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    Saturday, November 23, 2024
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      प्रिंसिपल विहीन नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज में शिक्षकों का भी भारी टोटा

      “जिस राज्य में 500 करोड़ से पांच आईआईटी-आईआईएम खोले जाने की बात चलती है,जहाँ 100 करोड़ से वर्चुअल क्लास रूम बनाने की सोच है। उसी राज्य में एक ऐसा अनोखा इंजीनियरिंग काॅलेज है जो बिना प्रिंसिपल के चल रहा है। वो भी बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के चंडी में।”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज । राज्य के एमआईटी मुज्जफ्फरपुर के बाद दूसरे बड़े  नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज में सिर्फ प्रिंसिपल ही नहीं है ,वहाँ शिक्षकों का जबरदस्त टोटा है। यांत्रिकी इंजीनियरिंग और सिविल विभाग में एक भी शिक्षक नही है।  भौतिकी में शिक्षक गायब, मैथ की घंटी गायब, रसायन और अंग्रेजी की क्लास में सन्नाटा पसरा है। साथ ही वर्कशाॅप, लाइब्रेरी की सुविधा नदारत, वहीं लिपिक, वर्कशाॅप अनुदेशक, ड्राफ्टसमैन, प्रयोगशाला  सहायक की कमी ।

      यह खुलासा एक आरटीआई से हुई है कि नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज बिना प्रिंसिपल के चल रहा है, स्थायी शिक्षकों की घोर कमी है।अतिथि शिक्षकों के भरोसे किसी तरह छात्र पढ़ने को मजबूर हैं ।यह खुलासा एक बार फिर किया है चंडी के एक आरटीआई एक्टिविस्ट और ऑल इंडिया क्राइम रिफाॅर्म्स ऑग्रेनाइजेशन के सदस्य  उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने।

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      सोशल वर्कर एवं आरटीआई एक्टिविस्ट उपेन्द्र प्रसाद सिंह……

      नालंदा के चंडी प्रखंड के दस्तूरपर निवासी उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज  के लोक सूचना पदाधिकारी सह विशेष कार्यक्रम पदाधिकारी से जानकारी मांगी थी कि एआईसीटीई के अनुसार इंजीनियरिंग काॅलेज में कुल कितने पद स्वीकृत है। स्वीकृत पदों पर कार्यरत नियमित शिक्षक, प्रिंसिपल, गेस्ट फैक्लटी, तथा कर्मचारियों की सूची के अलावा वित्तीय वर्ष 2016-2017 तथा 2017-2018 में आउटसोर्सिग के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों की सूची, मासिक वेतन की सूची, ईपीएफ अंश के लिए काॅलेज प्रशासन द्वारा दिए गए अंश की सूची सहित सत्यापित सूची एवं सभी कर्मचारियों का ईपीएफ नम्बर, खाता संख्या की सूचना उपलब्ध कराने की मांग की थी।

      सूचना के आलोक में नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज ने जो सूचना आवेदक को दी वह काफी चौंकाने वाली निकली। इस सूचना से खुलासा हुआ कि नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज अपने स्थापना काल से ही बिना प्रिंसिपल के संचालित हो रहा है। साथ ही काॅलेज में शिक्षकों की भारी कमी है।सिर्फ़ गेस्ट फैक्लटी के सहारे छात्रों की पढ़ाई हो रही है।वो भी कई विषयों में छात्रों की पढ़ाई बाधित है।

      upendra rti nic 2 नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज में शैक्षणिक पदों की खुल संख्या प्रिंसिपल सहित 64 पद स्वीकृत है। जिनमें प्राचार्य का एक पद स्वीकृत है।लेकिन यहाँ प्राचार्य का पद रिक्त है।

      वही यांत्रिक अभियंत्रण में सृजित पदों की संख्या 12 है लेकिन गजब देखिए सभी पद रिक्त पड़े हुए है । यानि इस विभाग में छात्रों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं । कुछ ऐसा ही हाल अन्य ब्रांच में भी है। इलेक्ट्रीक्ल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स में भी 12 पद सृजित है लेकिन शिक्षक सिर्फ दो।

      कम्प्यूटर सांईस एंड इंजीनियरिंग में दस पद सृजित है लेकिन शिक्षक सिर्फ एक।सिविल इंजीनियरिंग में दस पद सृजित है लेकिन शिक्षक जीरो।वही गणित में छह के बदले सिर्फ एक सहायक प्राध्यापक मौजूद हैं ।

      भौतिकी में छह में सिर्फ दो, रसायन में छह में एक तथा अंग्रेजी में दो में दोनों गायब। यानि कुल 64 स्वीकृत शैक्षणिक पदों में महज  सात स्थायी शिक्षक के सहारे चल रहा है नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज।

      वही तकनीकी सहायक और गैर तकनीकी सहायक कर्मियों के कुल 75 स्वीकृत पदों में महज आठ कर्मचारी ही कार्यरत है। अगर स्थायी शिक्षकों को छोड़ दें तो काॅलेज में गेस्ट फैक्लटी के सहारे थोड़ी बहुत पढ़ाई हो रही है। सिविल इंजीनियरिंग में 8, मैक्निकल में 7 ईईई में भी 7 तथा सीएसई में 7 गेस्ट फैक्लटी हैं ।upendra rti nic 1

      वहीं आउट सोर्सिग में सुरक्षा कर्मी 13, कार्यालय सहायक 12, सफाई कर्मी 4 चालक 2,माली तीन तथा विधुत कर्मी एक काॅलेज में कार्यरत है।यहाँ दीगर यह है कि आउट सोर्सिग का जिम्मा जिस गोस्वामी सिक्यूरिटी सर्विसेज पर है ,उसके बारे में कहा जा रहा है कि काॅलेज के प्रभारी प्राचार्य के गृह जिला मुज्जफ्फरपुर की कंपनी है ।

      उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने सभी आउट सोर्सिग के तहत कार्यरत कर्मचारियों के ईपीएफ ब्योरा की मांग की थी।लेकिन इसकी सूचना आवेदक को उपलब्ध नहीं करायी गई है।

      गौरतलब रहे कि नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज की स्थापना 19 नवम्बर 2008 को की गई थी। पहले यह काॅलेज सात सालों तक संबद्ध् मगध महाविद्यालय में चल रहा था । बाद में  अगस्त 2015 को 51•64 एकड़ में फैले अपने नए भवन में चला गया।

      अब सवाल यह उठता है कि जब सीएम नीतीश कुमार को नाक तले पटना विश्वविद्यालय की शैक्षणिक बदहाली नहीं दिखती है तो फिर नालंदा इंजीनियरिंग काॅलेज तो दूर की बात है।वहीं राज्य सरकार  हर जिले में एक इंजीनियरिंग काॅलेज खोलने की बात करती है।

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