बिहार में सरकार-प्रशासन जल संरक्षण-पर्यावरण रक्षा के नाम पर मजाक कर रही है। यदि यकीन न हो तो सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा को देख लीजिए। यहां ऐसे सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे, जो कथनी-करनी में फर्क साफ स्पष्ट करती है…..
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। यह तस्वीर है नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड के रामपुर पंचायत अन्तर्गत लोदीपुर गांव के एकलौते बचे तालाब की, जिसे स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से हाल ही में लुप्त कर दिया है। हरे-भरे पेड़ पौधों को काट दिया गया है।
गांव की एक मात्र जल निकास पुल को बंद कर दिया गया है। पहले कुछ हिस्सों को भरकर नया मकान बना दिया गया। अब उसे पूरी तरह भर दिया गया।
पिछले साल आसपास के कई गांव के लोगों ने इस सार्वजनिक आम गरमजरुआ तालाब में छठ पर्व का अर्घ दिया था।
गांव वालों ने पहले से अत्क्रमित होने के बाद बचे हिस्से को साफ सुथरा किया था। उस मौके पंचायत समिति सदस्य ने वहा छठ घाट बनाने की पहल करने की बात कही थी।
इसे लेकर तात्कालीन व वर्तमान सीओ-बीडीओ से भी कई बार संपर्क किया गया, लेकिन वे ग्रामीणों को आश्वासन की घूंटी पिलाते रहे। कभी कोई रुचि नहीं ली।
आरोप है कि बीडीओ-सीओ ने मोटी रकम लेकर भू-माफिया अतिक्रमणकारियों को उस तालाब को भरने की खूली छूट दे दी।
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को लेकर गांव वाले काफी क्षुब्ध हैं। वे यह मान चुके हैं कि प्रशासन कुछ खास लोगों की रखैल बनकर रह गई है। आम लोगों की समस्याओं की कोई सुध नहीं ली जाती।
यहां सारे जनप्रतिनिधि भी अंधे हैं। वे प्रायः जिस मार्ग से गुजरते हैं। उसी किनारे यह सब हुआ है। लेकिन उनकी जल संरक्षण-पर्यावरण रक्षा की बात साफ दोगली प्रतीत है। ऐसे निकम्मेपन-भ्रष्टाचार के खेल की ओर उनकी पलतें कभी नहीं उठती।
यदि ग्रामीणों का आरोप बेबुनियाद है तो इन तस्वीरो को प्रशासन गौर से देखे और अविलंब कार्रवाई कर दिखाए। हरे-भरे पेड़ काटकर किसी गांव के प्रमुख जल स्रोत को चिन्हित कर उसे अतिक्रमण मुक्त कर दिखाए। उसे नापी करा उसी स्वरुप में वापस लाए, जैसा कि एक दो वर्ष पहले थी।
देखिए पिछले साल कार्तिक महापर्व छठ के मौके पर खींची गई तस्वीर……