“नगर आयुक्त ने अखबारों के माध्यम से हर घर नल योजना में मोटर हटा लेने के चेतावनी देकर सिर्फ अपना काम कर दिया। इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। जब तक घर घर जाकर जांच नहीं की जाएगी, जब तक अंदर मोहल्ले के लोगों को पानी नहीं मिलेगा”
बिहार शरीफ (संजय कुमार)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले का मुख्यालय बिहार शरीफ में सात निश्चय योजनाओं में एक, हर घर, नल का घर योजना संबंधित अधिकारियों एवं कुछ स्वार्थी लोगों के कारण पूरी तरह विफल हो रही है।
हर घर, नल का घर योजना के तहत बिहार शरीफ शहर के वार्ड-4 को मिलाकर दो उच्य शक्ति का पंपिंग हाउस तथा एक जलमीनार बनाया गया है। एक 1 लाख लीटर क्षमता का जलमीनार बाला पंपिंग सेट सोगरा कॉलेज के पास बनाया गया है तथा दूसरा पंपिंग सेट अनुग्रह नारायण पार्क में बना है। दोनों पंपिंग सेट का पाइप एक दूसरा से जोड़ा गया है तथा इन मोहल्लों में पाइप बिछाकर घरों में कनेक्शन दिया गया है
कहा जाता है कि ठेकेदारों द्वारा घरों में कनेक्शन दिया गया है। कई ऐसे घर भी हैं जहां 2-2, 3-3, 4-4 कनेक्शन भी दे दिया गया है। इन पाइप कनेक्शनों में 1 मीटर तथा नल भी लगाना था, परंतु 1 साल बीतने के बाद भी अब तक नल नहीं लगाया गया है।
इस नई हर घर नल योजना वाले कनेक्शनों में मोटर लगाना कानूनन अपराध बनाया गया। परंतु बिहार शरीफ नगर निगम की लापरवाही के कारण इन कनेक्शनों में मोटर लगा दिया गया है।
बताया जाता है कि दो माह पूर्व बिहार शरीफ नगर आयुक्त का कुछ अखबारों में बयान आया था कि हर घर योजना के तहत बिछाई गई नए कनेक्शन में जो भी लोग मोटर लगाए हैं, तत्काल हटा लें। नहीं तो जांच में पाए जाने पर जुर्माना वसूला जाएगा।
परंतु नगर निगम द्वारा इन मोटर को हटाने के लिए कोई पहल नहीं की है। जिसका नतीजा मुख्यमंत्री की अति महान महत्वकांशा योजना पर ग्रहण लगना शुरू हो गया तथा अंदर गली में रहने वाले मोहल्ले के लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
बताया जाता है कि जब दोनों पंपिंग सेट चालू रहता है, तो बिना मोटर के सहारे मकान के दो-तीन फ्लोर तक पानी अपने आप गिरता है। लेकिन नगर निगम के निकम्मेपन के कारण हर दिन मोटरों की संख्या बढ़ती जा रही है। वही दूसरी ओर अंदर के मोहल्लों में एक-एक बूंद पानी नलों से भी गिरना मुश्किल हो गया।
मिली जानकारी के अनुसार सुबह 5:00 बजे से 9:00 बजे तथा दोपहर एक से दो तथा शाम में 5:00 बजे से 8:00 बजे तक पानी सप्लाई किया किया जाता है। इस दौरान मोटरों के चलने से अंदर मोहल्ले के घरों में पानी पहुंचना मुश्किल हो जाता है। जब इन मोटर वालों की टंकिया फुल होती है। तब मोटर बंद होने का समय हो जाता है।
बिहार में विकास कि गंगा बह रही है। अधिकारी एवं कर्मचारी नई योजनाओं में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। ताकि उन्हें नए योजनाओं क़े कार्यों के बदले बंधी बनाई कमीशन मिलती है।
वहीं दूसरी ओर जनता की कठिनाइयों की ओर ध्यान इसलिए भी नहीं दिया जाता है, इससे अधिकारियों को कोई व्यक्तिगत फायदा नहीं होता है। इसलिए आंख मूंदकर आराम से जनता द्वारा की गई शिकायतों को नजर अंदाज कर बैठे हुए रहते हैं।
बिहार शरीफ शहर के एक नागरिक सत्येंद्र कुमार ने बताया कि अगर हर समस्या का समाधान अखबार में अधिकारियों का बयान देने से ही दूर हो जाएगा तो सरकार अधिकारियों की बहाली ही क्यों करती है?