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BPSC अभ्यर्थियों का प्रदर्शन जारी, पहुंचे रहमान और खान, PK ने किया किनारा

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की राजधानी पटना के गर्दनीबाग में पिछले 10 दिनों से बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) अभ्यर्थियों का प्रदर्शन जारी है। अभ्यर्थियों की प्रमुख मांग है कि प्रारंभिक परीक्षा (PT) को रद्द किया जाए और एक बार फिर से नई परीक्षा आयोजित की जाए। प्रदर्शन का असर बढ़ता ही जा रहा है और इसमें नामचीन हस्तियां भी जुड़ने लगी हैं। आज कोचिंग जगत के जाने माने नाम खान सर और मोटिवेशनल स्पीकर रहमान प्रदर्शन में शामिल हुए।

खान सर ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि ये बच्चे कल अधिकारी बनेंगे। ये आपके सीनियर होंगे। इसलिए इनके ऊपर लाठी चलाने से पहले सोच जरूर लीजिएगा।

उन्होंने BPSC की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि परीक्षा में गड़बड़ियों को लेकर छात्रों की मांग बिल्कुल जायज है।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि BPSC ने 6 अभ्यर्थियों को बातचीत के लिए बुलाया है और थोड़ी देर में यह अभ्यर्थी आयोग के कार्यालय जाएंगे।

इधर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की आज होने वाली पदयात्रा रद्द कर दी गई है। डुमरा चौकी के पास उनके डिटेन किए जाने की संभावना के चलते यह निर्णय लिया गया।

प्रशांत किशोर ने पहले घोषणा की थी कि वह प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों के समर्थन में पैदल मार्च करेंगे और अगर लाठीचार्ज हुआ तो वह सबसे आगे होंगे। अब उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस बल का दुरुपयोग किया गया तो इसके नतीजे भुगतने होंगे।

अभ्यर्थियों का कहना है कि एक ही परीक्षा के लिए दो अलग-अलग टेस्ट आयोजित करना अन्यायपूर्ण है। अभ्यर्थी चाहते हैं कि सभी के लिए समान स्तर की परीक्षा आयोजित हो और एक ही परिणाम घोषित किया जाए। 13 दिसंबर को हुई परीक्षा के मुकाबले 4 जनवरी को होने वाली परीक्षा के प्रश्नपत्र अगर आसान होंगे तो यह छात्रों के साथ भेदभाव होगा।

प्रदर्शन के दौरान पुलिस की ओर से कड़ा रुख अपनाया गया है। पिछले दिनों प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की घटनाएं सामने आईं, जिसके बाद माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

वहीं BPSC ने प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया है। जिससे कुछ समाधान निकलने की उम्मीद है। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज होगा। अब देखना यह है कि आयोग और सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

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