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    Thursday, May 2, 2024
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      एक बार फिर राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बनी नालंदा जेजेबी का यह अजीबोगरीब फैसला !

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। बिहार के नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी एवं बिहार शरीफ व्यवहार न्यायालय में अपर सत्र न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा फिर मीडिया की सुर्खियों में हैं।

      हालांकि, उन्होंने अपने कार्यकाल में सामान्यतः लीक से हटकर कई ऐसे फैसला दिए हैं, जिसकी चर्चा होती रही है। क्योंकि आरोपी-दोषी के सामाजिक-आर्थिक जैसे गंभीर पहलुओं के मद्देनजर दिए गए मानवीय न्याय के बिना अपराध मुक्त समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। उनके प्रायः फैसले का आधार यही स्ष्ट होता रहा है।

      खबरों की मानें तो बीते दिनों समाज और किशोर हित को सर्वोपरि मानते हुए जज मानवेन्द्र मिश्रा ने एक बार फिर लीक से हटकर फैसला सुनाया है।

      उन्होंने बिहार के नाबालिग दंपती और उनकी चार माह की मासूम बेटी की जान की हिफाजत को कानून के प्रावधानों से अधिक अहमियत दी।

      उन्होंने आरोपित किशोर और नाबालिग किशोरी को शादी की नीयत से भगाकर ले जाने व रेप जैसे जघन्य अपराध से न सिर्फ दोषमुक्त किया, बल्कि नाबालिग की शादी को समाज हित व उत्पन्न हालात में सही करार दिया है।

      हालांकि, फैसले में यह भी कहा कि इस जजमेंट को आधार बनाकर कोई अन्य दोषी खुद को निर्दोष साबित करने का प्रयास न करे। चार माह की बच्ची व उसकी मां को आरोपित किशोर के हवाले कर दिया।

      साथ ही, किशोर के मां-बाप को आदेश दिया कि वयस्क होने तक दंपती व उससे जन्मी बच्ची को सही तरीके से देखभाल, सुरक्षा व संरक्षण देंगे।

      इसके अलावा बाल कल्याण पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि किशोर व उसकी नाबालिग पत्नी व बच्चे पर सतत निगरानी रखेंगे। वे दो वर्षों तक प्रत्येक 6 माह में उसके रहने, खाने-पीने व अन्य हालात की विस्तृत रिपोर्ट किशोर न्याय परिषद को सौंपेंगे।

      बता दें कि नूरसराय थाना क्षेत्र से जुड़ा यह मामला वर्ष 2019 की है, जब किशोर की उम्र 17 साल व किशोरी की उम्र 16 साल थी। दोनों नाबालिग ने प्रेम-प्रसंग में भागकर शादी रचा ली।

      इसके बाद अंतरजातीय विवाह को लेकर किशोरी पक्ष के लोगों ने अपनी बेटी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, किशोरी ने भी कोर्ट में दिए गए बयान में अपनी जान को मां-बाप से खतरा बताते हुए लड़के के साथ रहने की बात कही थी।

      यह मामला जब किशोर न्याय परिषद में पहुंचा तो जज मानवेंद्र मिश्र और सदस्य ऊषा कुमारी व धर्मेंद्र कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अभिलेख का अध्ययन किया।

      बीते शुक्रवार को उसी मामले में किशोर के अलावा उसकी नाबालिग पत्नी व चार माह की बच्ची समेत परिजन जेजेबी कोर्ट में उपस्थित हुए। कोर्ट ने घंटों सुनवाई के बाद किशोरी व उसकी चार माह की बच्ची के जीवन को देखते हुए यह फैसला सुनाया।

      पीड़ित किशोरी ने कोर्ट के समक्ष अपनी आपबीती सुनायी। उसने बताया कि उसके माता-पिता उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं और अगर पति को सजा दी जाती है तो उसका और उसकी संतान की जान खतरे में पड़ जाएगी।

      इसके बाद जज ने अपने फैसले में कहा कि हर अपराध के लिए सजा दिया जाना न्याय नहीं होगा। यह सही है कि किशोर ने नाबालिग किशोरी को भगाकर ले गया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया, जिससे एक बच्ची पैदा हुई। यह अपराध है।

      लेकिन, अब उसकी बच्ची जन्म ले चुकी है। बच्ची व उसकी मां को उसके परिजन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में किशोर को दंडित करके तीन नाबालिगों की जान सांसत में नहीं डाली जा सकती है।

      किशोर ने भी पत्नी व बच्ची को स्वीकार करते हुए अच्छी तरह से देखभाल कर रहा है और आगे भी करने का वचन कोर्ट के समक्ष देता है तो यहां पर न्याय के साथ तीन लोगों का हित भी देखना सर्वोत्तम है।

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