अस्पताल परिसर में चारों ओर सिर्फ जंगल ही जंगल नजर आता है। अस्पताल परिसर में सभी कमरे के कांच खिड़की टूटे हुए हैं। अस्पताल में मरीजों के सुविधा के लिए लगाया गया लिफ्ट बंद पड़ा है। लिफ्ट के अंदर के ज्यादातर यंत्र गायब है। आए दिन चोर द्वारा चोरी की घटना को अंजाम दिया जा रहा है।
अस्पताल के मुख्य चिकित्सक डॉ. प्रियतोष कुमार दास के अनुसार इस अस्पताल में अब तक 5-6 बार चोरी की घटनाएं हो चुकी है। यह बीड़ी अस्पताल श्रम संसाधन विभाग के अंतर्गत आता है।
श्री दास ने बताया कि कई बार अस्पताल के व्यवस्था और रखरखाव के लिए वरीय अधिकारियों को शिकायत की गई है, लेकिन कहीं से भी कोई जवाब नहीं आया है। कुछ दिन पहले भी पटना से एक टीम आई, उन्होंने स्थितियों को देखा, लेकिन उसके बावजूद अब तक इसके विकास को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
अस्पताल में जितने भी उपकरण हैं, सभी टूटे-बिखरे हुए हैं। कुछ गायब हैं, तो कुछ उपकरणों को जंग खा रही है। अस्पताल में ओपीडी सेवा चल रही है, लेकिन महिला डॉक्टर और सर्जन नहीं हैं।
फिलहाल यहां दो डॉक्टर चार सिस्टम एक लैब एक एक-रे एक गार्ड और दो आया के सहारे वीडियो समेत अस्पताल चल रहा है। इंडोर सेवा पिछले छः सालो से बंद है।
बहरहाल, जहां एक तरफ सरकार द्वारा मिशन 60 के तहत लाखों करोड़ों रुपए स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए खर्च किए गए, वही बीड़ी अस्पताल घोर सरकारी उपेक्षा का शिकार है।
भव्य भवन होने के बावजूद इसका सही उपयोग नहीं किया जा रहा है। यह अपराधियों व नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है। सरकारी अनदेखी और लापरवाही का एक उदाहरण है। सरकार को चाहिए कि वह इस अस्पताल का जल्द से जल्द जीर्णोद्धार कराए और इसे श्रमिकों के लिए सुलभ बनाए। साथ ही स्थानीय पुलिस द्वारा इस अस्पताल में चोरी और नशेड़ियों के उत्पात पर अंकुश लगाने की भी आवश्यकता है।
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