“12 फ़रवरी 1994 को पटना में कुर्मी चेतना महारैली होने के बाद से विभिन्न उपजातियों में बंटे नालंदा के कुर्मी एकजुट हो गए और कुर्मियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना सर्वमान्य नेता मान लिया। यही कारण है कि यहां 1995 से सीएम नीतीश कुमार का राजनैतिक साम्राज्य कायम है।…”
-: डॉ. अरुण कुमार मयंक :-
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा को कूर्मिस्तान माना जाता है। यहाँ कुर्मी सभी जातियों पर भारी है। यहाँ कुल 18 लाख वोटरों में से अकेले साढ़े पांच लाख से भी अधिक कुर्मी वोटर्स हैं।
यहाँ कुर्मी की कई उपजातियां हैं। इनमे से चार अवधिया, कोचैसा, घमैला व समसंवार उपजातियां प्रमुख हैं। 1977 से 2013 तक चंडी और हरनौत विधानसभा क्षेत्र बाढ़ लोकसभा क्षेत्र में पड़ते थे। उस समय तक नालंदा लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक वोट घमैला कुर्मियों के थे।
2013 में हुए लोकसभा के नए परिसीमन में बाढ़ लोकसभा क्षेत्र विलोपित कर दिया गया और नालंदा लोकसभा क्षेत्र में चंडी और हरनौत विधानसभा क्षेत्र को समाहित कर लिया गया।
चंडी और हरनौत जुट जाने के बाद नालंदा में कुर्मी की उपजातियों की सांख्यिकी बदल गई है। अब कोचैसा कुर्मियों के वोट घमैला कुर्मी से अधिक या फिर समतुल्य हो गया है।
कोचैसा और घमैला कुर्मी दोनों के नेता नालंदा में अपनी-अपनी उपजाति के सर्वाधिक कुर्मी वोटर्स होने का दावा कर रहे हैं। यही कारण है कि नालंदा की लोकसभा सीट पर कोचैसा और घमैला दोनों ही जदयू के टिकट पर अपना दावा ठोंक रहे हैं।
बिहारशरीफ के श्रम कल्याण केंद्र मैदान में कुर्मी शक्ति संघ की ओर से आज कुर्मी महापंचायत बुलाई गई। इसमें जिला के विभिन्न भागों से कुर्मी जुटे।
अधिकांश वक्ताओं ने विभिन्न उपजातियों में बंटे कुर्मियों को एकजुट करने की जरुरत बताई। कुर्मियों ने संघ के अध्यक्ष नरेश प्रसाद सिंह को पगड़ी पहना कर समाज की उपजातियों को एकजुट करने का भार सौंपा।
महापंचायत को पूर्व बैंक अधिकारी दिनेश प्रसाद, राजीव कुमार, पूर्व मुखिया विनोद कुमार, बोकारो के प्रवीण कुमार, ब्रह्मदेव प्रसाद, जय कुमार, नन्द कुमार, देवनंदन प्रसाद, अनिल कुमार, पूर्व मुखिया कौशलेन्द्र कुमार, शिक्षक नेता सुरेंद्र प्रसाद, कुमार अश्विनी चंद्र, विशेष चौधरी, अरुण कुमार सिन्हा, शम्भू प्रसाद, मुखिया विजय कुमार, भारत मानस एवं रेखा भारती ने कुर्मी उपजातियों को मिलाने के लिए शाखा तोड़ शादी को बढ़ावा देने की जरुरत बताई।
इसके पूर्व बिहारशरीफ के आईएमए हॉल में 24 अक्टूबर को कुर्मी शक्ति संघ की ओर “कुर्मी मिलन समारोह” का आयोजन किया।
दरअसल यह कुर्मी समाज की एक उपजाति घमैला द्वारा मिलन समारोह आयोजित था। इसमें घमैला कुर्मियों द्वारा 93 साल पूर्व बहिष्कृत 12 गांवों के लगभग ढाई सौ बरगइयां कुर्मीजन आए। यह घमैला कुर्मी द्वारा छांटे गए 12 गांवों को फिर से समाज की मुख्य धारा में लौटाने की कवायद थी।
इस मिलन समारोह के सूत्रधार भी थे 2014 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके जदयू से जुड़े नालंदा लोकसभा क्षेत्र के निर्दलीय घमैला प्रत्याशी नरेश प्रसाद सिंह। इन्होंने घमैला और बरगइयां कुर्मी की एकजुटता वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरुरत बताई।
समारोह के आयोजक व कुर्मी शक्ति संघ के अध्यक्ष नरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि बरगईयां शब्द को खत्म करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि घमैला समाज संगठित होकर अपनी ताकत को दिखाएं। हमारा समाज शांति प्रिय लोगों का है। इसके बावजूद दूसरे समाज के कुछ लोग हमें संदेह की दृष्टि से देखते हैं। हम सभी को सत्ता में भागीदारी तभी बेहतर तरीके से मिलेगी, जब हम जागरूक होंगे।
उन्होंने कहा कि घमैला समाज का एक तबका आर्थिक रूप से कमजोर है। हमें आगे आकर उन्हें मुख्यधारा में लाना होगा।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के निकट आते ही नालंदा जिला में कुर्मी समाज में उपजातियों की सियासत शुरू हो गई है। इन सामाजिक आयोजनों के पीछे कहीं कोई चुनावी रणनीति तो नहीं है?