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    Saturday, April 27, 2024
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      शिक्षा मंत्री के गृह जिले में शिक्षा अधिकार की उड़ रही धज्जियां

      हमारे देश में शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 बने आज 10 साल हो गए। कई अन्य राज्यों ने इसे कड़ाई के साथ अपने राज्य में लागू किया है। परंतु झारखंड आज तक इस कानून को जमीनी स्तर पर लागू करने में नाकाम रही है………..”

      कोडरमा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। प्रदेश की शिक्षा मंत्री के गृह जिले कोडरमा में भी इस कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिसके कई उदाहरण रहा है।

      लोगों ने निजी विद्यालयों के मनमानी के खिलाफ कई धरने दिए है और जिला स्तर पर लगातार फ़ीस वृद्धि और पुस्तक की दरों के मामले में आंदोनल होते रहे है।

      Right To Education Act 2009हर गली मोहल्ले में बिना मान्यता के निजी विद्यालयों का संचालन धडल्ले से खुलेआम किया जा रहा है। कोई घर में चला रहा है तो कोई दुकान में। कोई खुले मैदान में चला रहा है तो कोई खुले छत पर।

      वहीं जिले के मान्यता प्राप्त और बड़े ओहदे और विभाग में अपनी लम्बी पहुच रखने वाले के विद्यालय भी शिक्षा अधिकार कानून की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नही छोड़ रहे है।

      शिक्षा अधिकार कानून के अधिनियम 12 (1) (c) के तहत यह प्रावधान है कि कोई भी विद्यालय अपने विद्यालय में छात्र छात्राओ के अनुपात के अनुशार अपने पोषक क्षेत्र के 25% गरीब व दिव्यांग बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ उसके पोशाक,पुस्तक के साथ जो भी जरूरी चीजें है, उसे उपलब्ध कराएगी।

      परंतु कोडरमा जिले के निजी विद्यालयों द्वारा इस नियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिसके लचर और पालन न होने को लेकर  राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली ने कोडरमा उपायुक्त को शो कॉज नोटिस जारी कर 20 दिन के अंदर जबाब देने को कहा है।

      आयोग द्वारा शिक्षा अधिकार अधिनियम के नियम 13,8 (d),और 12 का कड़ाई से पालन करवाने की बात कही गई है।

      वही कोडरमा जिले के प्रतिष्ठित ग्रीजली विद्यालय द्वारा एक छात्र के मानसिक उत्पीड़न कर मानसिक तनाव में डालने के मामले में शिकायत के बावजूद भी ससमय कार्यवाही न करने के मामले में भी कोडरमा उपायुक्त को शो कॉज नोटिस जारी हुआ है, जिसमे 20 दिन के अंदर जबाब देने की बात कही गई है।

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