश में सक्रिय किया जा सकता है जहां अगले बरस चुनाव होना है।
वहीं, पीएमओ के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि उत्तर प्रदेश को पहले दो भागों में बांटकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के निर्माण के बाद शेष बचे रह गए उत्तर प्रदेश को उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल और मध्य प्रदेश के कुछ जिलों का इसमें समावेश कर पृथक बुंदेलखण्ड का निर्माण भी किया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि ऐसी चाल चलकर योगी आदित्यनाथ को पूर्वांचल का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है क्योंकि उनके मठ आदि भी उसी क्षेत्र में हैं और उनका प्रभाव भी पूर्वांचल में ज्यादा है। इस तरह एक बड़े सूबे के निजाम के बजाए योगी आदित्यनाथ छोटे से पूर्वांचल के मुख्यमंत्री रह जाएंगे और उनका प्रभाव अपने आप ही कम हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों (बुंदेलखण्ड, उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल और हरित प्रदेश) में तोड़ने का प्रस्ताव लगभग नौ साल पहले 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रहीं मायावती के द्वारा विधानसभा में पहले ही पारित कराया जा चुका है इसलिए अब नरेंद्र मोदी या अमित शाह को मायावती के इस निर्णय को आगे बढ़ाने में शायद ही परेशानी हो।
सूत्रों का कहना है कि 2022 में विधान सभा चुनावों में अगर योगी ने फतह हासिल कर भी ली तो उनका प्रभाव पूर्वांचल तक ही ही रह जाएगा। इसके साथ ही साथ जिस तरह उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, झारखण्ड आदि को बनाकर यहां के मुख्यमंत्रियों का प्रभाव कम कर दिया गया था।
उसी तरह योगी आदित्यनाथ को भी छोटे से क्षेत्र में घेरकर रखने की तैयारी की जा रही है। इन चुनिंदा नेताओं को खतरा है कि अगले लोकसभा चुनावों में संघ योगी का चेहरा ही आगे कर चुनाव लड़ने की कवायद न कर दे।
सूत्रों की मानें तो इसके पहले सोशल मीडिया में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी एवं उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य अरविंद शर्मा को मंत्रीमण्डल में शामिल करने को लेकर मोदी व योगी में टकराव की खबरें जमकर वायरल हुईं थीं। ये खबरें प्लांटेड कतई नहीं मानी जा सकती हैं, यह सब कुछ इसी रणनीति का ही हिस्सा माना जा सकता है।
सूत्रों ने आगे बताया कि चूंकि अरविंद शर्मा पूर्वांचल के मऊ जिले के निवासी होने के साथ ही साथ मोदी के विश्वस्त माने जाते हैं, इसलिए किसी विषम परिस्थिति में उन्हें पूर्वांचल के मुख्यमंत्री के बतौर स्टेण्ड बॉय में रखा गया है।