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    Saturday, April 27, 2024
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      कुख्यातों का स्वर्ग बना बेउर जेल, यहां मौज-मस्ती का है सब इंतजाम

      सजायाफ्ता कुख्यातों की कमाई का जरिया नए बंदी होते हैं। जेल में जाते ही बंदी की जेब से मिलने वाले पैसे में से पचास प्रतिशत की बंदरबांट हो जाती है। बाकी पैसा उसके नाम से जमा कर दिया जाता है। काम न करना पड़े, इसके लिए हर दिन 200 रु देने पड़ते हैं…”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। राजधानी पटना स्थित बेउर जेल में चल रहे अपराधियों की मौज मस्ती का खेल- मेल का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ है।

      खुफिया एजेंसी से पुलिस के आला अधिकारियों को मिली जेल ब्रेक की जानकारी के बाद जैसे ही अधिकारियों ने चौकसी बढ़ाई तो जेल में दूसरा खेल ही उजागर हो गया।

      जेल के अंदर कैदी और बंदी आराम से मोबाइल चलाते मिले। टूटे हुए सिम कार्ड और नशे की पुड़िया ने भी यह बता दिया कि कितनी आसानी से सलाखों के पीछे सामान पहुंच रहा है।

      पटना के बेउर जेल पर आतंकी हमले की ख़ुफ़िया रिपोर्ट के बाद भी जेल में नशे का कारोबार बदस्तूर जारी है। अगर जेल में आपको खैनी, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, पान, मसाला मोदक भांग जैसे नशे को तलब हुई तो आपको सहज ही उपलब्ध हो जाएगा। हां, इसके लिए आपको अपनी जेब थोड़ी ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी।

      बेऊर जेल में सजायाफ्ता कुख्यातों की कमाई का जरिया नए बंदी होते हैं। जेल में जाते ही बंदी की जेब से मिलने वाले पैसे में से पचास प्रतिशत की बंदरबांट हो जाती है, बाकी पैसा उसके नाम से जमा कर दिया जाता है। काम न करना पड़े, इसके लिए हर दिन 200 रु देने पड़ते हैं।

      जेल के भीतर हर सामान की कीमत 1000 में नशे की पुड़िया, 2000 में मोबाइल पहुंच जाता है, 500 रुपए में खाने-पीने का सामान, 200 रुपए प्रतिदिन देने पर खैनी, बीड़ी और तंबाकू मिलती है। वहीँ 50 रुपए है जेल में मोबाइल से एक कॉल, 20 रुपए की एक सिगरेट, 5 रुपए में मिलती है माचिस।

      जेल पर हमले की खबर के बाद सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के आला अधिकारियों की सख्ती के फरमान पर एक सौ अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर दी गयी है जो जेल के भीतर और बाहर पैनी नजर बनाए हुए हैं।

      लगातार बेउर थाना और पटना पुलिस की विशेष पेट्रोलिंग गश्ती की जा रही है। बेउर जेल गेट से आधा किलोमीटर तक किसी को भी फटकने नहीं दिया जा रहा है। जेल के रास्ते आने जाने वालों की सघन तलाशी की जा रही है। जेल में मुलाकात करने वालो के सामानों की बारीकी से जांच के बाद ही जेल में सामान पहुंचाया जा रहा है।

      वहीँ सामान्य कैदियों के मुलाकाती को जेल गेट पर कड़ी सुरक्षा इंतेजाम से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जेल पर आतंकी हमले की जानकारी के बाद सिटी एसपी सेंट्रल भारी पुलिस बल के साथ जेल पहुंच गए और छापेमारी शुरू कर दी।

      जेल अधीक्षक ने दो टीम बनाकर जेल का कोना-कोना खंगाल डाला। इस छापेमारी में कई बैरकों से प्रतिबंधित सामान बरामद किए गए। गंगा खंड के बाहर से दो मोबाइल सेट और टूटे सिमकार्ड देख पुलिस चौंक गई। एक बार फिर यह बात सामने आ गई कि जेल से कुख्यात बाहरी बदमाशों के संपर्क में हैं।

      ऐसे में जेल ब्रेक की योजना से इनकार नहीं किया जा सकता है। कुख्यात अपराधी नक्सली अजय कानू बेऊर जेल का सबसे बड़ा सिरदर्द है। कानू को जेल से भागने के लिए 13 नवंबर 2005 को जहानाबाद कारागार को ब्रेक किया गया था। इसके बाद उसे 7 फरवरी 2007 को बेऊर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।

      खुफिया सूचना के बाद पुलिस बल ने कानू के बैरक की जांच भी की है। बेऊर जेल में गांधी मैदान व पटना जंक्शन सीरियल ब्लास्ट के 10 आतंकी बंद हैं। कुख्यात अरविंद सिंह, दुर्गेश शर्मा, रीतलाल यादव, उज्जवल, जटहा, गोलू, दानापुर कोर्ट में सिपाही का हत्यारा मिराज बंद है। ब्लास्ट के आतंकी पहले भी बवाल कर चुके हैं।

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