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    Friday, April 26, 2024
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      निज़ी स्कूलों के मनमानी से मिलेगी निजात, कमिटी करेगी फ़ैसला

      “सूबे के अभिभावकों को अब प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फ़ीस बढ़ोत्तरी और अप्रत्यक्ष लूट का दंश नहीं झेलनी पड़ेगी। रघुवर सरकार के प्रयासों से झारखंड प्रदेश के लाखों अभिभावकों को राहत मिलेगी…..”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। “झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम” भाजपा जमशेदपुर महानगर के जिला प्रवक्ता अंकित आनंद द्वारा चलाये गए व्यापक “शिक्षा सत्याग्रह” का प्रतिफ़ल है। इस क़ानून के लिए भाजपा नेता अंकित आनंद ने निर्णायक संघर्ष किया है, कई मौकों पर प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार भी हुए। यह प्रयास भारतीय जनता पार्टी के जनता के प्रति समर्पण और सेवा भावना को इंगित करता है।

      privet education bjpउक्त बातें बुधवार को भाजपा के साकची स्थित जिला मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पार्टी के जमशेदपुर महानगर जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार ने कही। कहा कि भाजपा की जिला कार्यसमिति की बैठकों में भी लगातार निज़ी स्कूलों की मनमानी रोकने के विषय को प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह की जाती रही है।

      पत्रकार वार्ता को भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने भी संबोधित किया। उन्होंने इस क़ानून के लिए सूबे के मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास, शिक्षा मंत्री नीरा यादव एवं कैबिनेट मंत्रियों के प्रति आभार जताया।

      कहा कि “शिक्षा सत्याग्रह” के तहत चरणबद्ध आंदोलन कर अभिभावकों की समस्याओं से राज्य सरकार का ध्यानाकृष्ट कराया गया था। सरकार ने इसे उच्च प्राथमिकता देते हुए सूबे के अभिभावकों को रक्षा कवच प्रदान किया है।

      अंकित आनंद ने बताया कि जुलाई में कैबिनेट में पारित होने पर विधेयक पर 02 अक्टूबर 2018 को महामहिम राज्यपाल ने मुहर लगा दी थी। किंतु तकनीकी कारणों से विधि विभाग द्वारा अधिसूचना ज़ारी होने में विलंब हो रही थी। दिसंबर में इस आशय में विधि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने पर ज्ञात हुआ कि शिक्षा विभाग की तकनीकी खामियों के कारण अधिसूचना ज़ारी होने में विलंब हो रही है।

      26 दिसंबर 2018 को भाजपा प्रवक्ता अंकित आनंद ने सरकार की शिक्षा मंत्री समेत विधि विभाग और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिवों को पत्र प्रेषित कर इस क़ानून की अधिसूचना मार्च 2019 के शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पूर्व लागू करने की माँग की।

      भाजपा नेता के पत्र पर सम्बंधित विभागों ने उच्च प्राथमिकता दिए और झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम के आशय में ज़रूरी अधिसूचना 07 जनवरी 2019 ज़ारी कर दी गयी है।

      अंकित आनंद ने कहा कि विपक्ष के विधायकों ने रोड़े नहीं अटकाए होते तो यह क़ानून दिसंबर 2017 में ही प्रभावी हो जाती और बीते शैक्षणिक सत्र 2018 में अभिभावक इससे लाभांवित होतें।

      भाजपा जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने कहा कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम क़ानून के प्रभावी होते ही सूबे के अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और अप्रत्यक्ष लूट नीति के विरुद्ध स्वतः रक्षा कवच मिल गयी है।

      अंकित आनंद ने इस आशय में भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार समेत इस दिशा में आंदोलन कर रही अपनी संस्था “शिक्षा सत्याग्रह” से जुड़े सदस्यों के प्रति भी कृतज्ञता ज़ाहिर किया। कहा कि यह असत्य और अनीति पर न्याय, निष्ठा और ईमान की जीत है।

      कहा कि सरकार में रहते हुए हमनें सरोकार को महत्व दिया और अभिभावकों को राहत दिलाने की दिशा में निर्णायक संगर्ष किया। उन्होंने इस आंदोलन में मीडिया की सराहनीय भूमिका के प्रति भी आभार जताया। पत्रकार वार्ता के दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार समेत जिला प्रवक्ता अंकित आनंद, जिला मंत्री राकेश सिंह एवं भाजयुमो जिलाध्यक्ष अमरजीत सिंह राजा मौजूद थे।

      07 जनवरी 2019 को राजकीय गज़ट के असाधारण अंक में प्रकाशित होते ही जेट अधिनियम प्रभावी हो गयी है। झारखंड के स्कूलों में मार्च 2019 के शैक्षणिक सत्र से अब छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी का शिकार नहीं होंगे। उन्हें क़ानून के रूप में अब रघुवर सरकार ने रक्षा कवच प्रदान कर दिया है। क़ानून के लागू होते ही अब प्राइवेट स्कूल मनमानी फ़ीस नहीं बढ़ा सकेंगे।

      न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम के तहत अब निज़ी स्कूलों से जुड़े किसी भी मामले का 30 दिनों में निबटारा होगा। न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय में 90 दिनों में अपील की जा सकेगी। स्कूल प्रबंधनों को जिला कमेटी के निर्णय को अपने नोटिस बोर्ड और वेबसाइट पर जारी करना होगा।

      जिला कमेटी स्कूल बस फीस, एनुअल फीस, डेवलपमेंट फीस, स्मार्ट क्लास फीस सहित सभी तरह के फीस के निर्धारण में हस्तक्षेप कर सकेगी। स्कूल प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करेंगे तो उन्हें पहली गलती पर 50 हजार से ढाई लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा। दूसरी गलती पर न्यूनतम राशि एक लाख तक हो जाएगी।

      इसके तहत रवैये में सुधार ना लाने वाले स्कूलों की मान्यता भी रद्द की जा सकेगी। स्कूल प्रबंधन किताब, कॉपी, ड्रेस, जूता-मोजा इत्यादि की स्कूल परिसर में खरीदारी के लिए अभिभावकों पर दबाव नहीं बना सकेंगे। इस अधिनियम के तहत स्कूल स्तर एवं जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तर पर नियंत्रण कमिटी गठित करने का प्रावधान है।

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