“वैसे टाटा समूह के इस रवैया के खिलाफ आम लोगों में आक्रोश तो है ही, साथ ही जिला प्रशासन और झारखंड सरकार के प्रति भी लोगों में नाराजगी है…”
जमशेदपुर (संतोष कुमार)। लौहनगरी जमशेदपुर यानी टाटा साहब के सपनों का शहर यानि मजदूरों का शहर। जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा ने टाटा स्टील की स्थापना यहां के गरीब मजदूरों को बेहतरीन जीवन शैली उपलब्ध कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा।
लेकिन समय बदला और समय के साथ टाटा समूह के सोच में भी बदलाव हुए। टाटा समूह जो किसी जमाने में सीएसआर के तहत जमशेदपुर और आस- पास के क्षेत्रों में वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मुहैया कराती थी।
लेकिन आज टाटा समूह अपने निजी हितों को अधिक तवज्जो देने में जुट गई है। आज कहीं से भी जमशेदपुर के लोगों को नहीं लगता कि वे टाटा साहब के सपनों के जमशेदपुर में रह रहे हैं।
आज टाटा समूह जन सरोकार से जुड़े मुद्दे से हाथ खिंचती नजर आ रही है। टाटा साहब का सपना था सबको शिक्षा, सबको स्वास्थ्य और सबका मनोरंजन वो भी सस्ता और गुणवत्तायुक्त।
लेकिन आज टाटा समूह ने टाटा साहब के सपनों का व्यवसायीकरण करते हुए महंगी शिक्षा, महंगा स्वास्थ्य और महंगा मनोरंजन पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। जिसका सीधा लाभ आज लौह नगरी के मजदूर नहीं उठा पा रहे।
आज इसी का नमूना है कि झारखंड के मुख्यमंत्री के अनुरोध के बाद भी टाटा समूह ने अपने अस्पताल में देश के प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आयुष्मान योजना को अपने यहां लागू होने नहीं दिया है।
वही किसी जमाने में क्वालिटी एजुकेशन देने वाले स्कूलों को टाटा समूह ने या तो बंद कर दिया या निजी हाथों में सौंप दिया। मनोरंजन के नाम पर यहां वर्ल्ड क्लास कीनन स्टेडियम हुआ करता था जो आज अपने अतीत को तलाश रहा है। इसे भी टाटा समूह ने छोड़ दिया।
रहा सहा कोर कसर आम लोगों के लिए एक मात्र मनोरंजन का स्थल जुबिली पार्क था, जो कोल्हान का सबसे बड़ा और खूबसूरत पार्क है, उसे बंद कर पूरी कर दी गई।
यहां लोग छुट्टियां बिताने अपने परिवार सहित पहुंचते है। लेकिन इस पार्क से होकर बीचो बीच जो रास्ता गुजरती है वो जमशेदपुर की एक बड़ी आबादी के लिए लाईफ लाईन है।
इस मार्ग से होकर हजारों यात्री कदमा, सोनारी, बिष्टुपुर, धातकीडीह के लिए आते- जाते हैं। धीरे- धीरे टाटा समूह इस पार्क को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में करने के लिए जहां पहले तो रविवार के दिन वाहन लेकर प्रवेश पर रोक लगाया। उसके बाद जनवरी के महीने में 10 दिन के लिए पार्क के सड़क को बंद किया गया।
अब टाटा साहब के जयंती के मौके पर पार्क मेंटेनेंस के नाम पर 21 दिनों के लिए प्रबंधन ने पाक के सड़क को 21 दिनों के लिए बंद करने का निर्णय लिया है। ऐसे में उन लोगों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, जो रोजमर्रा के लिए इस सड़क का प्रयोग करते हैं।
वैसे जमशेदपुर के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी खास उत्सव के लिए इस सड़क को बंद किया जा रहा है। अमूमन 3 मार्च यानि टाटा साहब की जयंती के मौके पर जुबिली पार्क को सजाया जाता था और सैलानी यहां विद्युत सज्जा का लुफ्त उठाने पहुंचते थे।
ऐसे में 1 सप्ताह 10 दिन के लिए पार्क को शाम के वक्त बंद किया जाता था, लेकिन अब धीरे-धीरे टाटा समूह ने पार्क में आवागमन ही बंद करने का नया सिलसिला शुरू कर दिया है।
महीने भर पार्क से होकर आवागमन बाधित होने पर यहां के लाखों लोगों को परेशानी होगी। इससे टाटा समूह को कोई लेना- देना नहीं। वैसे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा का यह कतई सपना नहीं था।
लोगों का मानना है कि टाटा के इस तुगलकी फरमान के खिलाफ ना तो जिला प्रशासन, न ही राज्य सरकार कभी कोई एक्शन लेती है।