“बिहार की राजनीति का एक बड़ा काला सच है कि यहाँ नेता कुछ भी बोले, अंदर से इतना कमजोर होता है कि अंततः वह जात पर ही उतर आता है। इससे न कोई दल अछुता है और न कोई दल। सीएम नीतीश कुमार का तो कोई सानी नहीं है। वे जमात के ढिंढोरे पीटते भले न थकते हों, लेकिन उनका भी अंतिम दायरा जात ही है…
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की गहमागहमी के बीच इस बार केंद्र में बिहार की हिस्सेदारी को लेकर जदयू ने भी अपना दावा ठोका है। पिछली बार वाजिब हिस्सेदारी को लेकर जदयू केंद्र की सरकार में शामिल नहीं हुआ था।
लेकिन अब जिस तरह से भाजपा ने हाल में बंगाल चुनाव में मात खाई और आने वाले साल में यूपी में चुनाव हैं, ऐसे में अब भाजपा कोई जोखिम लेने के फिराक में नहीं है।
जदयू यदि केंद्र में शामिल होता है तो 2 कैबिनेट और एक राज्य मंत्री के साथ जाएगा। बिहार के राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में सीएम नीतीश कुमार लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) कार्ड खेलेंगे।
इस वजह से ही कुर्मी जात से आने वाले जदयू पार्टी अध्यक्ष को कैबिनेट और कोइरी (कुशवाहा) जात से आने वाले किसी सांसद को राज्यमंत्री के तौर पर भेजने की तैयारी है। यह दोनों जातियां नीतीश कुमार का आधार वोट मानी जाती हैं।
वहीं, अगड़ी जात से सीएम नीतीश कुमार के काफी करीबी एक सांसद (भूमिहार) को कैबिनेट मंत्री के तौर पर भेजने की रणनीति है। जदयू इस एक तीर से कई निशाने साधने के फिराक में है।
कहा जा रहा है कि आने वाले हफ्ते में केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा। इसको लेकर भाजपा तैयारी में जुट गई है। सभी राज्यों में समीकरण के आधार पर नेताओं को केंद्र में लाने की तैयारी है। बिहार भी इसमें शामिल है।
जदयू ने संख्यात्मक हिस्सेदारी की बात की है तो इनके 16 सांसद हैं। ऐसे में इनके संख्याबल के मुताबिक दो कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का दावा बैठता है।
हालांकि भाजपा 2019 में अकेले पूर्ण बहुमत में है। 303 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इसीलिए उसके घटक दल को प्रतीकात्मक हिस्सेदारी दी गई।
तब जदयू ने केंद्र की सरकार में शामिल होने से मना कर दिया था। नीतीश कुमार ने कहा था कि जब तक हमें संख्यात्मक हिस्सेदारी नहीं मिलेगी, तब तक हम केंद्र की सरकार में शामिल नहीं होंगे।
वहीं, इस मंत्रिमंडल विस्तार में लालू इफेक्ट भी दिखेगा। लालू यादव के जेल से बेल मिलने के बाद जिस तरह से एनडीए के अंदर बेचैनी है, उसके बाद उम्मीद यह जताई जा रही है कि किसी एक और यादव नेता तो केंद्रीय मंत्रिमंडल में भेजा जा सकता है।