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BPSC पेपर लीक विवाद: राहुल गांधी ने अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज को बताया ‘शर्मनाक’

शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों का मानना है कि BPSC पेपर लीक मामला न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। यह समय है कि सरकार पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली सुनिश्चित करे। ताकि युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके

नई दिल्ली (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) पेपर लीक प्रकरण ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। इस मामले में पटना में प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज को लेकर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे युवाओं के अधिकारों का हनन करार दिया है।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा है, “मैंने संसद में कहा था कि जिस तरह एकलव्य का अंगूठा कटवाया गया था, उसी तरह आज के युवाओं का अंगूठा पेपर लीक और भ्रष्टाचार के जरिए काटा जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण बिहार में हुआ BPSC पेपर लीक है।”

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि यह मामला सिर्फ पेपर लीक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने की साजिश है। उन्होंने यह भी लिखा है कि छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर लाठीचार्ज करना न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि सरकार की नाकामी को छुपाने की बौखलाहट का प्रमाण है।

राहुल गांधी ने आगे लिखा है, “हम इन छात्रों के साथ खड़े हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए हर संभव लड़ाई लड़ेंगे। यह सरकार युवाओं के सपनों को कुचलने का काम कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

दरअसल, BPSC परीक्षा में पेपर लीक की घटना सामने आने के बाद से परीक्षार्थियों में गहरा आक्रोश है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मुख्य मांग है कि पूरी परीक्षा प्रक्रिया को रद्द किया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। हालांकि सरकार की ओर से इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जिससे विरोध और तेज हो गया।

इस मामले में बिहार सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि छात्रों के प्रदर्शन से सार्वजनिक व्यवस्था भंग हो रही थी। इसलिए पुलिस ने कार्रवाई की। लेकिन सरकार की यह सफाई छात्रों और विपक्षी दलों को संतुष्ट नहीं कर सकी है।

बहरहाल इस पूरे प्रकरण ने न केवल बिहार की राजनीतिक सरगर्मियों को बढ़ा दिया है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर युवा अधिकारों और सरकारी परीक्षाओं की पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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