“वेशक बाल अपराध एक बड़ी सामाजिक समस्या के रुप में सामने आई है। क्योंकि इसके नित्य नए कारक उभर रहे हैं। भय-दंड से इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। परिस्थियों के अनुसार उसमें सुधार और मानवीय उत्प्रेरणा ही सही बदलाव ला सकती है। बिहार शरीफ किशोर न्याय परिषद ने किशोर के भविष्य को देखते हुए और आचरण में सुधार की प्रवृत्ति के आधार पर एक ऐसा ही सकारात्मक फैसला दिया है…….”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार शरीफ किशोर न्याय परिषद आर्म्स एक्ट के दोषी किशोर को उसके गृह जिले समस्तीपुर में बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाये जा रहे शिविर में सेवा कार्य करने व लोगों को बाढ़ से कम से कम क्षति हो इसके लिए जागरूक करने की सजा दी गयी है।
जिस वक्त उसे आर्म्स एक्ट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, उस वक्त उसकी उम्र 17 साल थी। वर्तमान में वह 19 वर्ष का युवा है। पूर्णिया के मिली पॉलिटेक्निक कॉलेज का वह छात्र है और वह फर्स्ट सेमेस्टर में वह अपने कॉलेज का टॉपर रहा है।
परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने अपने फैसले में कहा है कि पर्यवेक्षण गृह में आवासित करने से उसकी पढ़ाई प्रभावित हो सकती है, जिसे देखते हुए विधि विरुद्ध किशोर को एक माह तक बाढ़ पीड़ितों का पुनर्वासन एवं उनके लिए चलाये जा रहे राहत एवं बचाव कार्य में सहयोग करना होगा।
साथ हीं किचेन में खाना खिलाने में सहयोग, राहत सामग्री वितरण में सहयोग के साथ-साथ बाढ़ एवं बरसात के समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में किशोर लोगों को जागरूक करेगा। वज्रपात से बचने के लिए भी लोगों को सुरक्षा की सलाह देगा।
श्री मिश्रा ने अपने फैसले में कहा है कि किशोर यह काम अपने पंचायत के जनप्रतिनिधि मुखिया रेणु देवी के पर्यवेक्षण के अधीन रहकर एक माह तक करेगा। कार्य समाप्ति के बाद मुखिया और उस क्षेत्र के कुछ लोगों से लिखित प्रमाण पत्र सौंपेगा।
इस दौरान किशोर के आचरण पर भी ध्यान रखने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इससे किशोर के मानवीय गुणों में विकास और राष्ट्र के प्रति जिम्मेवारी का बोध होगा। इस तरह के फैसले उसे एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिलेगी।
बता दें कि 6 जून 2016 को वह अपने कुछ दोस्तों के साथ इनोवा गाड़ी से राजगीर घूमने आया था। पुलिस को सूचना मिली कि कुछ अपराधी एनएच 82 पर वाहनों को लूटने की योजना बना रहे हैं और सड़क पर ही खड़े हैं।
सुबह 3.30 बजे पुलिस बस स्टैंड के समीप पहुंची तो वहां इनोवा गाड़ी के साथ कुछ संदिग्ध लोगों को खड़ा देखा। पुलिस को देखकर सभी भागने लगे। पुलिस ने खदेड़कर पांच लोगों को पकड़ लिया, जिसमें यह किशोर भी शामिल था। पुलिस के अनुसार किशोर के कमर से एक देशी लोडेड कट्टा और मोबाइल आदि बरामद हुआ था।
मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की थ्योरी सही साबित हुई थी। कुल सात साक्षी भी प्रस्तुत किये गये थे। दो साक्षी गवाही देने नहीं पहुंचे थे। जांच में हथियार भी चालू हालत में पाया गया था।
श्री मिश्रा ने फैसला में कहा है कि सुनवाई के दौरान यह निष्कर्ष निकला कि किशोर घटना के समय 17 साल का था और दूसरे के बहकावे में आकर अपराध में शामिल हो गया था। विधि विरुद्ध किशोर के साथ न्याय हो और उसे अपराध के अनुपात के बराबर ही दंड दिया जाना चाहिए।
न्याय परिषद सदस्य धर्मेन्द्र कुमार ने इस फैसले को सराहते हुए कहा कि किशोरावस्था में व्यक्तित्व का निर्माण व्यवहार के विकास में वातावरण का काफी महत्व है। किशोर ने खुद के आचरण में सुधार लाया है और पढ़ाई कर रहा है।