“चयन होने के बाद कार्यालय सहायकों को नियुक्ति पत्र नहीं देना एक बहुत बड़ी साजिश, घोटाला और उच्च अधिकारी की चाल है…………..”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार सभी जिलाधिकारी को कार्यपालक सहायक का नियोजन करने का आदेश दिया जाता है। जिसमें सभी जिला में परीक्षा लेकर पैनल निर्माण करने और राज्य के सभी पंचायतों में कार्यपालक सहायक की नियुक्ति करने का फरमान जारी होता है।
इसी के आलोक में सभी जिलों में ऑनलाइन कंप्यूटर टाइपिंग टेस्ट लेकर पैनल बनाने का काम होता है, जिसमें गरीब, मेहनती और कंप्यूटर के जानकार आवेदकों का चयन होता है।
पटना सहित कई जिलों में नियुक्ति पत्र देकर योगदान कराया जाता है। नालन्दा में भी नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में रहता है।
उसी समय अचानक से सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश ज्ञापांक 1382 सभी जिलों को भेजा जाता है। जिसमें आगे से कार्यपालक सहायक का नियोजन जिला पैनल से न कर बेल्ट्रान के माध्यम से करने का तुगलकी फरमान आता है।
प्रश्न उठता है कि आधे जिला जिसने बहाली कर लिया और आधे जिला जिसका बहाली प्रक्रियाधीन है दोनों के लिए अलग अलग नियम और मापदंड क्यों अपनाएं जा रहे हैं?
विदित हो कि बेल्ट्रान में ऑपरेटर बनने के लिए प्रतिभा नहीं पैसा होना चाहिए। बेल्ट्रान वाह्य एजेंसी के माध्यम से एक ऑपरेटर से लगभग 2 से 3 लाख रुपये की उगाही करता है, जिसका मोटा हिस्सा एमडी बेल्ट्रान को भी जाता है।
यानी जितनी कंप्यूटर ऑपरेटर की बहाली होगी, उतनी मोटी कमाई होगी। यही कारण है कि सरकार के कुछ दलालों ने कार्यपालक सहायक की बहाली की जगह बेल्ट्रान ऑपरेटर की बहाली करना उचित समझा।
राज्य के 90% बेल्ट्रान के ऑपरेटर को ठीक से कंप्यूटर ऑपरेट नहीं करने आता है। ऐसे में प्रशासनिक कार्यकुशलता का भगवान हीं मालिक है।