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    Saturday, May 4, 2024
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      कोरोना-कोरोना क्या रोना

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। कोरोना-कोरोना का रोना कब तक रोयेगे अगर सभी काम राज्य-केंद्र सरकार ही करेगी तो हमारी आपकी जरुरत ही क्या है।

      हमारी अपनी को जिमेदारी ही नहीं है। बशर्ते हम जहां चाहे वहां गन्दगी फैला दें।  गुटखा खा कर सड़क पर थूक दें। घर का सारा कचरा पडोसी की खाली पड़ी जमीन पर फेंक दें। फिर भी मन नहीं भरे तो नुक्कड़ पर चाय/पानी  पी कर प्लास्टिक की बोतल ग्लास सडक पर फेंक कर देश को कोसते हुए घर की ओर चल दें।

      प्लास्टिक के हानि कारक उपयोग की जानकारी होते हुए खुले आम बाजार से सब्जी खरीदते है, लेकिन घर से कपडे का झोला ले कर नहीं निकलेगे। रात में बिस्तर पर लेटे-लेटे प्राइम टाइम न्यूज़ देखेगे और अपनी सरकार को कोसते हुए व्हाट्सएप्प के पोस्ट को शेयर करके सो जियेंगे।

      coronavirus

      फिर सुबह होगी। चक्र वैसे ही घूमता रहेगा। हम कुछ नहीं करेंगे। क्योंकि करने के लिए तो सरकार है ही।

       पूरा विश्व जानता है कि करोना महामारी की तरह फ़ैल रहा है। चीन ने तो काबू कर लिया है, लेकिन साधन-सम्पन्न देश भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।  

      विश्व का सबसे शक्तिशाली देश भी भारत से खुन्नस खाए बैठा है कि चीन के इतने पास हो कर भी भारत में असर 0 से 10 की  रैंकिंग पर कही नहीं है।

      सभी पश्चिम देश लगे हैं इसका तोड़ निकालने में, लेकिन रिजल्ट आने का नाम नहीं ले रहा है।

      खैर है कि भारत से इसका फैलाव नहीं हुआ वरना, अब तक तो सारे देश हमारा बॉयकाट करते। और पता नहीं, परमाणु बम भी दाग देते।

      इन सब  में एक बात तो कॉमन है। हम नहीं सुधरेगे। फिर चाहे करोना ही क्यों न हमें चपेटे में ले ले। वक़्त है। मौका है। अपनी आदतों में सुधार लाने की। सरकार समय-समय पर एडवाइजरी जारी करती रहती है। हम अगर कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम उसे फॉलो तो कर ही सकते हैं।

      यहां पर यह स्पष्ट करना होगा कि हमारे संस्थान किसी भी पार्टी विशेष की बात नहीं कर रही और न ही उनसे हमारा कोई वास्ता है।  हमारी कोशिश अपने देश वासियों को सतर्क करना जागरूक करना मात्र है ।

      हम यह तो मानेगे ही कि देश में  सीमित संसाधन है और करोना का मुकाबला भी उसी से करना है और अगर आप लोगो को पता हो तो भारत सरकार ने लगभग 2 करोड़ का मेडिकल सामान चीन को मदद के रूप में दी है।

      लेकिन इन सब में दुःख तो तब हुआ, जब पता चला कि भारत में जान की कीमत भी शून्य है। कालाबाजारी लोग फेस मास्क, सेनीटाइजर तक को नहीं वक्श रहे हैं। शायद उन्हें पता नहीं है कि करोना गरीब–अमीर नहीं देख रहा है। जब ये फैलेगा तो इसके शिकार वो भी होंगे।

      चलो फिर अच्छा है। हम नहीं सुधरेगें। आज पोस्ट पढ़ेगें प्रण लेंगे। कल फिर उसी चक्र में अपना जीवन काटेगे। टीवी देखते हुए करोना का रोना रोयेंगे , अगर करोना से बच गए तो…

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