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    Saturday, April 27, 2024
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      नीतिश जी, यह कैसी शराबबंदी! पुलिस नेता ने गटकी शराब तो दारोगा पी गया साक्ष्य

      Nirmal Singh 1पटना (संवाददाता)।  यहां तो पुलिस वालों का सात खून भी माफ है, क्योंकि कानून इनकी मुट्ठी में जो होता है। आम आदमी के लिए जो अपराध संज्ञेय होता है, वह इनके लिए मामूली धाराओं से भी कम है।

      प्रदेश में शराबबंदी के बाद उत्पाद अधिनियम सबसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में है, लेकिन बात विभाग की आती है तो सबूत ही पचा लिया जाता है। ऐसा ही हुआ है पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष के मामले में। बुद्धा कॉलोनी थाना की पुलिस उन्हें उत्पाद अधिनियम में गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया लेकिन जब विभाग की दुहाई दी गई तो दारोगा जी सबूत ही गटक गए।

      सबूत छोड़ते तो नहीं मिलती बेल

      गुरुवार को पुलिस वालों को शराब पीकर हंगामा मचाने के आरोप में जेल भेजा गया लेकिन सबूत पेश ही नहीं किया गया। जब दारोगा ने सबूत नहीं दिया तो शुक्रवार को कोर्ट से जमानत मिल गई।

      जमानत की पैरवी करने वाले अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह ने बताया कि बिहार पुलिस मेंस के प्रांतीय अध्यक्ष निर्मल सिंह और उनके सहायक महामंत्री शमशेर की जमानत के लिए शुक्रवार को निवेदन किया गया।

      आदलत इस मामले में विचार किया फिर विशेष न्यायाधीश ने जमानत दे दी। अधिवक्ता का कहना है कि बेनिफिट ऑफ डाउट में शंका के आधार पर एवं पुलिस की तरफ से साक्ष्य नहीं प्रस्तुत करने से जमानत दे दिया गया।

      महज जुर्माने पर बेल

      विशेष न्यायालय ने निजी मुचलके पर दोनों पुलिस वालों को जमानत दिया है। अधिवक्ता का कहना है कि शराबबंदी के बाद उत्पाद अधिनियम 7 में गिरफ्तारी के बाद न्यूनतम घंटे के अंदर जमानत दिए जाने का ये पहला मामला है। अधिवक्ता का कहना है कि पुलिस अगर साक्ष्य भी प्रस्तुत की होती तो जमानत मुमकिन नहीं था।

      सीएम के संकल्प को चुनौती

      सीएम नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर संकल्पित है। कानून को वह इतना कड़ा इसी लिए ही बनवाए हैं ताकि इससे बचना मुश्किल और डर पैदा हो। लेकिन पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष और महामंत्री की गिरफ्तारी के बाद साक्ष्य पचा लेना सीएम के संकल्प को चुनौती देने वाला है।

      पुलिस विभाग में शुक्रवार को इस मामले को लेकर काफी चर्चा रही और हर कोई इसे नीतीश कुमार से जोड़ रहा था। दबी जुबान लोग ये भी कहते रहे कि जब एसएसपी के संज्ञान में मामला था और शराब पीकर हंगामा की पुष्टि हुई। इसके बाद भी साक्ष्य को पचाया गया।

      ऐसे कई सवाल हैं, जो सीएम की मंशा को प्रभावित करने वाले हैं। चर्चा ये भी है कि मामला पुलिस से जुड़ा था और विरोध से बचने के लिए बचाव का रास्ता अपनाया गया। इस संबंध में अब तो जिम्मेदार भी बोलने से कतरा रहे हैं.

      जमानत का बन गया इतिहास

      प्रदेश में शराबबंदी के बाद का ये पहला मामला है जब आरोपियों को कुछ घंटे में ही जमानत दे दी गई है अब तक कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें पुलिस पर निर्दोष को रंजिश में जेल भेजने का आरोप लगा है। इसके बाद भी कोई रियायत नहीं दी गई।

      हाल ही में पटना के इंद्रपुरी एरिया के कुछ युवकों को पकड़ा गया था, जो बारात की गाड़ी में सवार होकर जा रहे थे। वाहन का चालक गाड़ी में शराब की बोतल रखा था और इसका खामियाजा बारात जा रहे स्टूडेंटस को भुगतना पड़ा। गिरफ्तार स्टूडेंटस को जमानत के इंतजार में कई रात जेल में काटनी पड़ी। परिजन पुलिस से लाख गुजारिश करते रहे लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

      शराब मिलते ही जब्त होगी जमीन

      शराब बेचने, ढोने, रखने, पीने और पिलाने वालों पर जिला प्रशासन ने नजरें पूरी तरह से टेढ़ी कर ली हैं। पुलिस, एक्साइज और जिला के सभी एसएचओ के साथ मीटिंग में डीएम संजय अग्रवाल ने सख्त आदेश दिया है कि अब जिसकी जमीन या मकान में शराब पकड़ी जाएगी, उसे जब्त कर लिया जाएगा। हर थाना के एसएचओ लिखित में देंगे कि उनके थाना एरिया में अवैध शराब का कारोबार नहीं हो रहा है। पीने और पिलाने वालों की जगह अब सीधे जेल में होगी.डीएम ने कहा कि हर थानेदार लिखकर देंगे कि उनके एरिया में शराब का कारोबार नहीं हो रहा है।

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