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    Tuesday, March 19, 2024
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      नव नालंदा महाविहार सिंडिकेट का निर्णयः पटना से नालंदा आयेगा ह्वेनसांग की अस्थि कलश

      नालंदा ( राम विलास )। चीनी यात्री ह्वेनसांग की अस्थिकलश पटना से नालंदा लाया जायेगा। इसे नालंदा के ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल में देश-दुनिया से आये बौद्ध तीर्थयात्रियों और सैलानियों के दर्शनार्थ रखा जायेगा। नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय के स्थायी कुलपति की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के तहत होगी।       

      नव नालंदा महाविहार सोसाइटी (सिंडिकेट) की 14 वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। राज्यपाल सह महाविहार सोसाइटी के अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी ने इस बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक कोलकाता के राजभवन में आयोजित की गई।

      इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये। बैठक में सोसाइटी की इस बैठक में पूर्व के दो बैठक के प्रस्तावों की संपुष्टि की गयी।  नव नालंदा महाविहार डीम्ड विष्वविद्यालय द्वारा प्रकाषित पालि -हिन्दी शब्दकोश के छठे खण्ड का विमोचन 20 नवम्बर को कराने का प्रस्ताव पारित किया गया। 20 नवम्बर महाविहार का स्थापना दिवस है।

      इस अवसर पर आयोजित समारेाह में ही शब्दकोश का विमोचन कराया जायेगा। महाविहार के मेमोरन्डम ऑफ एसोसिएसन  को यूजीसी से अध्यतन विनिमियन (2016-17) के अनुरूप संषोधित कराने पर मुहर लगाया गया। ह्वेनसांग की अस्थिकलश को पटना से नालंदा लाने के प्रस्ताव पर सोसाइटी की इस बैठक में मुहर लगाया गया।

      यह अस्थिकलश आरंभ से ही पटना के संग्रहालय के ब्रजगृह में रखा है। 1957 ई. से अब तक यह अस्थिकलश केबल तीन बार नालंदा की सरजमीं पर आया है।

      पहली बार 1957 ई. में यह अस्थिकलश नालंदा आया था। उस समय चीनी प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में तिब्बती धर्मगुरू दलाईलामा चीन से लेकर इसे नालंदा आये थे। नालंदा में भारतीय गणराज्य के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वीकार किया था।

      इसके बाद यह अस्थिकलश 2007 और 2017 में विशेष मौके पर नालंदा लाया गया था। इस अस्थि कलश को नालंदा के ह्वेनसांग मेमोरियल परिसर में स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। अस्थिकलश को पटना से नालंदा लाने के लिए बिहार सरकार से यथा शीघ्र संवाद स्थापित करने का निर्णय पारित किया गया।

      बैठक में कहा गया कि महाविहार के इस प्रयास से बौद्ध तीर्थयात्री और देश-दुनिया से आये सैलानियों को यह अस्थिकलश देखने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही ह्वेनसांग मेमोरियल हाॅल को अंतर्रारष्ट्रीय पहचान भी मिल सकती है।

      राज्यपाल श्री त्रिपाठी ने  ने इस अवसर पर भारत-चीन के सांस्कृतिक संबंधों पर एक अंतर्राराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयेजन कराने का सुझाव दिया। 

      इस अवसर पर ह्वेनसांग के योगदान पर विषेश व्याख्यान माला का  आयोजन करने का निर्णय लिया गया। नव नालंदा महाविहार में स्थायी कुलपति की नियुक्ति को लेकर चर्चा हुई।

       बैठक में तय किया गया कि यूजीसी की शर्तों के अनुसार ही कुलपति की नियुक्ति की जायेगी। करीब एक साल से इस संस्थान में कुलपति का पद रिक्त है। संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त सचिव को ही नव नालंदा महाविहार डीम्ड विष्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।

      सिंडिकेट की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि नवम्बर 2018 में बौद्ध धर्म और विश्व शांति विषय पर एक अंतर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन महाविहार द्वारा आयोजित किया जाय। उसमें शिक्षा जगत के नामचीन हस्तियों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया।  विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह इसी साल के दिसम्बर में आयोजित करने के प्रस्ताव पर मुहर लगाया गया।

      इस दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया। इस बैठक में राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के अलावे, उनके प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, नव नालंदा महाविहार डीम्ड विष्वविद्यालय के कुलपति सह संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रणव खुल्लर, संस्कृति मंत्रालय के वित निदेशक अरूण गुप्ता, आर्केलॉजी के डीजी के प्रतिनिधि नम्बी राजन विष्वविद्यालय के डीन एकेडमिक डा. श्रीकांत सिंह और रजिष्ट्रार डा. एस.पी. सिन्हा एवं अन्य सदस्य शामिल हुए।

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