राजनीति

रूस एक बार फिर बन सकता है दुनिया का चौधरी ?

इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। विगत 24 फरवरी से आरंभ हुए रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर अब तरह तरह की बातें फिजा में तैरने लगीं हैं। लग रहा था कि रूस जैसे शक्तिशाली देश के सामने यूक्रेन जैसा छोटा देश कब तक टिकेगा। ज्यादा से ज्यादा एकाध सप्ताह, फिर यूक्रेन अंत में रूस के सामने घुटने टेक देगा।

एक संभावना यह भी जताई जा रही थी कि रूस की कवायद में यूक्रेन के दो टुकड़े हो जाएंगे। लेकिन अब तक तक इस युद्ध को 34 दिन बीत रहे होंगे, इसके बाद भी एक छोटा सा देश एक महाशक्ति के सामने पहाड़ की तरह डटा ही नजर आ रहा है।

यूक्रेन एवं रूस के राष्ट्राध्यक्षों ने मानो ठान लिया है कि वे दोनों ही एक दूसरे के सामने नहीं झुकेंगे। यूक्रेन का साथ कम ही देश दे रहे हैं पर जिस तरह से युद्ध में यूक्रेन अपना अस्तित्व बनाए हुए है, उससे यही लग रहा है कि यूक्रेन के पीछे कोई बहुत बड़ी ताकत खड़ी है, जिसकी बेटरी से यूक्रेन का लट्टू जल रहा है।

दोनों ही देशों को हजारों की तादाद में सैनिक मारे जा चुके हैं, लोग पलायन कर रहे हैं फिर भी इस बेनतीजा युद्ध के थमने के आसार फिलहाल दिख ही नहीं रहे हैं।

हाल ही में यह बात भी सामने आई है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जैलेंस्की ने रूस से संबंध रखने वाले लगभग एक दर्जन सियासी दलों की गतिविधियां निलंबित कर दी हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा है कि तटीय शहर मारीपोल की रूसी सैनिकों द्वारा की गई घेराबंदी को इतिहास में युद्ध अपराध के रूप में जाना जाएगा।

कुल मिलाकर एक समय में विश्व के सबसे शक्तिशाली सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की सामरिक शक्ति को नाटो देश विशेषकर यूक्रेन ने जिस तरह से कमतर आंका था, वह उनकी भूल ही साबित होती हुई प्रतीत हो रही है, क्योंकि सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रूस की सामरिक शक्ति में कमी नहीं आई है।

रूस के खिलाफ कदम उठाने यूक्रेन को किसने मजबूर किया यह बात तो शोध का ही विषय मानी जा सकती है, पर जो भी हो रहा है उसमें यूक्रेन के नागरिकों को जीवन के लाले तो पड़ ही रहे हैं। साथ ही राष्ट्रीय सरकारी संपत्ति के नुकसान को भी उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम में भारत ने बहुत ही संयमित रहते हुए तटस्थ की भूमिका अदा की है, जिसे 1971 में भारतीय विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह और सोवियत संघ के विदेश मंत्री अइन्द्रे ग्रोमिको के बीच हुए समझौते का अंग माना जा सकता है।

इधर, यूक्रेन पर रूस के द्वारा किए जाने वाले हमलों के एक माह बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडन पौलेण्ड गए और वहां वे यूक्रेन के शरणार्थियों से भी मिले।

बाईडेन ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को कसाई की संज्ञा दी और यहां तक कह डाला कि वह आदमी अर्थात पुतिन सत्ता में बने रहने के काबिल नहीं है।

दुनिया के चौधरी की इस चौधराहट के बाद रूस के सरकारी प्रवक्ता भी कहां चूकने वाले थे, उन्होंने बिना देर किए कह दिया कि अमेरिका यह तय नहीं कर सकता कि रूस की सत्ता पर कौन बाबिज होगा।

दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच जुबानी जंग से यह साफ होने लगा है कि यूक्रेन तो महज एक मोहरा मात्र ही है, असल वर्चस्व की जंग तो इन दो महाशक्तियों के बीच चल रही है।

भले ही इस पूरे मामले में यूक्रेन जैसा छोटा देश रूस जैसे देश के सामने 34 दिनों से अगर खड़ा है तो रूस की साख पर भी अनेक सवालिया निशान खड़े होते दिख रहे हैं। इसी बीच बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों की चर्चा के बिना यह एपीसोड शायद अधूरा ही रह जाए।

बाबा वेंगा बुल्गारिका के निवासी थे, बाबा वेंगा का जन्म साल 1911 में हुआ था और उनका असली नाम वेंगेलिया गुश्तेरोवा था। साल 1996 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था।

उनका दावा था कि भगवान ने उनको अनोखा तोहफा दिया है, जिससे वह भविष्य देख सकते हैं। जब वह सिर्फ 12 साल के थे तो भयानक तूफान आया था, जिसमें उनकी आंख की रोशनी चली गई थी।

बाबा वेंगा ने अपनी मौत की भविष्यवाणी बिल्कुल सच की थी। बाबा वेंगा ने अपनी मौत से पहले साल 5079 तक की  भविष्यवाणी कर दी थी।

उनके द्वारा 09/11 के बारे में भी भविष्यवाणी की गई थी जो सटीक बैठी। बाबा वेंगा ने रूस एवं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बारे में भी भविष्यवाणी की थी, अगर उनकी वह भविष्यवाणी सटीक बैठती है तो दुनिया के चौधरी अमेरिका की बादशाहत पर संकट के बादल मण्डराने तय हैं।

बाबा वेंगा ने 1979 में कह दिया था कि रूस ही है जो एक दिन दुनिया पर बादशाहत करेगा। एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार आज का हरा भरा और खूबसूरत यूरोप बंजर जमीन में तब्दील हो जाएगा।

वहीं दूसरी ओर रूस के बारे में बाबा वेंगा ने कहा था कि यह लार्ड आफ वर्ल्ड अर्थात दुनिया का बादशाह बनेगा। उन्होंने यहां तक कहा था कि सब कुछ बर्फ के मानिंद ही पिघल जाएगा, अगर कुछ बचेगा तो वह होगा रूस का गौरव। इसका तातपर्य यह भी लगाया जा सकता है कि पुतिन के जीवन का स्वर्णिम काल आने ही वाला है।

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पहल से असम-मेघालय का 50 साल पुराना खूनी सीमा विवाद सुलझा

याचिका खारिजः इस्लाम में अनिवार्य नहीं है हिजाब पहनना -हाईकोर्ट

भाजपा MLA विनय बिहारी और उनकी पत्नी चंचला बिहारी पर छात्रा के अपहरण का FIR

जयंती विशेषः जानें सुभाष बोस से जुड़े रोचक पहलु, जो उन्हें असली नेताजी बनाती है

बिहारः राजधानी पटना में दिनदहाड़े ज्वेलरी शॉप से एक करोड़ की लूट, बाजार बंद

Related Articles

Back to top button
Ashoka Pillar of Vaishali, A symbol of Bihar’s glory Hot pose of actress Kangana Ranaut The beautiful historical Golghar of Patna These 5 science museums must be shown to children once