अन्य
    Friday, April 26, 2024
    अन्य

      पीड़ित पत्रकार से बोले डीजीपी- निलंबन क्या, दोषी हुआ तो हरनौत थानाध्यक्ष को करेंगे वर्खास्त

      “बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने पीडित पत्रकार को फोन कर साफ तौर पर कहा कि हरनौत थानेदार के खिलाफ वे अपने स्तर से जांच कार्रवाई करवाएंगें और दोषी पाए जाने पर निलंबन क्या, वर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी। इसके तुरंत बाद अचानक नालंदा एसपी नीलेश कुमार पहुंचे और पत्रकार मुकेश को जूस पिलाकर आमरण अनशन खत्म करवाया……”

      नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के निवास प्रखंड हरनौत में पिछले तीन दिनों से आमरण अनशन पर बैठे पत्रकार मुकेश कुमार की बिगड़ती हालत पर सीधे संज्ञान लिया और थानेदार पर कड़ी-जांच कार्रवाई का अश्वासन दिया। इसके बाद पत्रकार मुकेश ने अपना अनशन समाप्त कर दिया।nalanda police crime on journalism bihar dgp 3

      प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछलें 3 दिनों से जांच-कार्रवाई की बाबत मामले को नजरअंदाज कर रहे नालंदा एसपी को भी डीजीपी ने सीधे निर्देश दिए। इसके बाद वे दौड़े-दौड़े आमरण स्थल पहुंचे और पीड़ित पत्रकार को जूस पिलाकर अनशन तोड़वाया।

      अनशन तोड़ने के बाद पत्रकार मुकेश ने बताया कि बिहार के डीजीपी ने उन्हें फोन कर साफ तौर पर कहा कि हरनौत थानेदार के खिलाफ वे अपने स्तर से जांच कार्रवाई करवाएंगें और दोषी पाए जाने पर निलंबन क्या, वर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी।

      इसके तुरंत बाद अचानक नालंदा एसपी नीलेश कुमार पहुंचे और पत्रकार मुकेश को जूस पिलाकर आमरण अनशन खत्म करवाया।

      nalanda police crime on journalism bihar dgp 4

      पत्रकार मुकेश ने दो टूक कहा कि उनकी सहयोगियों के साथ समीक्षा बैठक हुई। सबने स्पष्ट रूप से कहा कि यहां के प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोग पीड़ित पत्रकार की जगह थानेदार के पक्ष में खुलकर कर सामने आये। जब पत्रकार के साथ ऐसा हो सकता है तो हम लोग क्या उम्मीद कर सकते हैं।  

      उन्होंने कहा कि दूसरे मीडिया संस्थान की बात क्या करें। वे जिस अखबार के लिए खून-पसीना एक कर समाचार संकलन, लेखन व संप्रषण का काम करते हैं, वे भी साथ देते नजर नहीं आए। सोशल मीडिया ग्रुपों में प्रतिकूल टिप्पणी कर उल्टे उनकी सम्मान की लड़ाई को कमजोर करते दिखे।

      पत्रकार मुकेश ने काफी मर्माहत लहजे में कहा कि शर्म आता है, जब पत्रकार को चौथा स्तंभ कहा जाता है। दूसरे को क्या न्याय दिला सकता है, जो खुद पुलिस-प्रशासन के आगे चापलूसी करते हैं। पहले यह बात जनता कहती थी, लेकिन आज हमें भी पूर्ण रूप से एहसास हो गया।

      बता दें कि पिछले दिनों हरनौत में आयोजित एक कार्यक्रम में बैठे पत्रकार मुकेश कुमार के साथ हरनौत थाने की पुलिस ने काफी अभद्र व्यवहार किया था। जिसकी शिकायत उन्होंने हरनौत थानाध्यक्ष से भी की।

      nalanda police crime on journalism bihar dgp 2

      लेकिन थानाध्यक्ष अपने मातहत पुलिस को डांटने के बजाय इस घटना पर चुटकी लेकर चलते बने। इससे आहत पत्रकार मुकेश कुमार ने वहीं धरने पर बैठ गए। उन्हें कई स्थानीय पत्रकारों-वुद्धिजीवियों का साथ मिला। लेकिन दुखद बात यह रही कि मुकेश कुमार, जिस प्रतिष्ठित अखबार के लिए काम करते हैं, वो भी नजरें फेर लिया।

      दूसरे अखबारों के लिए इस तरह की घटना मजे और चटकारे लेने के लिए होता है। कभी कभार ऐसी खबरों पर एक दो लाइन चलाकर अपना फर्ज निभाते नजर आए।

      वेशक यहां कहने को तो कई पत्रकार संगठन खड़े है, जो पत्रकारों के हक हकूक की दावे करती है। लेकिन जब इस पत्रकार की पीड़ा और सम्मान की बात सामने आई तो सब न्याय दिलाने में मुंह मोड़ लिया।

      nalanda police crime on journalism bihar dgp 1

      जबकि यहां किसी अखबार के ब्यूरो या कार्यालय प्रभारी के साथ कुछ होता है तो यही प्रखंडों के पत्रकार उनके साथ खड़े हो जाते हैं। पुलिस की लाठियां तक खाते हैं।

      लेकिन जब प्रखंड के पत्रकारों पर कोई जुल्म होता है तो उनके साथ खड़ा होना तो दूर उनके ही अखबार में एक लाइन की खबर तक नहीं होती है।

      पत्रकार मुकेश कुमार के इस कथन से भी एक बड़ी पीड़ा उभरती है कि उनका मीडिया और पत्रकार संगठनों पर से विश्वास खत्म हो गया है।

      उनकी लड़ाई अकेले ही जारी रहेगी। क्योंकि पुलिस-पत्रकार गठजोड़ की वजह से मुफ्सिल पत्रकारों के नाम पर सिर्फ राजनीति करने का प्रयास किया गया।

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!