“बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए हुआ है कोडरमा जिला का चयनित। जबकि लाइव बर्थ के आधार पर वर्तमान लिंगानुपात 814:1000 है…. यहां आज भी लोग बेटा-बेटी में फर्क की सोच को बदल नहीं पा रहे हैं और बेटा पैदा करने की लोगों में काफी चाहत है। लिंगानुपात कम होने में भ्रूण जांच की भी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।”
कोडरमा (मनोज कुमार झुन्नू)। कोडरमा जिले को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत इफेक्टिव कम्यूनिटी इंगेजमेंट को लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। जबकि विगत कुछ वर्षों के अंदर लड़के-लड़कियों के लिंगानुपात में भारी कमी आई है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आगामी 24 जनवरी को कोडरमा जिले को पुरस्कार के लिए चयनित किए जाने के बाबत जानकारी लेने पर यह बात सामने आई है कि जिले में बिगत कुछ वर्षों में लड़के-लड़कियों के अनुपात में तेजी से गिरावट आयी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग तथा प्रशासनिक अधिकारी भी इस आंकड़ा को चिंताजनक बता रहे हैं।
वर्तमान आंकड़े के अनुसार कोडरमा जिले की लिंगानुपात सबसे खराब माने जाने वाले राज्य हरियाणा से भी काफी कम है। यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न स्रोतों के अध्ययन के बाद ही पता चला है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोडरमा जिले का चयन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत मांगे गए विस्तृत कार्रवाई एवं उपलब्धि की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। भेजे गये रिपोर्ट में अभियान के तहत जनजागरूकता को ले किये गये प्रयास एवं कार्यक्रम को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017-18 (अप्रैल से नवंबर) में कोडरमा का लिंगानुपात 825/1000 था, जो जनजागरूकता कार्यक्रम व लगातार चले अभियान के बाद वर्ष 2018-19 (अप्रैल से नवंबर) में कुछ सुधार हुआ, जो बढ़कर 829/1000 हो गया। वहीं दूसरी ओर पूरे आंकड़ों पर अगर ध्यान दें तो कोडरमा की स्थिति पहले से भी ज्यादा खराब हो गयी है।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कोडरमा में लिंगानुपात 950/1000 था। इससे पूर्व वर्ष 2000 में यह अनुपात 1000/1001 था। वहीं विगत लगभग 17 वर्षों में लिंगानुपात का आंकड़ा 814/1000 तक आ गया है, जो काफी चिंताजनक है।
विगत कुछ वर्षों में जिले में भ्रूण जांच व भ्रूण हत्या का मामला सामने नहीं आया है, परंतु अगर अभी आए इस दिशा में सचेत नहीं हुए तो आने वाले दिन में स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
अगर स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ मैनेजमेंट इंफार्मेशन सिस्टम के आंकड़े की बात करें तो कोडरमा जिले की स्थिति देश में सबसे कम लिंगानुपात के लिए जाना जाने वाले राज्य हरियाणा से भी खराब हो गया है।
इस सिस्टम की रिपोर्ट के अनुसार कोडरमा में वर्ष 2017-18 का लिंगानुपात 814/1000 है। यह आंकड़ा अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के बीच का है। रिपोर्ट के अनुसार इस बीच कुल 9813 लड़को एवं 7992 लड़कियों ने जन्म लिया है।
सभी अस्पतालों के लाइव बर्थ के आधार पर 2017-18 में कुल 18236 बच्चों ने जन्म लिया, जिसमें 10055 लड़के व 8181 लड़कियां शामिल हैं। इसका अनुपात भी 814 है।
इसी समय के जन्म निबंधन के आंकड़ा पर अगर गौर करें तो इसके अनुसार लिंगानुपात 899 का निकलता है। वर्ष 2017-18 में कुल 11310 जन्म निबंधन हुए, जिसमें 5956 लड़का व 5354 लड़कियों का निबंधन किया गया है।
वहीं एचएमआईएस रिपोर्ट के अनुसार भी कोडरमा में हर वर्ष लड़कों की अपेक्षा लड़कियां कम जन्म ले रही हैं। वर्ष 2010-11 में कुल 12789 बच्चों ने जन्म लिया, जिसमें 6526 लड़के व 6263 लड़कियां शामिल हैं।
वर्ष 2011-12 में कुल 14812 बच्चो ने जन्म लिया था, जिसमें 7982 लड़के व 6830 लड़कियां शामिल थीं। वहीं वर्ष 2012-13 में कुल जन्मे 16174 बच्चों में 8614 लड़के व 7560 लड़कियां शामिल थी।
इसके बाद निरंतर लड़कियों के जन्म दर में कमी आती गयी। वहीं वर्ष 2013-14 में कुल 1632 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें 8698 लड़के व 7623 लड़कियां थीं। वर्ष 2014-15 में कुल 17222 बच्चों का जन्म हुआ था, जिसमें 9202 लड़के व 8020 लड़कियां थीं।
वर्ष 2015-16 में कुल 16258 बच्चों ने जन्म लिया, जिनमें 8695 लड़के व 7563 लड़कियां शामिल थीं। वहीं वर्ष 2016-17 में स्थिति बहुत ही खराब हो गई और कुल 16927 जन्म लिये बच्चों में 9126 लड़के व 7801 लड़कियां शामिल थीं।
वर्ष वार लिंगानुपात की स्थिति
वर्ष 2010-11 : 960
वर्ष 2011-12 : 856
वर्ष 2012-13 : 878
वर्ष 2013-14 : 876
वर्ष 2014-15 : 872
वर्ष 2015-16 : 870
वर्ष 2016-17 : 855
वर्ष 2017-18 : 814
जिले में 16 अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं निबंधितः
वर्ष 2011 में हुए जनगणना के अनुसार कोडरमा में लिंगानुपात 950 था, जबकि झारखंड राज्य के वार्षिक हेल्थ सर्वे रिपोर्ट (2012-13) के अनुसार सभी उम्र में लिंगानुपात 971 था, जबकि जन्म दर के अनुसार यह 979 था।
विगत कुछ दिनों पूर्व के आंकड़े के अनुसार केंद्र सरकार की नई योजना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का व्यापक असर कोडरमा में नहीं दिखा। जिले में वर्तमान में 16 अल्ट्रासांड सेंटर संचालित हैं, इन सेंटरों में भ्रूण जांच नहीं होता है।
प्रत्येक अल्ट्रासाउंड में ‘भ्रूण जांच करना कानूनन अपराध है’ लिखी तो होती हैं, पर आंकड़ों से पता चलता है कि यह मात्र दिखावे के लिये लिखा हुआ होता है।
जिले में वर्तमान में कुल 43 निजी अस्पताल संचालित हैं, जिसमें जिला प्रशासन का दावा है कि पीसीपीएंडडीटी एक्ट का पूरी तरह पालन करने को लेकर बीच-बीच में जांच अभियान चलाते हुए कार्रवाई की जाती है, परंतु स्थिति कुछ और ही है।
कोडरमा जिले की स्थिति चिंताजनक, परंतु पहले से हुआ है सुधारः उपायुक्त
इस सम्बंध में पूछे जाने पर जिले के उपायुक्त भुवनेश प्रताप सिंह ने बताया कि वर्तमान में जिले की लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक है।
हालांकि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के स्थिति में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है, जो एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि तेजी से गिर रहे लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए आम लोगों को भी अपनी सोच में बदलाव लानी होगी।
साथ ही सुधार उनके द्वारा सिविल सर्जन सहित चिकित्सकों व प्रशासनिक अधिकारियों को इसे लेकर कई निर्देश दिए हैं। साथ ही किसी भी हाल में भ्रूण जांच व हत्या न हो इसको लेकर जांच के निर्देश दिए गए हैं।
उपायुक्त ने सभी अस्पतालों में यह बोर्ड लगाने का निर्देश दिया गया है कि माह में उनके यहां जन्मे बच्चों में कितने लड़के व लड़कियां हैं। दूसरी ओर अगर किसी अस्पताल में ज्यादातर लड़के जन्म ले रहे हैं, तो उसे चिन्हित कर उनपर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं बिहार राज्य के नवादा जिले में एक रैकेट के द्वारा गर्भपात कराने की सूचना लगातार मिल रही है, जिसे पकड़ने के लिए टीम का गठन किया गया है।