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    Saturday, April 27, 2024
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      अलविदा ! ‘सीमाचंल का गांधी’ सांसद तस्लीमुद्दीन

      पटना (जयप्रकाश)। बिहार की राजनीति में “सीमांचल के गांधी ” कहे जाने वाले राजद के कद्दावर नेता सासंद मो. तस्लीमुदद्दीन अब जनता के बीच नहीं रहे ।चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।उनके निधन की खबर मिलते ही बिहार की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई ।राज्य के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे नेताओं ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया ।

      अररिया से राजद के सांसद 74 वर्षीय मो, तस्लीमुद्दीन के निधन की खबर मिलते ही सीएम नीतीश कुमार ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से बिहार की राजनीति को गहरा झटका लगा है ।

      मो. तस्लीमुद्दीन के निधन से सीमांचल में सबसे ज्यादा नुकसान राजद को झेलना पड़ सकता है ।इसलिए उनके निधन से राजद में सबसे ज्यादा शोक की लहर देखी जा रही है ।

      राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद ने उनके निधन पर ट्वीट करते हुए लिखा उनके आसामायिक निधन पर गहरी संवेदना तथा विनम्र श्रद्धांजलि ।

      पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी उनके निधन पर ट्वीट किया, भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। इसके अलावा पूर्व सीएम राबड़ीदेवी ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट की।

      केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि तस्लीमुद्दीन गरीबों के नेता थे ।वे जमीन से जुड़े नेता थे ।

      अररिया से सांसद तस्लीमुद्दीन एक कद्दावर नेता थे।सीमांचल में उनका काफी प्रभुत्व था ।मुसलमानों के बीच वे काफी लोकप्रिय थे ।
      मो तस्लीमुद्दीन अपने पीछे दो पुत्र और दो पुत्रियाँ छोड़ गए हैं ।उनका एक पुत्र सरफराज अहमद जेडीयू से विधायक हैं ।

      मो.तस्लीमुद्दीन पिछले दिनों सरकारी आश्वासन समिति के टूर पर चैन्नई गए हुए थे।जहाँ उनकी तबीयत खराब हो गई थी।चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था ।जहाँ उनका निधन हो गया ।

      74 वर्षीय मो. तस्लीमुद्दीन का राजनीतिक सफर पंचायत की राजनीति से शुरू हुई थी।

      1959 में वे सरपंच चुने गए । 1964 में मुखिया निर्वाचित हुए । उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा। 1969 में पहली बार विधायक बनने का मौका मिला । वे  सात बार विधायक चुने गए ।

      1989 में पहली बार सांसद चुने गए ।1996 में देवगौढा मंत्रिमंडल में वे केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री बनाए गए । लेकिन उस समय राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मुद्दे पर अपने विवादित बयान की वजह से उन्हें गृह राज्य मंत्री का पद से इस्तीफा देना पड़ गया था ।
      2000-2004 तक बिहार में कैबिनेट मंत्री भी रहे ।

      फिलहाल वे अररिया से राजद के टिकट पर सासंद चुने गए थे ।उनके निधन से राजद को सीमांचल में अपूर्णीय क्षति का सामना करना पड़ सकता है ।

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