“अब बेऊर जेल में बंद आईएएस सुधीर कुमार बन रहे शव वाहन के जीवित यात्री, इस मामले पर राजनेता भी चुप्प, आईएएस एसोसिएशन भी चुप्प”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। चौकिए मत, किसी मरे हुए व्यक्ति का मतदाता पहचान पत्र बन जाने की खबर तो अक्सर आती रहती है पर किसी जिन्दा व्यक्ति को न्यायिक अभिरक्षा में आधे दर्जन पुलिकर्मियों के साथ शव वाहन में ढोया जाता हो तो यह आश्चर्यजनक तो है ही निंदनीय भी है। वह भी उस व्यक्ति को जो वर्तमान में विधायक और दूसरा एक आईएएस अधिकारी हो।
मामला पटना के बेऊर जेल में कथित दुष्कर्म मामले में बंद नवादा के राजद विधायक राजबल्लभ प्रसाद और इसी जेल में कर्मचारी चयन आयोग के पेपर लीक मामले में बंद आयोग के पूर्व अएयक्ष व वरीय आईएएस सुधीर कुमार से जुडा है।
नवादा के विधायक राजबल्लाभ प्रसाद पर फरवरी 2016 में एक नाबालिग लडकी ने दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए बिहारशरीफ के महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
इस मामले में खुद को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाए जाने का दावा करने और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग करते रहने और लगभग एक माह तक फरार रहने वाले राजबल्लभ प्रसाद ने 10 मार्च 2016 को बिहारशरीफ स्थित आदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था।
एक माह पूर्व उनका मामला पटना के उस विशेष अदालत में स्थानांतरित हो गया जो अदालत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हरेक राज्य के की राजधानी में खासकर सांसद, विधायक और विधान पार्षदों के आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए बनाई गई है।
इसी मामले की सुनवाई के लिए राजबल्लभ प्रसाद को बिहारशरीफ जेल से बेऊर जेल स्थानांतरित कर दिया गया जहां स्पेशल कोर्ट में उनकी शारीरिक उपस्थिति में प्रतिदिन सुनवाई की जा रही है।
राजबल्लभ प्रसाद को विशेष श्रेणी के राजनीतिक बन्दी के तौर पर बेऊर जेल में रखा गया है और उन्हें विशेष सुविधा भी प्रदान है। पर पिछले तीन तारिखों पर उन्हें बेऊर जेल से विशेष बाहन के द्वारा लाए जाने के बजाए अदालत में उस शव-वाहन से लाया जा रहा था, जिस वाहन का प्रयोग जेल पुलिस या पटना पुलिस जेल में मृत कैदियों या बंदियों को पोस्मार्टम कक्ष तक पहुंचाने में करते हैं।
राजबल्लभ प्रसाद के वकील संजय कुमार के अनुसार उस वैन में काफी गंदगी तो थी ही, मल-मूत्र के गंध भी आते थे। जिससे उनके क्लाईंट को संक्रमण होने का डर बना था।
तब उन्होंने बीते 18 जुलाई को विधायक के मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत में इस संदर्भ में एक आवेदन तेकर शिकायत की। इस पर अदालत ने त्वरित संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। इसके बाद जेल से अदालत तक विधायक को लाने वाली गाडी बदली गई।
आश्चर्यजनक बात तो यह है कि विधायक को तो उक्त शव वाहन से निजात मिल गया, पर अब उस शव वाहन के जो यात्री बनाए जा रहे हैं, वह हैं बिहार के एक वरीय आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार।
कर्मचारी चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार को बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा के पेपर लीक मामले में पटना पुलिस ने 24 फरवरी 2017 को फरारी अवस्था में झारखंड के हजारीबाग से गिरफ्तार किया था। तब से वह बेऊर जेल में ही बंद है।
उनके गिरफ्तारी के तुरंत बाद बिहार आईएएस एसोसिएशन ने उनकी गिरफ्तारी पर कडा ऐतराज भी जताया था। पर आज न तो महागठबंधन का कोई नेता और न ही आईएएस एसोसिएशन के कोई अधिकारी ‘जबरदस्ती शव बनाए जा रहे अपने जिन्दा विधायक और अधिकारी’ मामले के विरोध में सामने आए हैं।