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    Friday, May 3, 2024
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      नालंदा का अस्थावां है पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का पैतृक गाँव

      अपने 34 साल के राजनीतिक कैरियर के बाद आज उन्होंने रिटायर्ड होने की घोषणा की। हजारीबाग से सांसद रहे  पूर्व  आईएएस एवं केन्द्रीय मंत्री श्री  यशवंत सिन्हा का बिहार के नालंदा से भी गहरा लगाव रहा है। नालंदा के अस्थावां उनका पैतृक जन्म स्थान है।“

      Yashwant Sinhaपटना (जयप्रकाश नवीन)। भारतीय प्रशासनिक सेवा से त्याग पत्र देकर राजनीति में कदम रखने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को भाजपा को अलविदा कहते हुए राजनीतिक जीवन से संयास लेने की घोषणा कर दी।

      6 सितम्बर 1937 को नालंदा के अस्थावां में जन्मे श्री यशवंत सिन्हा का प्रारंभिक शिक्षा पटना से शुरू हुई। 1958 में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के बाद पटना विश्वविद्यालय में ही अध्यापक की नौकरी कर ली।

      इसी बीच 1960 में वें भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चुने गए। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 24 साल में पहले वे एसडीएम फिर डीएम भी रहे। इसके अलावा वे बिहार सरकार के वित मंत्रालय में दो साल तक अवर सचिव तथा उपसचिव भी रहे। इसके बाद वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उपसचिव नियुक्त किए गए।

      यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर  सक्रिय राजनीति से जुड़ गए। 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य भी  चुन लिया गया।

      1989 में जनता दल का गठन के बाद उनको पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया। श्री सिन्हा चन्द्र शेखर सिंह के मंत्रिमंडल में नवंबर 1990 से जून 1991 तक वित्त मंत्री के रूप में भी कार्य किया।

      जून 1996 में वें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। मार्च 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उस दिन से लेकर 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे।

      उन्होंने भारतीय संसद के निचले सदन लोक सभा में  हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, 2004 के चुनाव में हजारीबाग सीट से यशवंत सिन्हा की हार को एक विस्मयकारी घटना माना जाता है। उन्होंने 2005 में फिर से संसद में प्रवेश किया। 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

      यशवंत सिन्हा 1 जुलाई 2002 तक वित्त मंत्री बने रहे। तत्पश्चात विदेश मंत्री जसवंत सिंह के साथ उनके पद की अदला-बदली कर दी गयी।

      Yashwant Sinha economic foramअपने कार्यकाल के दौरान सिन्हा को अपनी सरकार की कुछ प्रमुख नीतिगत पहलों को वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा था, जिसके लिए उनकी काफी आलोचना भी की गयी।

      फिर भी, श्री  सिन्हा को व्यापक रूप से कई प्रमुख सुधारों को आगे बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है। जिनके फलस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था दृढ़तापूर्वक विकास पथ पर अग्रसर हुई है।

      इनमें शामिल हैं वास्तविक ब्याज दरों में कमी, ऋण भुगतान पर कर में छूट, दूरसंचार क्षेत्र को स्वतंत्र करना, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के लिए धन मुहैया करवाने में मदद और पेट्रोलियम उद्योग को नियंत्रण मुक्त करना।

      श्री  सिन्हा ऐसे प्रथम वित्त मंत्री के रूप में भी जाने जाते हैं जिसने भारतीय बजट को स्थानीय समयानुसार शाम 5 बजे प्रस्तुत करने की 53 वर्ष पुरानी परंपरा को तोड़ा, यह प्रथा ब्रिटिश राज के ज़माने से चली आ रही थी।

      श्री  सिन्हा को निजी जीवन में  पढ़ने, बागवानी और लोगों से मिलने का शौक रहा है।साथ ही वे  अनेक क्षेत्रों में दिलचस्पी भी  रखते हैं। वे व्यापक रूप से कई  देशों का भ्रमण किया और कई राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधिमंडलों की अगुवाई भी कर चुके हैं।

      उन्होंने देश की ओर से कई वार्ताओं एवं आदान-प्रदान में एक अग्रणी भूमिका निभाई थी। इसके अलावा अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें कई सम्मान से सम्मानित भी किया गया।

      Yashwant sinha jayant sinhaपिछले कुछ सालों से श्री सिन्हा भाजपा में अपने आप को असहज महसूस करते आ रहे थें। वैसे इनके पुत्र जयंत सिन्हा हजारीबाग से सांसद और केंद्रीय मंत्री है।

      बावजूद श्री सिन्हा इसकी परवाह करते हुए भाजपा की नीतियों पर हमला करते रहे हैं। पिछले साल नोटबंदी और जीएसटी को लेकर वित मंत्री पर हमला भी करते रहे हैं।

      इसी बीच उन्होंने नई दिल्ली में “राष्ट्र मंच” का गठन किया था। जिसमें भाजपा के एक और बागी सांसद शत्रुध्न सिन्हा का साथ मिला।

      शनिवार को पटना के कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित इस मंच के अधिवेशन में उन्होंने भाजपा की केंद्र सरकार पर हमला करते हुए लोकतंत्र खतरे में होने की बात कहते हुए भाजपा को अलविदा कह कर राजनीति से रिटायर्ड होने की घोषणा की।लेकिन उन्होंने कहा कि देश को जब भी उनकी जरूरत होगी तो वे देश के लिए खड़े रहेंगे ।

      81 वर्षीय भाजपा नेता यशवंत सिन्हा हमेशा एक मुखर नेता के रूप में बने रहे और वे उसी मुखरता से भाजपा को आईना दिखाते हुए भाजपा के उन मार्गदर्शक नेताओं को एक संदेश दिया है कि पार्टी में घुट -घुटकर जीने से अच्छा है राजनीति से संयास ले लें।

      भले ही पूर्व केंद्रीय वित मंत्री यशवंत सिन्हा ने राजनीति से संयास ले लिया हो, लेकिन जब भी देश के आर्थिक विकास की चर्चा होगी उनमें श्री सिन्हा के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।     

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