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Tuesday, April 29, 2025
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EOU की रिमांड पर संजीव मुखिया, CBI दिल्ली की टीम भी करेगी पूछताछ

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने एक बार फिर अंतर्राज्यीय परीक्षा माफिया के सरगना संजीव मुखिया उर्फ लूटन मुखिया को गिरफ्तार कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। पटना सिविल कोर्ट ने ईओयू की याचिका को मंजूर करते हुए बेऊर जेल में बंद संजीव को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया है। इस रिमांड के दौरान ईओयू की टीम संजीव से गहन पूछताछ करेगी, जिससे परीक्षा माफिया के गहरे राज खुलने की संभावना है।

प्रारंभिक पूछताछ में संजीव मुखिया ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। उसने बिहार, झारखंड और अन्य राज्यों में हुए विभिन्न पेपर लीक मामलों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। ईओयू के अधिकारियों ने जब उससे पूछा कि एक सरकारी नौकरी में रहते हुए वह इस तरह के अपराध में क्यों शामिल हुआ तो उसका जवाब हैरान करने वाला था। संजीव ने कहा कि उसे अपनी पत्नी को एक बार एमपी या एमएलए बनाना है। चुनाव लड़ने में बहुत खर्च होता है और पेपर लीक से ही इतना पैसा कमाया जा सकता है।

संजीव ने आगे खुलासा किया कि नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड अंतर्गत भुतहाखार पंचायत की मुखिया रही उसकी पत्नी ने वर्ष 2020 में हरनौत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन हार गई थी। अब वह अपनी पत्नी को लोकसभा चुनाव में उतारने की योजना बना रहा था, जिसके लिए उसे भारी धनराशि की जरूरत थी। इस धन की व्यवस्था के लिए वह पेपर लीक के धंधे में सक्रिय था।

हालांकि संजीव मुखिया की संलिप्तता केवल बिहार तक सीमित नहीं है। झारखंड के सीजीएल (सामान्य स्नातक परीक्षा) प्रश्नपत्र लीक मामले में भी उसका नाम सामने आया है। रांची, देवघर और हजारीबाग में उसके गिरोह के कई सदस्य सक्रिय पाए गए हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई की पटना इकाई के बाद अब दिल्ली की सीबीआई टीम भी पटना पहुंच चुकी है। यह टीम संजीव से पूछताछ करेगी और उसे रिमांड पर लेकर और गहरी जानकारी हासिल करने की कोशिश करेगी।

ईओयू ने संजीव को गिरफ्तार करने के बाद उसे जेल भेज दिया था। लेकिन अब रिमांड पर लेने के बाद उससे और गहरे सवाल-जवाब किए जाएंगे। अधिकारियों का मानना है कि संजीव के पास परीक्षा माफिया के अंतर्राज्यीय नेटवर्क की कई अहम जानकारियां हैं। जिनके खुलासे से इस गिरोह का पूरी तरह पर्दाफाश हो सकता है। ईओयू ने पहले भी संजीव के कई सहयोगियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन संजीव की गिरफ्तारी को सबसे बड़ी सफलता माना जा रहा है।

संजीव मुखिया की रिमांड और सीबीआई की पूछताछ से कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है। यह मामला न केवल बिहार और झारखंड, बल्कि अन्य राज्यों में भी फैले परीक्षा माफिया नेटवर्क की गहरी जड़ों को उजागर कर सकता है। इस पूछताछ से न केवल अपराधियों के नाम सामने आएंगे, बल्कि यह भी पता चल सकता है कि इस नेटवर्क को कौन-कौन से बड़े लोग संरक्षण दे रहे हैं और किन-किन अभ्यर्थी लोगों को लाभ मिला है।

NEET paper leak case: संजीव मुखिया के खुलासे से कई राज्यों के मेडिकल माफिया हुए नंगा

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नीट पेपर लीक मामले (NEET paper leak case) में बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीमें संजीव मुखिया से गहन पूछताछ कर रही हैं। सीबीआई की पटना इकाई के बाद अब दिल्ली की टीम भी पटना पहुंच चुकी है और जल्द ही संजीव को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू करेगी। इस मामले में संजीव के खुलासों ने एक बड़े मेडिकल माफिया नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसमें बिहार, झारखंड और राजस्थान के करीब 200 डॉक्टरों के शामिल होने की बात सामने आई है।

ईओयू ने संजीव से नीट पेपर लीक में उनकी भूमिका को लेकर सवाल किए। संजीव ने दावा किया कि उन्हें इस मामले की ज्यादा जानकारी नहीं है और मुख्य रूप से उनका बेटा डॉ. शिव और भतीजा अश्विनी रंजन ही सबकुछ मैनेज कर रहे थे। संजीव ने यह भी खुलासा किया कि डॉ. शिव का दोस्त डॉ. शुभम भी इस रैकेट में शामिल है।

ईओयू: नीट पेपर लीक में तुम्हारी क्या भूमिका है?

संजीव: सर, इसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं मालूम है। इस बारे में मेरा बेटा डॉ. शिव और भतीजा अश्विनी रंजन ही सबकुछ जानते हैं। वहीं, दोनों बिहार में सबकुछ मैनेज कर रहे थे। शिव का दोस्त डॉ. शुभम को भी इसकी जानकारी होगी।

जानकारी के अनुसार, डॉ. शिव को पिछले साल सिपाही बहाली प्रश्नपत्र लीक मामले में उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल जमानत पर है, लेकिन नए तथ्यों के आधार पर ईओयू अब फिर से उनकी तलाश में जुट गई है।

संजीव ने पूछताछ में बताया कि नीट के प्रश्नपत्र सॉल्व करने के लिए बिहार, झारखंड और राजस्थान के लगभग 200 डॉक्टरों का नेटवर्क काम करता था। ये डॉक्टर सॉल्वर के तौर पर काम करते थे और प्रत्येक पेपर सॉल्व करने के लिए 8 से 10 लाख रुपये लेते थे।

ईओयू: नीट का प्रश्नपत्र किससे सॉल्व कराते हो?

संजीव: सर, डॉक्टर सॉल्वर के तौर पर काम करते थे। मेरे और मेरे बेटे डॉ. शिव के संपर्क में बिहार, झारखंड और राजस्थान के लगभग 200 डॉक्टर हैं। इन्हीं डॉक्टरों को पेपर सॉल्व करने का काम दिया जाता था। उन्हें इसके लिए 8-10 लाख रुपये देते थे।

ईओयू को संजीव की मेल आईडी, मोबाइल और डायरी से पटना मेडिकल कॉलेज (पीएमसीएच), नालंदा मेडिकल कॉलेज (एनएमसीएच), एम्स पटना और कटिहार मेडिकल कॉलेज (केएमसीएच) सहित कई मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों के नाम मिले हैं। इन नामों का सत्यापन चल रहा है।

संजीव से उनकी संपत्ति के स्रोत को लेकर भी सवाल किए गए। उन्होंने दावा किया कि उनके पास कोई खास संपत्ति नहीं है और जो कुछ है, वह उनकी पत्नी, बच्चों और पिता के नाम पर है। संजीव ने यह भी कहा कि उनकी पत्नी ने 2020 में लोजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उनका सारा पैसा खर्च हो गया।

ईओयू: तुम्हारे पास इतनी संपत्ति कहां से आई?

संजीव: सर, मेरे पास कहां संपत्ति है। जो है भी वो पत्नी, बच्चे और पिता के नाम है। पत्नी ने 2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था। लोजपा से टिकट मिला था। मेरा सारा पैसा चुनाव लड़वाने में खर्च हो गया। मेरे पास कुछ नहीं है।

हालांकि, जांच में पता चला है कि संजीव पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज है। उनकी संपत्ति उनकी घोषित आय से 144% अधिक है, जिसकी अनुमानित कीमत 1 करोड़ 75 लाख रुपये है। संजीव कथित तौर पर अपनी संपत्तियों को रिश्तेदारों के नाम ट्रांसफर कर रहा है ताकि वे जब्त न हो सकें।

सीबीआई की दिल्ली टीम अब संजीव को रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की तैयारी में है। जांच एजेंसियां इस मामले में शामिल अन्य लोगों खासकर डॉ. शिव, अश्विनी रंजन और डॉ. शुभम की तलाश तेज कर रही हैं। साथ ही मेडिकल कॉलेजों से जुड़े डॉक्टरों की भूमिका की भी गहन जांच की जा रही है।

बहरहाल, यह मामला न केवल नीट पेपर लीक तक सीमित है, बल्कि इससे शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़े माफिया नेटवर्क का खुलासा हुआ है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।

पटना में गिरफ्तार NEET-UG 2024 पेपर लीक सरगना संजीव मुखिया को लेकर बड़ा खुलासा

पटना, 25 अप्रैल 2025 (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक सनसनीखेज कार्रवाई में NEET-UG 2024 पेपर लीक मामले के मुख्य आरोपी संजीव कुमार उर्फ संजीव मुखिया उर्फ लूटन मुखिया को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी बीती देर रात पटना के सगुना मोड़ इलाके में एक फ्लैट से की गई, जहां वह 11 महीनों से फरार होने के बाद छिपा हुआ था। बिहार पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।

नालंदा जिले के नगरनौसा थाना क्षेत्र के शाहपुर बलवा गांव का निवासी संजीव मुखिया मई 2024 में NEET-UG पेपर लीक के बाद से फरार था। जांच एजेंसियों, जिसमें EOU, STF और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) शामिल हैं, सबने उसे पकड़ने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और नेपाल तक छापेमारी की। मुखिया की नेपाल में छिपने की खबरों ने उसकी गिरफ्तारी को और चुनौतीपूर्ण बना दिया था।

पटना पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि मुखिया सगुना मोड़ के एक फ्लैट में छिपा है। इस आधार पर EOU और STF की संयुक्त टीम ने देर रात छापेमारी कर उसे धर दबोचा। EOU के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) नैयर हसनैन खान के अनुसार संजीव मुखिया एक संगठित गिरोह का सरगना था, जो बिहार और अन्य राज्यों में पेपर लीक की घटनाओं को अंजाम देता था। उसकी गिरफ्तारी परीक्षा में धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत है।

बता दें कि 5 मई 2024 को देशभर के 4,750 केंद्रों पर आयोजित NEET-UG 2024 परीक्षा में पेपर लीक की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। पटना पुलिस ने सबसे पहले इस घोटाले का खुलासा किया, जब पता चला कि पटना के एक निजी स्कूल में 20-25 छात्रों को परीक्षा से एक दिन पहले प्रश्नपत्र और उत्तर उपलब्ध कराए गए थे। प्रत्येक छात्र से इसके लिए 30-40 लाख रुपये वसूले गए थे।

जांच पहले स्थानीय पुलिस ने शुरू की, फिर इसे EOU को सौंपा गया और अंत में इसकी गंभीरता को देखते हुए CBI को हस्तांतरित कर दिया गया। इस घोटाले ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए और देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता पर बहस छेड़ दी।

संजीव मुखिया की आपराधिक गतिविधियां केवल NEET-UG 2024 तक सीमित नहीं हैं। पिछले दो दशकों से वह विभिन्न प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक में शामिल रहा है। उसका आपराधिक रिकॉर्ड 2010 से शुरू होता है, जब उसका नाम पहली बार पेपर लीक के एक मामले में सामने आया था। 2016 में उसे उत्तराखंड में मेडिकल प्रवेश परीक्षा का पेपर लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में उसे दो महीने में जमानत मिल गई थी।

मुखिया पर कई हाई-प्रोफाइल परीक्षाओं के पेपर लीक का आरोप है, जिनमें बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE 3.0), बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा (2023) लीक के कारण रद्द करना पड़ा, हरियाणा पशु चिकित्सक और अंग्रेजी शिक्षक भर्ती परीक्षाएं शामिल हैं।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। क्योंकि उसकी संपत्ति उसकी आय से 144% अधिक पाई गई थी। मुखिया का अंतरराज्यीय गिरोह बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में सक्रिय था। प्रश्नपत्रों को छपाई, पैकेजिंग या परिवहन के दौरान हासिल करता था और फिर इसे सॉल्वर गैंग के जरिए उम्मीदवारों तक पहुंचाता था।

मुखिया का परिवार भी उसकी आपराधिक गतिविधियों में गहरे तक शामिल है। उसका बेटा शिव कुमार पटना मेडिकल कॉलेज से स्नातक है, वह BPSC पेपर लीक मामले में जेल में है। उसका भांजा रॉकी उर्फ राकेश रंजन भी NEET-UG मामले में गिरफ्तार हो चुका है। मुखिया की पत्नी ममता देवी भुतहाखार पंचायत की पूर्व मुखिया रह चुकी हैं और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हरनौत सीट से केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं।

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने मुखिया के कथित राजनीतिक कनेक्शन को लेकर सत्ताधारी गठबंधन पर निशाना साधा है। RJD ने आरोप लगाया कि मुखिया को संरक्षण देने में सत्ताधारी दल के नेता शामिल हैं। इन आरोपों ने मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है, और विपक्ष ने मुखिया के कनेक्शनों की गहन जांच की मांग की है।

बिहार पुलिस ने हाल के महीनों में मुखिया की गिरफ्तारी के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए थे। अप्रैल 2024 में, उसकी गिरफ्तारी के लिए 3 लाख रुपये और उसके दो सहयोगियों शुभम कुमार और राजकिशोर कुमार के लिए 1-1 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई थी। मार्च 2025 में EOU ने मुखिया के घर पर एक नोटिस चस्पा किया था, जिसमें उसकी संपत्ति जब्त करने की चेतावनी दी गई थी। इन उपायों के साथ-साथ लगातार छापेमारी और खुफिया जानकारी ने आखिरकार उसकी गिरफ्तारी को संभव बनाया।

बहरहाल मुखिया की गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लेकिन जांचकर्ताओं का मानना है कि यह केवल हिमशैल का सिरा है। EOU और CBI को उम्मीद है कि उससे पूछताछ में उसके नेटवर्क और अन्य सहयोगियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। एक वरिष्ठ EOU अधिकारी ने कहा कि मुखिया की जानकारी पेपर लीक के पूरे तंत्र को उजागर कर सकती है, जिसमें प्रिंटिंग प्रेस से लेकर बिचौलियों और लाभार्थियों तक शामिल हैं।

इलेक्ट्रिक स्कूटी की बैट्री ब्लास्ट में 2 की मौत, झोंपड़ियां जलकर राख

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। गोपालगंज जिले के उचकागांव थाना क्षेत्र अंतर्गत गोपालगंज-मीरगंज एनएच-531 पर वृंदावन सदासी राय टोला गांव के समीप एक दर्दनाक इलेक्ट्रिक स्कूटी हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। एक चलती इलेक्ट्रिक स्कूटी की बैट्री में हुए भीषण विस्फोट ने न केवल दो जिंदगियों को लील लिया, बल्कि आसपास के क्षेत्र में भारी तबाही भी मचाई।

इस हादसे में स्कूटी पर सवार मिथुन सोनी (26 वर्ष) और उनकी डेढ़ वर्षीया भतीजी आरोही कुमारी की मौके पर ही मौत हो गई। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि स्कूटी पर रखे पटाखों के डिब्बे में भी आग लग गई, जिसके बाद एक के बाद एक पटाखे फटने लगे। इस आग की चपेट में आकर दो आवासीय झोंपड़ियां जलकर राख हो गईं।

खबरों के अनुसार मीरगंज थाना क्षेत्र के सब्जी मंडी निवासी लक्ष्मण सोनी के पुत्र मिथुन सोनी अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटी से थावे बाजार की ओर जा रहे थे। वे अपने साथ पटाखों से भरा एक डिब्बा लेकर बाजार में सप्लाई के लिए निकले थे। उनकी डेढ़ साल की भतीजी आरोही भी उनके साथ थी। जैसे ही वे वृंदावन सदासी राय टोला गांव के पास पहुंचे कि अचानक स्कूटी की बैट्री में जोरदार विस्फोट हो गया।

इस ब्लास्ट के तुरंत बाद स्कूटी पर रखे पटाखों ने आग पकड़ ली, जिससे धमाकों का सिलसिला शुरू हो गया। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि पास की दो आवासीय झोंपड़ियां भी इसकी चपेट में आ गईं और देखते ही देखते जलकर राख हो गईं। धमाकों की आवाज से आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोग दहशत में इधर-उधर भागने लगे।

हादसे की खबर फैलते ही आसपास के लोग मौके पर जमा हो गए। आग की चपेट में अपनी झोंपड़ियां खो चुके लोगों में भारी आक्रोश देखा गया। गुस्साए लोगों ने मुआवजे की मांग को लेकर गोपालगंज-मीरगंज एनएच-531 को डेढ़ घंटे तक जाम कर दिया। इस दौरान सड़क पर लंबा जाम लग गया और यातायात पूरी तरह ठप हो गया।

स्थानीय लोगों की सूचना पर उचकागांव थाना पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। फायर ब्रिगेड ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। जबकि पुलिस ने आक्रोशित भीड़ को शांत कर सड़क जाम को खुलवाया। पुलिस ने मृतकों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

यह हादसा इलेक्ट्रिक स्कूटी की बैट्री की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि घटिया क्वालिटी की बैट्री या अनुचित रखरखाव के कारण इस तरह के विस्फोट हो सकते हैं। इसके अलावा स्कूटी पर पटाखों जैसे ज्वलनशील पदार्थों को ले जाना भी इस हादसे को और घातक बना गया।

उचकागांव थाना प्रभारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में बैट्री विस्फोट को हादसे का मुख्य कारण माना जा रहा है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि स्कूटी पर इतनी मात्रा में पटाखे ले जाने की अनुमति थी या नहीं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करते समय सुरक्षा मानकों का पालन करें और ज्वलनशील पदार्थों को साथ में न ले जाएं।

BPSC मुख्य परीक्षा पर रोक SC का इंकार, जाने बड़ी वजह

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया है। यह परीक्षा 25 अप्रैल 2025 को निर्धारित है। याचिकाकर्ताओं ने प्रारंभिक परीक्षा में कथित पेपर लीक के आधार पर मुख्य परीक्षा को रद्द करने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को पर्याप्त नहीं माना।

न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश मनमोहन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश और कोलिन गोंजालवेज ने दावा किया कि प्रारंभिक परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने के सबूत मौजूद हैं। उन्होंने वाट्सएप चैट और वीडियो क्लिप का हवाला दिया। जिसमें कथित तौर पर कुछ परीक्षा केंद्रों पर लाउडस्पीकर के जरिए प्रश्न पत्र के जवाब दिए जाने का दावा किया गया।

खंडपीठ ने इन दावों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या डिजिटल साक्ष्य को पूरी तरह से सबूत के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है। कोर्ट ने वीडियो क्लिप की जांच की और पाया कि पेपर लीक का आरोप केवल एक परीक्षा केंद्र से संबंधित है, जहां गड़बड़ी के बाद दोबारा परीक्षा आयोजित की गई थी।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यदि परीक्षा की निष्पक्षता पर संदेह है, तो पूरी परीक्षा को रद्द कर दोबारा आयोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रारंभिक परीक्षा के 24 प्रश्न कोचिंग सेंटरों द्वारा प्रदान किए गए मॉक टेस्ट के प्रश्नों से मिलते-जुलते थे।

इसके जवाब में खंडपीठ ने कहा कि कोचिंग सेंटरों के मॉक टेस्ट में पूछे गए प्रश्नों का वास्तविक परीक्षा के प्रश्नों से मिलना असामान्य नहीं है। कोर्ट ने इसे संयोग मानते हुए याचिकाकर्ताओं के दावे को खारिज कर दिया।

बिहार सरकार और बीपीएससी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि बीपीएससी परीक्षा के लिए चार सेट में प्रश्न पत्र तैयार किए जाते हैं। जिससे पेपर लीक की संभावना न्यूनतम होती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक केंद्र पर गड़बड़ी होने से पूरी परीक्षा प्रक्रिया को अमान्य नहीं किया जा सकता। मेहता ने याचिकाकर्ताओं के दावे का खंडन करते हुए कहा कि 150 प्रश्नों में से केवल दो प्रश्न कोचिंग सेंटर के मॉक टेस्ट से मिलते-जुलते थे, जो सामान्य बात है।

सभी दलीलों पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि कुछ लोग उम्मीदवारों की असुरक्षा का फायदा उठाकर हर परीक्षा की प्रक्रिया पर सवाल उठाने की कोशिश कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एक केंद्र पर हुई गड़बड़ी के आधार पर पूरी परीक्षा को रद्द करना उचित नहीं है।

CM नीतीश कुमार के विवादित व्यवहार बन रही NDA की मुसीबत

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के मुख्यमंत्री (CM) नीतीश कुमार लंबे समय से राज्य की राजनीति के केंद्र में हैं। लेकिन वे हाल के महीनों में अपने असामान्य और विवादास्पद व्यवहार के कारण चर्चा में हैं। उनकी कुछ हरकतों ने न केवल राजनीतिक हलकों में, बल्कि आम जनता और सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। आज उनका मंत्री अशोक चौधरी को लेकर संबोधन भी नीतीश की वाक्य शैली को हल्का बनाती है।

महिला के साथ मंच पर व्यवहार (मार्च 2025): एक सार्वजनिक कार्यक्रम में नीतीश कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे एक महिला को कथित तौर पर आपत्तिजनक तरीके से अपनी ओर खींचते और उनके कंधे पर लंबे समय तक हाथ रखे नजर आए। इस घटना की तीखी आलोचना हुई। खासकर विपक्षी दलों जैसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे उनकी रोजमर्रा की फितरत करार दिया। जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा।

सदन में असभ्य टिप्पणियां (नवंबर 2023): नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में जनसंख्या नियंत्रण और महिलाओं की शिक्षा के संदर्भ में ऐसी टिप्पणियां कीं, जिन्हें कई लोगों ने अशोभनीय और गरिमाहीन माना। उन्होंने प्रजनन दर और यौन शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर जिस भाषा और अंदाज का इस्तेमाल किया, उसकी वजह से विपक्ष ने उन पर निशाना साधा। हालांकि नीतीश ने बाद में माफी मांगी। लेकिन इस घटना ने उनकी सावधानीपूर्वक बनाई गई सुशासन बाबू की छवि पर सवाल उठाए।

सार्वजनिक मंचों पर असामान्य व्यवहारः नीतीश कुमार के हालिया सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनके हावभाव और भाषण शैली ने कई लोगों को हैरान किया है। कुछ मौकों पर वे असंबद्ध या असामान्य टिप्पणियां करते दिखे। राष्ट्रगाण के दौरान उनके व्यवहार की भी खूब किरकिरी हुई। जिससे उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को लेकर अटकलें तेज हुईं। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने तो सार्वजनिक रूप से यह कहा कि नीतीश होश में नहीं हैं और थक चुके हैं।

स्वास्थ्य संबंधी अटकलें: नीतीश कुमार की उम्र (74 वर्ष) और बार-बार सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी खबरें उनके व्यवहार को समझने का एक संभावित कारण हो सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लंबे समय तक सत्ता में रहने और तनावपूर्ण गठबंधन राजनीति का दबाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है। हालांकि नीतीश और उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने इन अटकलों को खारिज किया है।

राजनीतिक दबाव और गठबंधन की उलझनः नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा में बार-बार गठबंधन बदलने (एनडीए से महागठबंधन और फिर वापस एनडीए) ने उन्हें आलोचना का पात्र बनाया है। 2024 में नौवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनकी पार्टी जद(यू) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ तालमेल बिठाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा के कुछ नेताओं ने बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जताई है। जिससे नीतीश पर दबाव बढ़ा है। इस तनाव का असर उनके सार्वजनिक व्यवहार में दिखाई दे सकता है।

छवि को नुकसान और विपक्ष का हमलाः नीतीश कुमार को सुशासन बाबू के रूप में जाना जाता रहा है।  लेकिन हाल के विवादों ने उनकी इस छवि को धूमिल किया है। विपक्ष, खासकर राजद और इसके नेता तेजस्वी यादव इन घटनाओं को नीतीश की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले यह राजनीतिक रणनीति नीतीश के लिए खतरा बन सकती है।

महिला मतदाताओं पर असरः नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में महिलाओं के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। लेकिन हाल के विवाद खासकर महिलाओं के प्रति उनके व्यवहार से जुड़े, उनके महिला समर्थक आधार को कमजोर कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं।

पार्टी के भीतर असंतोषः जद(यू) के भीतर नीतीश के उत्तराधिकारी को लेकर अनिश्चितता है। उनके हालिया व्यवहार ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में निराशा पैदा की है। कुछ नेताओं का मानना है कि नीतीश की छवि को नुकसान पार्टी के लिए 2025 के चुनाव में नुकसानदायक हो सकता है।

विपक्ष को मजबूतीः नीतीश के विवादित व्यवहार ने विपक्ष को एकजुट होने और हमला करने का मौका दिया है। राजद और अन्य दल इसे नीतीश की सरकार को लाचार और असफल साबित करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

सच पुछिए तो बिहार जैसे जटिल राज्य में नेतृत्व की छवि और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण रही हैं। नीतीश को अपनी साख बचाने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर वे ऐसे विवादों को संभालने में विफल रहते हैं तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को बल्कि जद(यू) और भाजपा नीत एनडीए गठबंधन के लिए घातक साबित हो सकता है।

तेजस्वी यादव ने शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार पर फेंका ब्रह्मास्त्र

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर जमकर हमला बोला। अपनी प्रेस वार्ता में उन्होंने शराबबंदी को अवैध उगाही, तस्करी और भ्रष्टाचार का हथियार करार देते हुए सरकार की मंशा और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।

तेजस्वी ने इसे गरीबों, दलितों और अतिपिछड़ों के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश बताया, जिसके जरिए सामाजिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। उनकी प्रेस वार्ता ने बिहार की सियासत में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है।

काला बाजार की समानांतर अर्थव्यवस्थाः तेजस्वी ने दावा किया कि बिहार में शराबबंदी के नाम पर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का काला बाजार फल-फूल रहा है। उन्होंने कहा, “यह नीतीश सरकार की सबसे बड़ी विफलता है। शराबबंदी का कानून लागू होने के बावजूद बिहार में एक समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है। जिसमें तस्कर, पुलिस और कुछ प्रभावशाली लोग मिले हुए हैं।” उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सरकार इतनी सख्त है, तो फिर शराब की आपूर्ति और बिक्री अब तक क्यों नहीं रुकी?

आंकड़ों का हवाला: प्रेस वार्ता में तेजस्वी ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत अब तक 9,36,949 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 14,32,837 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 99% से अधिक लोग गरीब, दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े वर्गों से हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “इस सरकार की हिम्मत नहीं कि यह गैर-दलित, गैर-पिछड़े या प्रभावशाली लोगों को जेल भेजे। कानून सिर्फ गरीबों को कुचलने के लिए बनाया गया है।”

विदेशी शराब का रहस्यः तेजस्वी ने सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि बिहार में अब तक 3,86,96,570 लीटर शराब बरामद की गई है, जिसमें 2,10,64,584 लीटर विदेशी और 1,76,31,986 लीटर देशी शराब शामिल है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या गरीब लोग 2 करोड़ लीटर से अधिक विदेशी शराब पीते हैं? यह शराब अमीर लोग पीते हैं, जिन्हें न तो पुलिस छूती है और न ही सरकार। यह साफ है कि शराबबंदी का कानून सिर्फ दलितों और अतिपिछड़ों को सताने का औजार बन गया है।”

पुलिस की भूमिका पर सवालः नेता प्रतिपक्ष ने बिहार पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने पूछा, “अगर इतनी भारी मात्रा में शराब बिहार में आ रही है तो क्या पुलिस इसमें शामिल नहीं है? 9 लाख मुकदमे, 14 लाख गिरफ्तारियां, फिर भी शराब की सप्लाई रुक क्यों नहीं रही?” उन्होंने यह भी सवाल किया कि अब तक किसी जिला पुलिस अधीक्षक (SP), DSP या बड़े अधिकारी को निलंबित क्यों नहीं किया गया। तेजस्वी ने कहा, “सिर्फ गरीब और दलित ही दोषी हैं, अधिकारियों का कोई कसूर नहीं? यह नीतीश सरकार की मिलीभगत को दर्शाता है।”

DK टैक्स और भ्रष्टाचार का जालः तेजस्वी ने एक कथित DK टैक्स का जिक्र करते हुए सनसनीखेज आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि जो अधिकारी इस DK टैक्स का अधिक चढ़ावा चढ़ाते हैं, उन्हें सीमावर्ती जिलों में महत्वपूर्ण पोस्टिंग मिलती है। उन्होंने कहा, “यह भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें हैं। अगर कोई सबूत मांगेगा, तो हम लंबी सूची दे सकते हैं।” तेजस्वी ने इसे NK-DK की जुगलबंदी” करार देते हुए कहा कि शराबबंदी की विफलता के लिए यही जिम्मेदार है।

दलितों और अतिपिछड़ों पर अत्याचारः राजद नेता ने शराबबंदी को दलितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों के खिलाफ एक सुनियोजित हथियार बताया। उन्होंने कहा, “इस कानून ने 14 लाख से अधिक परिवारों को उजाड़ दिया। पासी समुदाय के लोगों से उनका पारंपरिक रोजगार छीना जा रहा है। यह सरकार गरीबों का खून चूस रही है।” उन्होंने मांग की कि सरकार यह बताए कि उसने कितने परिवारों को बर्बाद किया और शराब की तस्करी में कौन-कौन शामिल है।

पटना में शराब की उपलब्धताः तेजस्वी ने यह भी सवाल उठाया कि अगर पटना जैसे शहर में शराब आसानी से उपलब्ध है, तो इसका मतलब है कि यह बिहार की सीमा पार करने के बाद कई जिलों और थानों से होकर बिना पकड़े पहुंच रही है। उन्होंने कहा, “क्या यह संभव है कि इतने बड़े पैमाने पर तस्करी हो और पुलिस को पता न हो? यह सरकार की नाकामी नहीं, बल्कि उसकी साठगांठ है।”

सरकार से जवाब की मांगः तेजस्वी ने अपनी प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीधे जवाब मांगा। उन्होंने कहा, “आप बताएं कि शराब की सप्लाई कौन कर रहा है? अगर पुलिस दोषी नहीं है, तो तस्करी कौन करा रहा है? अगर 40 हजार करोड़ का काला बाजार चल रहा है तो इसका फायदा कौन उठा रहा है?” उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार शराबबंदी के नाम पर दलितों और गरीबों पर हो रहे अत्याचार को तुरंत रोके।

सियासी तूफान की शुरुआतः तेजस्वी की इस प्रेस वार्ता ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है। राजद समर्थकों का कहना है कि यह शराबबंदी की सच्चाई को उजागर करने वाला एक साहसिक कदम है। जबकि सत्ताधारी जदयू और भाजपा ने इसे “बेबुनियाद आरोप” करार दिया है। जदयू के एक प्रवक्ता ने कहा, “शराबबंदी बिहार के लिए एक सामाजिक सुधार था, लेकिन राजद इसे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।”

बहरहाल, बिहार में शराबबंदी को लेकर यह विवाद अब और गहरा गया है। तेजस्वी यादव के इन आरोपों ने नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या सरकार इन सवालों का जवाब दे पाएगी या यह मुद्दा आगामी चुनावों में विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन जाएगा?-

चाटुकारिता का तमाशाः डिप्टी सीएम-मिनिस्टर के कार्यक्रम में वेटर बने बीडीओ-सीडीपीओ!

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम ने उस समय सुर्खियां बटोर लीं, जब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी के स्वागत में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने अपनी पद की गरिमा को तार-तार कर दिया। यह मौका था उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी के दौरे का। जहां प्रोटोकॉल और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वरिष्ठ अधिकारी वेटर की भूमिका में नजर आए। दो महिला बीडीओ, एक सीडीपीओ और प्रभारी नगर आयुक्त तक खाने से भरे ट्रे और सर्विंग बाउल लेकर वीवीआईपी के लिए दौड़ते-भागते दिखे। मानो उनकी नौकरी का मकसद ही चाटुकारिता करना रह गया हो।

कहते हैं कि यह घटना उस समय सामने आई जब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी तय कार्यक्रम के तहत हवेली खड़गपुर पहुंचे। दोनों नेता हेलीकॉप्टर से विद्यालय के मैदान पर उतरे और फिर संत टोला स्थित शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में समीक्षा बैठक के लिए रवाना हुए।

बैठक से पहले वीवीआईपी मेहमानों के लिए जिला प्रशासन ने शाकाहारी भोजन की शानदार व्यवस्था की थी। लजीज व्यंजनों से सजी थालियां तैयार थीं और पेशेवर वेटर भी मेहमानों की आवभगत में जुटे थे। लेकिन जैसे ही मीडिया की टीम वहां पहुंची, एक हैरान करने वाला नजारा सामने आया।

हवेली खड़गपुर की बीडीओ, टेटिया प्रखंड की बीडीओ और हवेली खड़गपुर की सीडीपीओ खाने से भरे ट्रे और सर्विंग बाउल लेकर वीवीआईपी के कमरों की ओर भाग रही थीं। इतना ही नहीं प्रभारी नगर आयुक्त, खेल पदाधिकारी, डीएम के ओएसडी, डीसीएलआर हवेली खड़गपुर, डीपीआरओ और आपदा पदाधिकारी जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी प्लेट में पापड़ और अन्य व्यंजन लेकर नेताओं तक पहुंचाने में व्यस्त थे। ये अधिकारी बार-बार अंदर-बाहर दौड़ रहे थे। ताकि थाली में कुछ कम न पड़ जाए। उनकी यह हरकत देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो वे अपने पद के कर्तव्यों को भूलकर सिर्फ नेताओं की खुशामद में लगे हों।

हैरानी की बात यह थी कि मौके पर जिले के वरीय अधिकारी भी मौजूद थे। लेकिन किसी ने भी इन जूनियर अधिकारियों को प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ाने की जहमत नहीं उठाई। न ही इन अधिकारियों को अपनी पद की गरिमा का ख्याल रहा। सभी वीवीआईपी के स्वागत में इतने मशगूल थे कि उन्हें यह एहसास ही नहीं हुआ कि वे प्रशासनिक अधिकारी हैं या महज वेटर। यह दृश्य न सिर्फ हास्यास्पद था, बल्कि बिहार की नौकरशाही की उस मानसिकता को भी उजागर करता है, जो सत्ता के सामने नतमस्तक होने को अपनी उपलब्धि मानती है।

हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब बिहार के अधिकारियों पर चाटुकारिता के आरोप लगे हों, लेकिन इस बार तो हद ही हो गई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे ये अधिकारी लजीज खाने से भरे ट्रे लेकर हांफते हुए वीवीआईपी तक पहुंच रहे थे। इसे देखकर सवाल उठता है कि क्या बिहार के अधिकारी अब सिर्फ नेताओं की सेवा के लिए ही नियुक्त किए जा रहे हैं? क्या आने वाले दिनों में ये अधिकारी भाजपा-नीतीश सरकार के मंत्रियों के लिए हाउसकीपिंग और लॉन्ड्री सर्विस भी देने लगेंगे?

वहीं इस घटना ने एक बार फिर बिहार की राजनीति और प्रशासन के बीच के उस गठजोड़ को उजागर किया है, जहां चाटुकारिता को तरक्की का रास्ता माना जाता है। जितना ज्यादा अधिकारी सत्तारूढ़ एनडीए नेताओं के सामने पापड़ बेलेंगे और उनकी खुशामद करेंगे। उतना ही उन्हें बिहारवासियों का जीना मुश्किल करने की छूट मिलेगी। अफसरशाही का यह रवैया न सिर्फ जनता के प्रति उनकी जवाबदेही को कमजोर करता है, बल्कि भ्रष्टाचार और मनमानी को भी बढ़ावा देता है।

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। कोई इसे बिहार की नौकरशाही का पतन बता रहा है तो कोई इसे सत्ता की गुलामी का प्रतीक मान रहा है। एक यूजर ने लिखा है कि अगर अधिकारी ही वेटर बन जाएंगे तो जनता की सेवा कौन करेगा? वहीं विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि नीतीश सरकार में अधिकारियों का यह हाल है तो आम जनता की सुनवाई कैसे होगी?

बहरहाल, मुंगेर के हवेली खड़गपुर में हुआ यह वाकया सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि बिहार की उस व्यवस्था का आईना है, जहां सत्ता की चाटुकारिता ही सफलता की कुंजी बन गई है। सवाल यह है कि क्या बिहार के अधिकारी अपने कर्तव्यों को भूलकर सिर्फ नेताओं की सेवा के लिए हैं? और अगर ऐसा ही चलता रहा तो क्या बिहार की जनता को कभी अपने हक और सम्मान का वो स्थान मिल पाएगा, जिसकी उसे हकदारी है?

मोबाइल रील्स को लेकर डॉक्टरों ने दी गंभीर चेतावनी

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। आजकल सोशल मीडिया का जादू हर किसी के सिर चढ़कर बोल रहा है। खासकर छोटी-छोटी मोबाइल रील्स, जो कुछ सेकंड में मनोरंजन का डोज देती हैं, लोगों के लिए एक नई लत बन गई हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये मासूम सी दिखने वाली आदत आपकी सेहत पर कितना भारी पड़ सकती है? हाल ही में प्रमुख नेत्र रोग विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने रील देखने की बढ़ती लत को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है, जिसने सभी को चौंका दिया है।

ऑल इंडिया ऑप्थैल्मोलॉजिकल सोसाइटी (AIOS) के नए अध्यक्ष डॉ. पार्थ बिस्वास ने इसे ‘रील विजन सिंड्रोम’ का नाम दिया है। उनका कहना है कि घंटों तक स्क्रीन पर रील्स देखने से आंखों पर असर पड़ रहा है, जो भविष्य में एक बड़े स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है।

डॉ. बिस्वास ने चेताया है कि लगातार स्क्रीन पर फोकस करने से पलकें झपकने की दर 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इससे ड्राई-आई सिंड्रोम, मायोपिया और आंखों में तनाव की समस्या तेजी से बढ़ रही है। खासकर बच्चों और युवाओं में यह खतरा ज्यादा देखा जा रहा है, जो दिन-रात इंस्टाग्राम, टिकटॉक और यूट्यूब की रील्स में खोए रहते हैं।

एशिया पैसिफिक एकेडमी ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी (APAO) के अध्यक्ष डॉ. ललित वर्मा ने इसे ‘डिजिटल आई स्ट्रेन की महामारी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि रील्स में तेजी से बदलते दृश्य और कृत्रिम रोशनी आंखों को थका देती है। अगर इस आदत पर काबू नहीं किया गया तो आने वाले समय में चश्मे और आंखों की बीमारियों का बोझ बढ़ सकता है।

रील्स का असर सिर्फ आंखों तक सीमित नहीं है। जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉक्टर समीर भाटी एक बताते हैं कि सोने से पहले घंटों रील्स देखने की आदत नींद को भी बर्बाद कर रही है। रात को स्क्रीन की नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन को प्रभावित करती है, जो नींद के लिए जरूरी है। इससे दिमाग को लगता है कि अभी दिन है और नींद गायब हो जाती है। नतीजा? सुबह थकान, चिड़चिड़ापन और दिनचर्या का बिगड़ना।

हाल ही में यूपी के मैनपुरी में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। एक मरीज की हालत गंभीर थी। लेकिन इलाज के दौरान डॉक्टर मोबाइल पर रील्स देखने में मशगूल थे। मरीज ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। इस घटना ने न सिर्फ डॉक्टरों की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि रील्स की लत की गंभीरता को भी सामने लाया। परिजनों के विरोध के बाद जांच के आदेश दिए गए हैं। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या हमारी जिंदगी में रील्स का दखल इतना बढ़ गया है कि हम असल दुनिया को भूल रहे हैं?

वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. लालकहते हैं कि रील्स भले ही छोटी हों, लेकिन इनका असर जिंदगी भर रह सकता है। यह चेतावनी न सिर्फ युवाओं के लिए, बल्कि हर उस शख्स के लिए है, जो स्क्रीन पर घंटों बिता देता है। तो अगली बार जब आप रील्स स्क्रॉल करने बैठें तो जरा सोचिए कि क्या 30 सेकंड का मजा आपकी सेहत की कीमत पर भारी नहीं पड़ रहा?

Bihar Tourism: बोधगया में बौद्ध ध्यान एवं अध्यात्म केंद्र की स्थापना

गया (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार पर्यटन (Bihar Tourism) के तहत बोधगया बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। अब यहां एक भव्य बौद्ध ध्यान एवं अध्यात्म केंद्र की स्थापना होने जा रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 165.443 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। जिसे स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के तहत लागू किया जाएगा। परियोजना की शुरुआत के लिए पहली किस्त के रूप में 16.54 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं। पर्यटन मंत्रालय की केंद्रीय निगरानी समिति (सीएसएमसी) ने 27 मार्च 2025 को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। 

यह ध्यान एवं अध्यात्म केंद्र बोधगया के पवित्र और शांत वातावरण को संरक्षित करते हुए बनाया जाएगा। इसका डिजाइन बिहार के प्रसिद्ध केसरिया स्तूप सहित प्राचीन बौद्ध वास्तुकला से प्रेरणा लेगा। केंद्र का ढांचा पारंपरिक बौद्ध स्तूपों की शैली में तैयार किया जाएगा, जो न केवल इसकी सौंदर्य अपील को बढ़ाएगा, बल्कि बोधगया के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को भी उजागर करेगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के अनुयायियों, साधकों और पर्यटकों को ध्यान, साधना और आध्यात्मिक शांति का अनुभव प्रदान करना है।

इस केंद्र में कई आधुनिक और आध्यात्मिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। ध्यान साधना के लिए विशेष कक्ष, बौद्ध धर्म के इतिहास और दर्शन से संबंधित डिजिटल प्रदर्शनियां, और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए हरित क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। यह केंद्र न केवल धार्मिक अनुयायियों के लिए, बल्कि उन पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा जो बौद्ध संस्कृति और अध्यात्म में रुचि रखते हैं।

इस परियोजना से बोधगया और आसपास के क्षेत्रों की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और बिहार का पर्यटन उद्योग नई ऊंचाइयों को छूएगा। बोधगया, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, पहले से ही विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस केंद्र के बनने से यह स्थान एक वैश्विक आध्यात्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में और भी मजबूत पहचान बनाएगा।

इस परियोजना को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (एसटीडीसी) को सौंपी गई है। जबकि भारतीय पर्यटन विकास निगम (आइटीडीसी) को इस योजना की केंद्रीय नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। पहली किस्त के रूप में 16.54 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं और शेष धनराशि योजना के चरणबद्ध निर्देशों के अनुसार उपलब्ध कराई जाएगी।

बोधगया में बौद्ध ध्यान एवं अध्यात्म केंद्र की स्थापना बिहार के धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ेगी। यह परियोजना न केवल बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में सहायक होगी, बल्कि बिहार को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर और भी प्रमुखता दिलाएगी।

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