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    Thursday, May 2, 2024
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      विकास के ढिंढोरे के बीच 70 साल बाद भी सड़क विहिन है नालंदा का यह गांव, चारपाई है मात्र सहारा

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (राजीव रंजन)। नालंदा जिले में आज भी काफी संख्या में ऐसे गांव हैं, जहां आजादी के इन 70 वर्षों में विकास और सुशासन के ढिंढोरे के बीच अदद पक्की सड़क नसीब नहीं हो सका है। चुनाव प्रचार में विकास के नाम पर जनता की वोट लूटने के लिए मंच पर सफेद कुर्ते और पायजामे में एक से बढ़कर एक नेताजी अपने-अपने चश्मा लगाकर माइक के पास आकर विकास की गिनती जनता के सामने गिनाते हैं।

      नालंदा के इस्लामपुर प्रखंड अंतर्गत पचलोवा पंचायत में स्थिति अंकुरि टोला माधोपुर गांव की है, जहां 100 घर के इस गांव की आबादी करीब 700 से 800 के बीच है।nalanda village road 3

      आजादी के बाद आज तक लिंक रोड से गांव तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है। सड़क नहीं रहने के कारण इस गांव के लोग रोगी को चारपाई पर उठा लिंक रोड तक कड़ी धूप झमाझम बारिश एवं ठिठुरती ठंड में भी सिर पर उठा कर लाते हैं क्योंकि, इस गांव में फोर व्हीलर गाड़ी या टेंपो रिक्शा आदि जा नहीं सकती है।

      यह क्षेत्र विकास पुरुष नीतीश कुमार के गृह जिले के इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र जहां से सामान्यतः नीतीश कुमार के ही जदयू पार्टी के कोई ना कोई विधायक लगातार 15 वर्षों से चुनाव जीते आ रहे हैं और इस बार इस्लामपुर विधानसभा की जनता अपने क्षेत्र में विकास के लिए जदयू के ही विधायक चंद्रसेन प्रसाद को अपना मत विकास की आस को लेकर दिया था।nalanda village road 4

      लेकिन हमारी टीम की जांच में पता चला किस गांव की महिलाएं अपने विधायक को या किसी भी जनप्रतिनिधि को विश्वास के नाम पर वोट देती है और अपशब्द का प्रयोग करते हुए जनप्रतिनिधि पर आग बबूला होकर अपने गांव ना आने की नसीहत दी है और माधोपुर के ग्रामीण जनता एवं महिला का सीधा सीधा आरोप सड़क निर्माण को लेकर अपने क्षेत्रीय विधायक चंद्रसेन प्रसाद को दोषी बताया है।

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      वहीं ग्रामीण महिला अपशब्द का प्रयोग करते हुए कहा कि नेता केवल वोट लेने के लिए गांव में आता है और वोट लेकर चला जाता है।

      ग्रामीणों ने बताया कि सड़क नहीं रहने के कारण शिक्षा स्वास्थ्य और गांव के विकास में काफी प्रभाव पड़ता है जिससे गांव का विकास हो पाना संभव नहीं है और स्थानीय विधायक चंद्रसेन के द्वारा सड़क बनाने की आवाज अपने ऊपर यानी विधानसभा में नहीं उठाया जाता है।

      सवाल उठता है कि जब विकास पुरुष के गृह जिले में यह हालात है तो राज्य में विकास की हवा आखिर कैसे बह रही है और सरकार के जनप्रतिनिधि अपने आप को विकास करने का सारा श्रेय देती हैं क्या यह श्रेय जुमला है या हकीकत? क्या अब जनप्रतिनिधि या क्षेत्रीय विधायक के कान पर सड़क निर्माण को लेकर जू रेंगता है या नहीं?

      इस संबंध में इस्लामपुर विधानसभा के क्षेत्रीय विधायक मोबाइल पर एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ की टीम से बातचीत में कहा कि वे जब से विधायक बने हैं, 2017-18 में 160 किलोमीटर सड़क की स्वीकृति कराये हैं। जिसमें 51 किलोमीटर सड़कें बन चुकी है। बाकी सड़कें मुख्यमंत्री योजना, नाबार्ड और विश्व बैंक से स्वीकृत है।

      उन्होंने कहा कि पचलोवा पंचायत में स्थिति अंकुरी टोला माधोपुर गांव के 300 मीटर सड़क की जरुरत है, उसे बनबाने का काम करेगें। अगर ग्रामीणों ने आवेदन दिया होगा तो वे उसपर अपनी अनुसंशा जरुर कर दिये होगें।  

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