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    Saturday, November 23, 2024
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      नागार्जुन कंपनी ने शुरु किया नालंदा विश्वविद्यालय में गैर आवासीय भवनों के निर्माण

       फिर विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर है  भारतः कुलाधिपति

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      दाहिने बैठे हैं कुलाधिपति और बायें बैठे हैं कुलपति

      नालंदा ( राम विलास )। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ नालंदा विश्वविद्यालय के गैर आवासीय भवनों के निर्माण के लिए बुधवार को भूमि पूजन किया गया। गैर आवासीय भवनों में प्रशासनिक ब्लाक, एकेडमिक ब्लाक,  सभागार, पुस्तकालय ब्लाक, व्याख्यान ब्लाक आदि का निर्माण होना है ।

      विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं आई टी के इंटरनेशनल डायरेक्टर डॉ विजय भटकर ने  भूमि पूजन करने के बाद कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय देश नहीं दुनिया की अस्मिता थी। उसका पुनर्निर्माण 21वीं सदी में हो रहा है। पूर्व की तरह भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में फिर से अग्रसर है। नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि आज का दिन विश्वविद्यालय के लिए ऐतिहासिक और पवित्र है। मैं अपने आपको अत्यंत भाग्यशाली मानता हूं कि इस पवित्र समारोह में हिस्सा ले रहा हूं। मैंने पहली बार विश्वविद्यालय का वास्तु देखा तो मुझे ऐसा लगा कि यह मेरी कल्पना के अनुरूप है।

      डॉक्टर भटकर ने कहा कि विश्वविद्यालय के गैर आवासीय भवन का निर्माण 1 साल के भीतर पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा बहुत पुरानी है।  यह परंपरा आज भी कायम है । ऐसे दुनिया में कई परंपराएं बनी,आई और चली गई। विदेशी परंपराओं में हमेशा परिवर्तन होते रहता है। लेकिन भारतीय परंपरा में नहीं।

      भटकर  ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का चांसलर बनने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं इससे बहुत खुश हूं। उन्होंने कहा कि यहां आ कर मुझे बहुत खुशी  महसूस हो रही है। बेदो  की हजारों साल पुरानी परंपरा है। इसी परंपरा के तहत यह समारोह आयोजित की गई है। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण हो रहा है । यहां से शांति और ज्ञान की धारा फिर से प्रवाहित होगी ।

       उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर  ऊर्जा, पानी  और  अन्य प्राकृतिक संसाधनों से आत्मनिर्भर होगा ।

      नालंदा विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति  प्रोफेसर  पंकज एन मोहन ने  आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्राचीन नालंदा का महत्व  को विस्तार दिया जा रहा है। इस विश्वविद्यालय को बौद्धिक रूप में समृद्ध बनाने के लिए ही नहीं, बल्कि  वैश्विक मानवता जो प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की विरासत है , को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।

      उन्होंने कहा हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के उन आदर्शों को कैसे साकार करें।उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी संस्था का संरचना करना चाहते हैं, जो केवल एक विश्वविद्यालय की डिग्री पाने के लिए ही नहीं, बल्कि अपने समाज और समुदाय की आकांक्षाओं को भी पूरा करने के लिए प्रेरित करे। विश्वविद्यालय के डिजाइन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा नालंदा विश्वविद्यालय का मास्टर प्लान अत्याधुनिक है। इसमें आधुनिक सुविधाएं तो उपलब्ध कराई ही गई है साथी ही प्राचीन नालंदा की संस्कृति की गूंज भी इसमें समाहित है।

      इस समारोह  में परियोजना के  शिल्प वास्तुकार राजीव कठपालिया , नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी के वाइस चेयरमैन जी रामकृष्ण रेडी,  परियोजना प्रबंधन सलाहकार समिति के महाप्रबंधक राणा चक्रवथी  ने भी विचार व्यक्त किया।  इस अवसर पर नालंदा के जिला पदाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एस एम, पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष,  विश्वविद्यालय के कार्यवाहक अभियंता जाय चौधरी  समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलसचिव के चंद्रमूर्ति ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

      मालूम हो कि विश्वविद्यालय के भवन का निर्माण कार्य नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी कराएगा। इसलिए यह भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजन नागार्जुन कंपनी ने ही कराया था।

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