पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहार विधानसभा में बुधवार को मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक-2022 पास हो गया। इसके बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, वहां से मुहर लगते ही कानून लागू हो जाएगा।
नए कानून में पहली और दूसरी बार शराब पीते पकड़े जाने पर पुलिस या मद्य निषेध विभाग के अधिकारी ऑन द स्पॉट छोड़ देंगे, लेकिन तीसरी पीते पकड़े जाने पर जेल भेजा जाएगा।
जुर्माना नहीं देने पर एक महीने की जेल होगी। जुर्माना 5 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक हो सकता है। यह संबंधित मजिस्ट्रेट तय करेगा।
वहीं, शराब से संबंधित सामान्य मामलों में भी राहत दी गई है। शराब के धंधे में पकड़े गए वाहन को जब्ती के बाद पैनल्टी लेकर छोड़ दिया जाएगा। वहीं, शराब से संबंधित मामलों के जल्द निपटारे के लिए जिलों में न्यायालय की संख्या बढ़ाने की भी व्यवस्था की जाएगी।
बता दें कि विधेयक को बिहार सरकार ने पहले ही तैयार कर लिया था, लेकिन हंगामा के डर से इसे बजट सत्र के आखिरी दिन पेश किया गया। हालांकि, कैबिनेट से इसको पहले ही मंजूरी मिल गई थी।
मालूम हो कि कुछ दिनों पहले ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने बिहार में शराबबंदी कानून और इसकी वजह से कोर्ट में बढ़ते केसों के दबाव को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। सूत्रों के अनुसार, नए प्रस्ताव को मद्य निषेध के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की निगरानी में तैयार किया गया है।
नए कानून में ‘नन कम्पाउंडेबल एक्ट’ को हटा दिया गया है। मतलब साफ है कि शराब पीकर नशे में पकड़े जाने वाले लोग अब ‘कम्पाउंडेबल ऑफेंस’ के तहत आएंगे। उन्हें सरकार की तरफ तय जुर्माना वसूल कर छोड़ दिया जाएगा।
इस तरह के मामलों को एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट देखेंगे। इस बदलाव से बिहार के कोर्ट में शराब से जुडे़ केसों में कमी भी आएगी।
साथ ही शराब मामले में पकड़ी जाने वाली गाड़ियों को भी अब जुर्माना वसूल कर छोड़ा जा सकेगा। वहीं, अवैध रूप से शराब का कारोबार करने वाले और सिंडीकेट चलाने वाले माफिया पर अब और सख्ती बरती जाएगी। उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी। माफिया को किसी भी हाल में सरकार बख्शने के मूड में नहीं है।
यह हैं संशोधित विधेयक के मेन प्वाइंट्स…
- सेक्शन 2 के सब सेक्शन 40 में क्लॉज 9 जोड़ा जा रहा है। इसके अनुसार ऐसा कोई भी पदार्थ मादक द्रव्य की श्रेणी में आएगा, जिसको शराब में बदला जा सके।
- सेक्शन 2 के ही सब सेक्शन 50 में एक नया सब सेक्शन 50A जोड़ा जा रहा है, जिसमें ‘अवैध शराब की बिक्री के संगठित अपराध’ को परिभाषित किया गया है।
- सबसे महत्वपूर्ण बदलाव सेक्शन 37 में करने की तैयारी है। शराब का उपयोग करने में तीन प्रकार के बदलाव होने हैं।
- शराब और किसी भी प्रकार के नशे की हालत में पाए जाने पर राज्य सरकार की तरफ से तय किया गया जुर्माना देना होगा। जुर्माना नहीं देने पर एक महीने जेल की सजा होगी। बार-बार ऐसा करते पाए जाने पर अलग से भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
- शराब मामलों का ट्रायल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या डिप्टी कलेक्टर और इससे ऊपर रैंक के अधिकारी ही कर सकेंगे।
- इन मामलों की जांच ASI रैंक से ऊपर के पुलिस अफसर या एक्साइज अफसर करेंगे।
- सेक्शन 55 को पूरी तरह से हटा देने की तैयारी है। इसके बाद शराब से जुड़े अपराध ‘कम्पाउंडेबल ऑफेंस’ में आएंगे।
- सेक्शन 57 में भी बदलाव किया जा रहा है। शराब या इसके बनाने में जो भी सामान बरामद होगा, उसे DM के ऑर्डर से तुरंत नष्ट किया जाएगा। अब इसे लंबे वक्त तक बरामदगी के बाद जब्त करके नहीं रख सकेंगे।
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सेक्शन 57 में ही 57A को जोड़ा जाएगा। इस नए सेक्शन के तहत जब्त की गई शराब मामले में पकड़ी गई गई गाड़ी व दूसरे सामान को जुर्माना देकर छोड़ दिया जाएगा। अगर कोई जुर्माना नहीं देगा तो उसे जब्त कर लिया जाएगा।
- सेक्शन 62 में भी बदलाव किया जा रहा है। इसके तहत जिस जगह से शराब बरामद होगी, उसे अब ASI भी सील कर सकेंगे। पहले यह अधिकार SI या उसके ऊपर के अफसरों को दिया गया था।
- पूर्ण शराबबंदी कानून के चैप्टर 7 (निष्कासन और नजरबंदी) को हटा दिया गया है। इसकी जगह पर नया चैप्टर 7A को जोड़ा जाएगा। इसमें शराब माफिया की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया को लेकर नए नियम बनाए जा जाएंगे।
- सेक्शन 81 में एक नया सब सेक्शन 81A जोड़ा जा रहा है। इन नए सेक्शन के तहत जब्त की गई शराब को किसी भी वजह से सेफ कस्टडी में ले जाना संभव नहीं होने पर उसे बरामदगी वाली जगह पर ही नष्ट किया जा सकेगा। संबंधित अधिकारी उसका सैंपल सबूत के तौर पर रखेंगे और उसका इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस रिपोर्ट के साथ DM को सौंपेंगे।
- सेक्शन 83 में सेक्शन 37 के तहत पकड़े गए लोगों को छोड़कर बाकी सभी मामले स्पेशल कोर्ट में चलते रहेंगे। वैसे सभी मामले जो सिर्फ सेक्शन 37 के तहत होंगे, उन मामलों की सुनवाई अब DM के कोर्ट में होगी।
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