अन्य
    Sunday, April 28, 2024
    अन्य

      क्या नीतीश को गांधी मैदान की संकल्प रैली में मोदी देंगे ‘डीएनए’ का सर्टिफिकेट!

      “राजनीति भी कमाल की चीज है।यहाँ न कोई स्थायी दोस्त है और न ही दुश्मन। शायद केर-बेर का संग होना ही राजनीति कहलाता है। जिसमें आत्मा मरे या आत्मियता। बचे तो सिर्फ सत्ता। कुछ-कुछ नीतीश की राजनीति का फ्लैश बैक यही कह रहा है….”

      पटना (जयप्रकाश नवीन)। लगभग तीन दशक से एनडीए का हिस्सा रहे नीतीश कुमार ने जब पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए से नाता क्या तोड़ा कि एनडीए के दो अटूट दोस्त अचानक से कट्टर  दुश्मन बन गए।

      दोनों दलों के बीच चुगलियां, आक्षेप और सियासी अनबन इतनी तेज हो गई थी कि  राजनीतिक हमला होते-होते प्रहार व्यक्तिगत हो चुका था। सीएम नीतीश कुमार के ‘डीएनए’ पर सवाल खड़ा हो गया था।

      डीएनए के सवाल पर जदयू ने भी आक्रमक तेवर दिखाते हुए जगह-जगह कैंप लगाकर बिहार की जनता का बाल और नाखून बोरा का बोरा डीएनए के सैंपल के लिए पीएमओ कार्यालय भेजना शुरू कर दिया था।nitish modi

      अपने डीएनए के प्रश्न पर सवाल खड़ा करने वाले को जवाब देने के लिए सीएम नीतीश कुमार को कवि तक बनना पड़ गया था। लेकिन साढ़े तीन साल के तकरार के बाद सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए का हिस्सा है।

      इस बार एनडीए की ओर से पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में संकल्प रैली का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कहा जा रहा है कि यह रैली सीएम नीतीश की पहल पर ही आयोजित की जा रही है।

      रैली में सीएम नीतीश कुमार शामिल ही नहीं होंगे, बल्कि महागठबंधन के नेताओं को ‘एक्सपोज’ भी करेंगे, जिनके बलबूते एनडीए छोड़ने के बाद फिर से सीएम बनने का उन्हें मौका मिला था।

      सीएम नीतीश कुमार फिर से दस साल बाद पीएम के साथ राजनीतिक मंच साक्षा करेंगे। इससे पहले सीएम नीतीश कुमार ने गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी के साथ 2009 में लुधियाना में आयोजित एनडीए रैली में हाथ से हाथ मिलाते हुए देखें गए थे।

      इस रैली के बाद सीएम नीतीश कुमार को सफाई देनी पड़ी थी। उन्होंने तत्कालीन गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी के दिए बाढ़ राहत राशि की चेक लौटा दी थी।

      पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 3 मार्च को आहूत एनडीए की संकल्प रैली चर्चा में है। कहा जा रहा है कि इस रैली के सहारे एनडीए अपने विरोधियों को जवाब देगा, अपनी ताकत का एहसास कराएगा और फिर से पीएम मोदी को सत्ता में लाने का संकल्प भी लेगा।

      कहा तो यह भी जा रहा है कि यह रैली एनडीए की सभी रैलियों को फेल कर देगा। इस रैली को लेकर एनडीए के घटक दलों में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है। जदयू भी इस रैली को लेकर काफी उत्साहित दिख रही है। जदयू भी ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने में लगी हुई है।Modi nitish

      संकल्प रैली की तैयारी को देखकर नहीं लगता है कि यह एनडीए बेस्ड रैली है। पटना की सड़क पर रंग बिरंगे तोरण द्वार,पोस्टर बैनर को देखकर यही कहा जा सकता है कि जदयू की रैली है। वही लोजपा भी रैली को लेकर तैयारी की रंग में डूबी हुई है।

      संकल्प रैली को लेकर केंद्र तथा बिहार के शीर्ष नेताओं ने संभाल रखी है।रैली को लेकर एक समिति भी बनाई गई है जो रणनीति तय कर रही है। पंचायत से लेकर राज्य तक बेहतर रणनीति तय की गई है, जिसका परिणाम तीन मार्च को दिखेगा।

      एनडीए नेताओं का दावा है कि रैली गांधी मैदान के सारे रिकार्ड तोड़ देगी। कहा जा रहा है कि एनडीए इस रैली के सहारे लोकसभा चुनाव की नैया पार करना चाहती है।

      यह वहीं गांधी मैदान है, जहाँ से पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने सीएम नीतीश कुमार पर तीखे व्यंग्य वाण छोड़े थे। कभी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ‘अराजक गोत्र’ कहने वाले श्री मोदी ने सीएम नीतीश कुमार के डीएनए पर सवाल खड़ा कर दिया था।

      उन्होंने उनका डीएनए ही खराब बता दिया था। यहां तक कि पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आपके मित्र ने एनडीए क्यों छोड़ा। उसके जवाब में उन्होंने कहा था कि जो जेपी को छोड़ सकता है तो उसने एनडीए को छोड़ दिया तो क्या छोड़ा।

      पीएम प्रत्याशी ने जनता को जेडयू का मतलब भी समझाते हुए कहा था जे से जनता, डी से दमन और यू से उत्पीड़न मतलब जनता का दमन और उत्पीड़न ही जेडयू है।

      इसके जबाब में सीएम नीतीश कुमार अपनी चुनावी रैलियों में कविता के माध्यम से जबाब देते थे ‘एक हवा का झोंका था….”।

      एनडीए छोड़ने के बाद सीएम नीतीश ने ऐलान किया था कि ‘मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन भाजपा में नहीं जाएंगे’ उनका यह ऐलान ज्यादा पुराना नहीं है। लोगों के जेहन में यह आज भी ताजा होगा।

      लेकिन आज सीएम नीतीश कुमार फिर से भाजपा के डबल इंजन में सवार है।तीन मार्च को वही गांधी मैदान होगा जहाँ पांच साल पहले उनके डीएनए पर सवाल उठा था।

      आज फिर से पीएम नरेंद्र मोदी की पटना के गांधी मैदान से उठी वह आवाज “भाईयो और बहनों! बिहार के लोग अवसर वादी नहीं होते हैं, कुछ अपवादी लोग को छोड़ कर’।

      तो क्या सीएम नीतीश बकौल पीएम एक बार फिर अवसर वादी हो गए हैं?  क्या सीएम अपने ‘डीएनए’ के दाग को भूल गए या फिर दाग अच्छे है?

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!