“शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत राज्य के सभी अनट्रेंड टीचरों की सेवा समाप्त कर दी गई है। यह कार्रवाई शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत की गई है……”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। झारखंड शिक्षा विभाग ने सभी जिले के उपायुक्त, जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा अधीक्षक को पत्र भेज अनट्रेंड टीचरों को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करने का निर्देश दिया है। इस आदेश से सूबे के लगभग 3500 पारा शिक्षक और निजी स्कूलों के 6900 शिक्षक प्रभावित होंगे।
हालांकि अनट्रेंड टीचरों को नौकरी से हटाने के आदेश को हाईकोर्ट में पहले ही चुनौती दी गई है। 19 दिसंबर को अदालत ने इस मामले पर यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। इसकी अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
विभाग के निर्देश में सभी निकासी व व्ययन पदाधिकारी से इनके मानदेय भुगतान पर रोक लगाने के लिए कहा गया है। अगर इन्हें मानदेय का भुगतान होता है तो इसकी वसूली निकासी व व्ययन पदाधिकारी से की जाएगी।
जिला शिक्षा पदाधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि किसी भी सूरत में अनट्रेंड पारा टीचरों से कार्य नहीं लिया जाए और मानदेय का भुगतान भी नहीं किया जाए। साथ ही बीईईओ, बीपीओ व डीडीओ को निर्देश दिया गया है कि ऐसे स्कूलों का सत्यापन करें, जो अनट्रेंड टीचरों के प्रभार में हैं।
अनट्रेंड टीचरों को कार्यमुक्त करने का निर्णय अगस्त 2017 में ही लिया गया था। इस दौरान सभी अनट्रेंड टीचरों को कार्य करते हुए ट्रेनिंग लेने के लिए मार्च 2019 तक का समय दिया गया था।
ट्रेनिंग के संचालन की जिम्मेदारी एनआईओएस को दी गई थी। इसमें झारखंड के सरकारी स्कूलों में कार्यरत 13 हजार 518 व निजी स्कूलों में कार्यरत 56 हजार 657 टीचरों ने ट्रेनिंग प्राप्त किया। लगभग 2448 पारा शिक्षक ट्रेनिंग के योग्य नहीं थे और 1052 परीक्षा में असफल रहे थे।
झारखंड राज्य परियोजना परिषद के निदेशक उमा शंकर सिंह ने बताया कि अनट्रेंड टीचरों का मानदेय मई से ही रोक दिया गया है। अयोग्य पारा शिक्षक पहले ही कार्यमुक्त किए जा चुके हैं। मई में एनआईओएस ने परीक्षा का परिणाम जारी किया था।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। हमलोग कोर्ट में पक्ष रखेंगे। लगभग सभी पारा टीचरों को कार्यमुक्त कर दिया गया है। जो बचे हैं, वे निजी स्कूलों के शिक्षक हैं।