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    Monday, April 29, 2024
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      बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे नालंदा में ऐसे ‘जाहिल शिक्षक’

      बिहार में आए दिन शिक्षकों के अजीबो गरीब ज्ञान के मामले मीडिया में सामने आते रहे हैं। किसी को सीएम का नाम नही पता तो किसी को पीएम या राष्ट्रपति के नाम की जानकारी नहीं। किसी को संडे मंडे की सही स्पेलिंग नहीं पता है तो कहीं शिक्षक को कौन सा साल चल रहा है। इसकी भी जानकारी का अभाव देखा जा रहा  है। आखिर कब तक बच्चों की जिंदगी से खेलते रहेंगे  बिहार के  ऐसे  ‘जाहिल शिक्षक’ ।

       

      चंडी (संजीत कुमार)।  बिहार के सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले नालंदा के चंडी प्रखंड में कैसे-कैसे शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं, जिन्हें खुद साल का पता नहीं है कि कौन सा साल चल रहा है। ऐसे शिक्षक बच्चों को कैसी गुणवता की शिक्षा प्रदान करेंगे, सोचा जा सकता है। ज्ञान के इस बुचडखाने को कबतक हम स्कूल कहते रहेंगे।

      chandi nalanda education crime 1एक ऐसा ही मामला चंडी के प्राथमिक विधालय माधोपुरगढ की है। जिसके प्रभारी प्रधानाध्यापिका को पता नहीं है कि कौन सा साल चल रहा है। जबकि 2017 बीते हुए आठ दिन गुजर गए लेकिन उनके लिए अभी भी 2017 ही है।

      चंडी प्रखंड में कडाके की ठंड की वजह से 9 जनवरी तक स्कूल बंद रखने का निर्देश डीएम का है। लेकिन इस बीच शिक्षकों को स्कूल में उपस्थित रहने का सख्त निर्देश भी है।

      लेकिन प्राथमिक विधालय माधोपुर गढ़ की प्रभारी प्रधानाध्यापिका रेखा कुमारी को चंडी बीआरसी में मासिक गुरू गोष्ठी में शामिल होने के लिए जाना पड़ता है।

      आदेश पुस्तिका पर आदेश संख्या तीन पर वह लिखती हैं कि “ मैं रेखा कुमारी 08:01:17 को मासिक गुरू गोष्ठी में भाग लेने बीआरसी जा रही हूँ । इसलिए विधालय का प्रभारी शंभू साव रहेंगे।“

      नीचे फिर से 08:01:17 का हस्ताक्षर उनके द्वारा किया गया है। भले ही इसे भूल बताया जाए। लेकिन एक जिम्मेदार शिक्षिका की इस गलती को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है।

      chandi nalanda education crime 2दूसरी तरफ उक्त प्रभारी प्रधानाध्यापिका के बारे में बताया जाता है कि उनकी पुत्री कुमकुम रानी चंडी के एक निजी स्कूल में पढ़ती है।

      वहीं उसका नाम भी प्राथमिक विद्यालय माधोपुरगढ में चौथा क्लास में नामांकन दर्ज है। उपस्थिति पंजी पर उसका रौल नम्बर 22 है।

      इससे पहले भी इनकी एक बेटी जो निजी स्कूल में पढ़ती थी। साथ ही स्कूल में नाम दर्ज था। सरकारी  योजनाओं का लाभ भी उठा चुकी है।

      स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि उनकी बेटी चंडी के एक निजी स्कूल में पढ़ती हैं। जब नाम काटने की बात की जाती है तो मैडम धमकी देती है। वह स्वयं अपनी बेटी का उपस्थिति बना देती है। जबकि वह स्कूल भी नहीं आती है।   

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