“लोक आस्था के महानपर्व छठ को लेकर हिलसा शहर के अलावा ग्रामीण इलाके के लोग भक्ति के रस में डूब गए। छठ पर्व को लेकर चकाचक हुए ऐतिहासिक सूर्य मंदिर तालाब पर काफी संख्या में छठवर्ती एवं श्रद्धालु पहुंचे।”
हिलसा (चन्द्रकांत)। सूर्य मंदिर तालाब पर अहले सुबह से ही छठवर्ती एवं श्रद्धालुओं के आने का सलिसिला शुरु हो गया था। दोहपर बाद से छठवर्ती तालाब में स्नान कर खरना का प्रसाद बनाने की प्रक्रिया में जुट गए।
सूर्य मंदिर तालाब के घाटों को पूरी तरह से साफ किया गया। सुरक्षा के लिए लंबी दूरी पर लगाए गए बांस के घेराबंदी को भी कम कर दिया गया। अब लगभग आठ फीट पर सुरक्षा के लिए तालाब में बांस गाड़ा गया।
इसके अलावा रेड रीबन के साथ मोटी रस्सी भी लगायी गयी। साथ ही ट्यूब में हवा भर जगह-जगह लगाया ताकि किसी भी अनोहनी पर छठवर्ती या फिर श्रद्धालु सहयोग ले पाए।
लोगों की जानकारी के लिए तालाब में गाड़े गए बांस में खतरा संबंधी बैनर भी लगाया गया। छठवर्तियों के लिए चेंजिग रुम बनवाया गया। स्थिति पर नियंत्रण के लिए कंट्रोल शिविर के अलावा एक वाच टावर भी लगा गया ताकि किसी भी अनहोनी पर नजर बनाए रखा जा सके।
छठ घाट के आसपास रौशनी की मुक्कमल व्यवस्था की गई। छठ घाट के अलावा शहर के अन्य चौक-चौराहे पर दंडाधिकारी के नेतृत्व में पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की गई है।
छठ पर्व की तैयारी को लेकर एसडीओ सृष्टि राज सिन्हा एवं नगर कार्यपालक पदाधिकारी दीनानाथ, बीडीओ डॉ अजय कुमार, सीओ सुबोध कुमार चौकस दिखे। इस मौके पर सिटी मैनेजर त्रिपुरारी शरण संजय, नगर कर्मी अलवेला प्रसाद, वार्ड पार्षद सुरेन्द्र कुमार, विजय कुमार विजेता, सत्येन्द्र कुमार उर्फ मुन्ना, हरिचरण दास आदि मौजूद थे।
खरणा प्रसाद के साथ शुरु हुआ छत्तीस घण्टे का निर्जला उपवास
नगरनौसा संवाददाता लोकेश नाथ पाण्डेय की खबर है कि प्रखंड क्षेत्र के तकरीबन सभी गांवों में बुधवार की संध्या में सभी छठ व्रतियों ने खरणा का प्रसाद ग्रहण कर छतीस घण्टे का अतिदुर्लभ,निर्जला,उपवास व्रत रख अपने परिवार की सुख, शांति व समृद्धि की कामना की
बताते चलें कि मंगलवार की सुबह से ही लोक आस्था का महापर्व छठी परमेश्वरी का आगाज हो चुका है इस पर्व का आज दूसरा दिन जिसे लोहन्दा(खरणा)के नाम से हम सभी जानते हैं
इस पर्व के बारे में पूछे जाने पर ज्योतिषाचार्य आलोक नाथ पांडेय ने (तीनी लोदीपुर)बताया कि यही एक पर्व है जिसमें भक्त और भगवान दोनों आमने सामने होते हैं अर्थात सूर्य भगवान सामने होते हैं और व्रती आँचल फैलाये सूर्य भगवान से अपने परिवार की सुख,समृद्धि, धन,जन,दीर्घायु अखण्ड सुहाग के लिए कामना करती है
साथ ही उन्होंने बताया कि इस पर्व की महत्ता युगों युगांतर से यह पर्व पूर्णतः सुधता के साथ मनाया जाता है इसका प्रसाद खाने से शरीर निरोग्य,निर्भय हो जाता है
बुधवार की सुबह से ही जिनके घरों में यह पर्व होता है उनके गृहस्वामी गांव में घूम घूम कर प्रसाद खाने के लिए लोगों को आमंत्रित करने में मशगूल दिखे।