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    Saturday, April 27, 2024
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      नवरात्र में भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं ‘मां चंडी’

      ” चंडी का अपना धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व रहा है। माता चंडिका के नाम पर इस स्थल का नाम चंडी पड़ा। चंडी में माता चंडी का भव्य मंदिर है। जहाँ भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।”

      चंडी (संजीत कुमार)। गुरुवार से पवित्र शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि को लेकर मंदिर की साफ- सफाई अंतिम चरण में है। ऐसे ही शारदीय नवरात्र में चंडी के मां चंडी मंदिर का अपना धार्मिक महत्व है ।

      हालाँकि चंडी प्रखंड का लिखित इतिहास का संकेत कही नहीं मिलता है । लोक स्मृति की व्यापकता ही प्रमाण मानी जाती रही है ।कहा जाता है कि माँ चंडी मंदिर की स्थापना 12 वीं सदी के आसपास मानी जाती है ।

      ma chandiयह वह काला दौर था जब यमनों के अमानुषिक आक्रमण पूरे वेग से नालंदा में शुरू हो गए थे। मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी जैसे धर्मांध आक्रांतो ने उदंतपुरी और नालंदा विश्वविद्यालय में खूनी खेल खेला था ।

      चंडी मगध के नौ सिद्ध स्थलो में से एक माना जाता है। इस मंदिर के पास एक विशालकाय तालाब था, जिसका अस्तित्व आज खत्म हो चुका है ।

      यूँ तो यहाँ सालों भर श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं, लेकिन नवरात्रि में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है ।

      ऐसी मान्यता है कि जो भी माता के दरबार में अपनी इच्छा जाहिर करते हैं माता उनकी झोली जरूर भरती हैं । नवरात्रि में भाता के दर्शन को लेकर भक्तों का आगमन शुरू हो जाता है। यहाँ दूर दूर से लोग मां के दर्शन को आते हैं । जो भी अपनी मुराद लेकर आते हैं मां उनकी झोली भरती हैं ।

      एक समय यहाँ स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्यों ने भी आकर साधना की थी।बंगाल के साधुओ और तांत्रिकों का यह केन्द्र आज भी है।माँ चंडी मंदिर की महता से कई थानेदार भी प्रभावित होते रहे हैं । 1905 में अंग्रेजो ने चंडी थाना का निर्माण कराया था ।

      1927 में चंडी थाना के सब इंस्पेक्टर हनुमान प्रसाद ने इसी मंदिर के प्रांगण में एक शिव मंदिर की स्थापना कराई थी।इनके अलावा जनवरी 1974 में बेगूसराय के महेशपुर निवासी सह तत्कालीन थाना प्रभारी भुवनेश्वर प्रसाद वर्मा ने माँ चंडी मंदिर का जीर्णोद्धार तथा मंडप का निर्माण कराया था ।

      1988 में चंडी के तत्कालीन सीओ तथा बिहार लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष बैधनाथ दफ्तुआर ने मंदिर के जीर्णोद्धार में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा । इनके बाद भी कई थानेदार और पदाधिकारियों का  मंदिर की सौंदर्यता में उल्लेखनीय योगदान और श्रद्धा रहा है ।

      चंडी मंदिर की महता से सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि राजनीतिक के कई दिग्गज चंडी मंदिर में मत्था टेक चुके हैं ।बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी मां चंडी मंदिर में माँ के दर्शन कर चुके हैं । चुनावों के दौरान दर्जनों प्रत्याशी माँ चंडी से  अपनी जीत के लिए वरदान मांगने आते रहते हैं । नालंदा के पूर्व एसपी निशांत तिवारी भी मंदिर और गुप्तेश्वर पांडेय भी मंदिर में पूजा कर चुके हैं ।

      पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से मां चंडी मंदिर के समीप दशहरा में भारत माता की प्रतिमा स्थापित की जा रही है ।नवरात्रि में मंदिर के आसपास का क्षेत्र काफी भक्ति मय बन जाता है । मंदिर श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केन्द्र है ।

      चंडी जहाँ अपनी धार्मिक समृद्धता के लिए जानी जाती है । साथ ही अपनी शालीनता, संख्या भाव, आत्थिय संवेदनाओं से भी संवेदित है ।

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