आज समूचा समाज-व्यवस्था मॉब लींचिंग की बढ़ते वारदातों से सहमा हुआ है। ऐसे में अगर पुलिस वाले ही सरेआम सड़क पर किसी युवक का लींचिंग करने में जुट जाएं तो आप क्या कहेंगे। जमशेदपुर में एक ऐसा ही नजारा देखने को मिला है। उसकी वीडियो भी खूब वायरल हो रहे हैं। कार्रवाई भी निर्दोष युवक के खिलाफ ही की गई है.……
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। जमशेदपुर पुलिस की कार्यशैली इन दिनों सुर्खियों में है। जहां पिछले दिनों बिष्टुपुर थाना अंतर्गत जुबिली पार्क में कथित छेड़खानी के आरोपी को जमशेदपुर पुलिस का एक दो नहीं पांच छः जवान बीच सड़क पर दौड़ाकर पकड़ती है।
उसमें एक ऐसा जवान भी शामिल था, जिसका संबंधित थाना क्षेत्र से कोई लेना देना नहीं और सभी जवान मिलकर छेड़खानी के आरोपी को बीच सड़क पर ही शराब के नशे में धुत्त युवक पर जानवरों की तरह टूट पड़ते हैं और जमकर पिटाई करते हैं।
जहां आरोपी अपने बचाव में शराबी भी पुलिस पर हमला कर देता है। इस दौरान बीच में कूदे जवान की वर्दी तार-तार होती है। वहीं भरी भीड़ के बीच पुलिसिया बर्बरता का विरोध करने पर शराबी के साथ एक निर्दोष व्यक्ति को सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के आरोप में खुद सिटी एसपी ने दोनों को आनन- फानन में जेल भेज दिया।
अब सवाल ये उठता है कि जमशेदपुर के जांबाज पुलिसकर्मी बीच सड़क पर किस कानून के तहत कथित छेड़खानी के आरोपी को जानवरों की तरह पीट रहे थे, और किस तरह एक सिविलियन का विरोध करना सरकारी काम मे बाधा पहुंचाना हुआ?
दूसरी तरफ इसी जमशेदपुर पुलिस के बिष्टुपुर थाने का निजी चालक विजय कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें खुलेआम विजय कुमार अवैध हथियार से फायरिंग करते बार बालाओं के अश्लील डांस पर रुपये लुटाता नजर आ रहा है।
मगर जमशेदपुर एसएसपी ने कार्रवाई के नाम पर केवल चालक को हटा दिया। सवाल फिर वही कि अवैध हथियार से फ़ायरिग के आरोप में निजी चालक विजय कुमार को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
दूसरा सवाल कि अब तक चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं किया गया। वैसे जमशेदपुर पुलिस के इस रवैए से एक आंख में काजल। एक आंख में शूरमा वाला कहावत चरितार्थ हो रही है।
फ़िलहाल दोनों ही मामलों में जमशेदपुर पुलिस के वरीय अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। जो उनकी नीति और नियत को सीधे कटघरे में खड़ा करती है।